कांग्रेस को 7 सीटों पर बदलाव क्यों करने पड़े? जहां विरोध है, वहां के समीकरण क्या बन रहे हैं?
बड़नगर-गोटेगांव के पुराने कैंडिडेट लड़ेंगे निर्दलीय चुनाव; जो चुप हैं उनके समर्थक नाराज …
कांग्रेस ने फटाफट अंदाज में तीन लिस्ट जारी कर सभी 230 विधानसभा सीटों पर कैंडिडेट तय कर दिए। फिर उतनी ही जल्दबाजी में दो बार में 7 सीटों पर प्रत्याशी भी बदलने पड़ गए। इस बदलाव के बाद भी बगावत की आग ठंडी नहीं पड़ी है। जिन नेताओं को टिकट देकर वापस लिए हैं, उनमें से दो ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। 5 सीटों पर पुराने कैंडिडेट भले चुप हैं, लेकिन उनके समर्थकों की नाराजगी पार्टी को भारी पड़ सकती है।
पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के इस्तीफे के फेर में अटकी आमला सीट पर भी कांग्रेस ने उम्मीदवार उतार दिया है। अब इस्तीफा मंजूर होने के बाद निशा ने साफ कह दिया है कि टिकट मिले या न मिले, वो चुनाव जरूर लड़ेंगी। निशा कमलनाथ से मिलने पहुंची थीं, लेकिन तय नहीं हो पाया है कि उन्हें टिकट मिलेगा या नहीं।
7 कैंडिडेट बदलने पर कांग्रेस को कितना नफा-नुकसान !
कांग्रेस को 7 सीटों पर बदलाव क्यों करने पड़े? जहां विरोध है, वहां के समीकरण क्या बन रहे हैं?
कांग्रेस ने पहली सूची में तय हुए दतिया, गोटेगांव और पिछोर के प्रत्याशियों को दूसरी सूची में बदल दिया। इसकी वजह से गोटेगांव में प्रचार शुरू कर चुके शेखर चौधरी बगावती तेवर अख्तियार कर चुके हैं। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। शेखर के चुनाव लड़ने का सीधा नुकसान कांग्रेस के एनपी प्रजापति को हो सकता।
कांग्रेस ने दूसरी बार में चार सीटों सुमावली, बड़नगर, जावरा और पिपरिया से प्रत्याशी बदले हैं। इस बदलाव से बड़नगर के पूर्व प्रत्याशी नाराज हो गए। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कही है। अन्य पूर्व प्रत्याशियों ने नपा-तुला बयान दिया है कि वे पार्टी के निर्णय के साथ हैं, लेकिन अंदरूनी नाराजगी वहां कांग्रेस के समीकरण को प्रभावित कर सकती है।
कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा टिकट बदले जाने पर कहते हैं कि ये बताता है कि पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रिया है।
पहले पढ़ते हैं 7 सीटों पर बदलाव और इसके बाद के समीकरण को
अजब के बागी तेवरों का डर
सुमावली से विधायक अजब सिंह कुशवाहा को प्रॉपर्टी के एक मामले में सजा हो चुकी है। इसके चलते यहां से कुलदीप सिकरवार को टिकट मिला था। इस पर अजब सिंह कुशवाहा और उनके समर्थक नाराज हो गए थे। अजब विद्रोही तेवर अख्तियार कर बसपा में शामिल होने की तैयारी में थे। जिले के कुशवाहा समाज ने मुरैना में रैली निकालकर अपना विरोध भी जताया था। कई सीटों पर कुशवाहा वोटर पार्टी का समीकरण प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। पार्टी ने यहां नुकसान से बचने के लिए टिकट बदला है।
बसपा ने कुलदीप को बनाया प्रत्याशी
कुलदीप सिकरवार बुधवार को क्षेत्र में प्रचार करने निकले हुए थे, तभी दोपहर 12 बजे उन्हें टिकट बदलने की सूचना मिली। हालांकि उन्हें पहले ही इसका संकेत मिल चुका था। इस बदलाव से उनके समर्थक नाराज थे। कुलदीप ने पार्टी के निर्णय के साथ होने की बात कही है, लेकिन बुधवार शाम को जब बसपा ने अपनी सूची जारी की, तो सुमावली से बसपा प्रत्याशी के रूप में कुलदीप का नाम था। कुलदीप के बसपा से चुनाव लड़ने से कांग्रेस को नुकसान होने की बात कही जा रही है।
ठाकुर मतदाता चौथे सबसे बड़े वोटर
इस सीट पर सबसे ज्यादा अहिरवार और कुशवाहा समाज के 18 प्रतिशत वोटर हैं। जबकि दूसरे नंबर पर गुर्जर और फिर ठाकुर वोटर हैं। कुलदीप सिकरवार ठाकुर समाज से आते हैं। अजब का मुकाबला उपचुनाव में हारे एंदल सिंह कंसाना से होगा। ठाकुर मतदाताओं की नाराजगी कांग्रेस को भारी पड़ सकती है।
बड़नगर में बागी तेवर देख बदला चेहरा
बड़नगर से कांग्रेस ने मुरली मोरवाल को बेटे के रेप केस में फंसने की वजह से बेटिकट कर दिया था। यहां से राजेंद्र सिंह सोलंकी को टिकट दिया था। मोरवाल के समर्थक यहां सोलंकी का विरोध कर रहे थे। मोरवाल ने सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि भाजपा ने 2020 में उन्हें 35-40 करोड़ रुपए और टिकट की गारंटी का ऑफर दिया था। वे तब भी नहीं बिके, उसके बाद भी पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की चेतावनी दी थी।
पैसे लेकर टिकट बदलवाने का दावा
टिकट बदले जाने से राजेंद्र सोलंकी नाराज हैं। सोलंकी ने दैनिक भास्कर को बताया कि मुझे पार्टी ने विश्वास में भी लेना उचित नहीं समझा। मैं तो टिकट मिलने के बाद से क्षेत्र में प्रचार कर रहा हूं। आज भी तलोजा गांव में प्रचार करने पहुंचा था। तभी सोशल मीडिया से टिकट कटने की खबर मिली। जिलाध्यक्ष से बात की तो उन्होंने इसकी पुष्टि की। पार्टी का कोई बड़ा नेता मेरा फोन तक नहीं उठा रहा है। दावा किया कि दलाल नेता ने पैसे लेकर मेरा टिकट चेंज कराया है। हालांकि दलाल नेता के नाम का खुलासा नहीं किया।
यहां ठाकुर वोटरों से कांग्रेस को नुकसान
बड़नगर में सबसे अधिक 16 प्रतिशत ठाकुर (क्षत्रिय) हैं। इसके बाद एससी और ओबीसी वोटर हैं। सोलंकी गुरुवार को नामांकन जमा करने की तैयारी में थे। टिकट काटे जाने के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। पिछली बार यहां ऐसा भाजपा के साथ हो चुका है, तब पार्टी ने नामांकन जमा करने जा रहे पूर्व घोषित प्रत्याशी जितेंद्र पांडय को रोक दिया था। पार्टी ने बदलाव करते हुए संजय शर्मा को टिकट दे दिया, लेकिन वे हार गए। इस बार कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी के जितेंद्र पांडय से होगा। सोलंकी के निर्दलीय चुनाव लड़ने पर त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पिपरिया में बाहरी बनाम स्थानीय के चलते बदला टिकट
पिपरिया से पूर्व जनपद अध्यक्ष वीरेंद्र बेलवंशी को टिकट दिया गया है। यहां से पार्टी ने पहले छिंदवाड़ा के रहने वाले गुरुचरण खरे को प्रत्याशी बनाया था। उनका स्थानीय कार्यकर्ता खरे का विरोध कर रहे थे। कार्यकर्ता यहां स्थानीय प्रत्याशी की मांग कर रहे थे। गुरुचरण खरे बाहरी हैं और बेलवंशी स्थानीय चेहरा है। इसकी वजह से पार्टी को यहां का टिकट बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा।
खरे बोले- कमलनाथ के आदेश का पालन करेंगे
गुरुचरण खरे ने कहा, कमलनाथ और पार्टी ने मुझे टिकट दिया था। उन्होंने ही टिकट काटा है। मैं खापरखेड़ा गांव में प्रचार के लिए पहुंचा था, तभी इसकी सूचना मिली। एक दिन पहले ही मुझे इसके बारे में बता दिया गया था। मेरे समर्थक नाराज हैं, लेकिन मैं उनको मना लूंगा। मैंने अब पिपरिया को ही अपना कर्मक्षेत्र मान लिया है। मैं अपने लोगों के लिए हमेशा उपलब्ध रहूंगा। पार्टी को जहां लगेगा मेरा उपयोग करेगी।
समर्थकों की नाराजगी, कर सकती है भितरघात
खरे का टिकट काटे जाने के बाद उनके समर्थक नाराज हैं। टिकट मिलने के बाद से ही वे लगातार पिपरिया विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय थे। यहां से मौजूदा विधायक ठाकुरदास नागवंशी ने पिछली बार कांग्रेस के हरीश बेमन को 18 हजार वोटों के अंतर से हराया था। वे तीन बार से यहां जीत रहे हैं। कांग्रेस पर लगातार स्थानीय प्रत्याशी देने का दबाव पड़ रहा था।
रतलाम में कार्यकर्ताओं के भारी विरोध से हुआ बदलाव
रतलाम जिले की जावरा सीट से कांग्रेस ने एक बार फिर वीरेंद्र सिंह सोलंकी को मौका दिया है। इससे पहले यहां से हिम्मत श्रीमाल को प्रत्याशी बनाया था। पार्टी ने स्थानीय होने के चलते श्रीमाल को टिकट दिया था। वीरेंद्र सिंह सहित अन्य दावेदारों पर बाहरी होने का तमगा लग रहा था। इसके बावजूद कार्यकर्ता टिकट की घोषणा के बाद से ही लगातार विरोध कर रहे थे। प्रत्याशी का जगह-जगह पुतला फूंका जा रहा था। यहां तक कि हिम्मत श्रीमाल को अपने ही गांव में भी विरोध का सामना करना पड़ा था।
मैं पांच चुनाव लड़ चुका हूं, सभी में भाजपा की जमानत जब्त हुई
हिम्मत श्रीमाल ने बताया कि मैं घर पर था, तभी टिकट बदले जाने की सूचना मिली। मुझे किसी ने इसके बारे में सूचना नहीं दी थी। जबकि एक दिन पहले ही मैं भोपाल में एमपी चुनाव प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और दिग्विजय सिंह से मिला था। कमलनाथ से भी मिलने गया था, लेकिन वे छिंदवाड़ा निकल रहे थे। उन्होंने सुरजेवाला से मिलने को बोला था। वहां पहुंचे तो सुरेजवाला पूरे समय मेरे राजनीतिक करियर की बात करते रहे। मैंने बताया कि पंच से लेकर जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य और जनपद अध्यक्ष का पांच चुनाव लड़ चुका हूं। कभी नहीं हारा। हर चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त कराई है, पर किसी ने नहीं बताया कि टिकट बदला जाएगा।
नाराजगी है, लेकिन कार्यकर्ताओं से बात कर लेंगे निर्णय
हिम्मत श्रीमाल यहां से चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं। हालांकि वे अपने समर्थकों और क्षेत्र के लोगों से रायशुमारी करने की बात कह रहे हैं। बुधवार शाम 6 बजे समर्थकों की बैठक बुलाई है। इसके बाद अगले दो दिन क्षेत्र में लोगों से बात करेंगे। श्रीमाल का दावा है कि मैं विनर कैंडिडेट था। श्रीमाल चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस को सीधा नुकसान होगा।
अब बात वहां की, जहां पहले चेहरा बदला था
कांग्रेस ने इससे पहले भी तीन सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए थे। इसमें गोटेगांव, दतिया और पिछोर सीट शामिल है। गोटेगांव में प्रत्याशी बदले जाने के बाद पहले टिकट पा चुके शेखर चौधरी बगावती तेवर अपना चुके हैं। यहां कांग्रेस प्रत्याशी को विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
टिकट कटने के बाद से बागी हुए शेखर के सुर
गोटेगांव : नरसिंहपुर जिले की इस सीट से कांग्रेस ने पहले पूर्व विधायक शेखर चौधरी को टिकट दिया था। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का टिकट कट गया था। दूसरी सूची जारी हुई तो पार्टी ने इस सीट पर बदलाव करते हुए एक बार फिर से एनपी प्रजापति को टिकट दे दिया।
एनपी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि राजा साहब ने टिकट दिलवाया। शेखर पूर्व सीएम कमलनाथ के खास माने जाते हैं। टिकट देकर प्रत्याशी बदले जाने के बाद शेखर चौधरी यहां निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। यहां भाजपा ने महेंद्र नागेश को प्रत्याशी बनाया है।
शेखर लड़े तो भाजपा-कांग्रेस दोनों काे नुकसान
गोटेगांव सीट पर सबसे अधिक 22 प्रतिशत के लगभग आदिवासी वोटर हैं। दूसरे नंबर पर 19 प्रतिशत के लगभग लोधी वोटर हैं। तीसरे नंबर पर अहिरवार समाज के वोटर हैं। इस सीट पर नरसिंहपुर से चुनाव लड़ रहे प्रह्लाद सिंह पटेल और उनके भाई जालम पटेल का प्रभाव है। हालांकि, शेखर यहां से चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा-कांग्रेस दोनों को नुकसान पहुंचाएंगे।
दतिया-पिछोर में टिकट बदलाव का नहीं कोई इफेक्ट
दतिया : कांग्रेस ने यहां से भाजपा छोड़कर आए अवधेश नायक को प्रत्याशी बनाया था। पिछली बार ढाई हजार वोटों से हारे राजेंद्र भारती टिकट कटने पर दिल्ली पहुंच गए। वहां पार्टी आलाकमान के सामने अपनी बात रखी। आलाकमान की दखल के चलते यहां से चेहरा बदला गया।
पिछोर : शिवपुरी जिले की इस सीट से कांग्रेस ने पहले शैलेंद्र सिंह को टिकट दिया था। यहां से पांच बार के विधायक केपी सिंह को शिवपुरी शिफ्ट कर दिया गया है। पिछली बार केपी सिंह किसी तरह सीट निकाल पाए थे। तब भाजपा के प्रीतम लोधी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी। इस बार भी भाजपा ने प्रीतम को ही टिकट दिया है। इस सीट पर लोधी फैक्टर को देखते हुए पार्टी ने शैलेंद्र की बजाए अरविंद सिंह लोधी को नया चेहरा बनाया है।
निशा हर हाल में लड़ेंगी चुनाव, अब गेंद कांग्रेस के पाले में
आमला : प्रदेश की सबसे हाट सीट बन चुकी आमला से पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे कांग्रेस से टिकट मांग रही हैं। उन्हें इस्तीफा स्वीकार कराने के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा था। इस्तीफे में देरी के चलते पार्टी ने यहां से पिछली बार लड़ चुके मनोज मालवे को प्रत्याशी बनाया है।
बांगरे की बुधवार शाम को छिंदवाड़ा में कमलनाथ से मुलाकात हुई। हालांकि, निशा बांगरे ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे आमला से हर हाल में चुनाव लड़ेंगी। गुरुवार को वो नामांकन पत्र भी जमा करने जा रही हैं। अब कांग्रेस को तय करना है कि वे उनको चेहरा बनाती है या नहीं।