रेव पार्टियां कैसे बन गईं नशे का कारोबार? जानिए भारत में इसने कैसे पसारे पांव?
कब हुई थी रेव पार्टी कल्चर की शुरुआत, जानिए भारत में इसने कैसे पसारे पांव?
ग्रेट ब्रिटेन से शुरू हुआ रेव पार्टियों की दीवानगी अब भारत के कई शहरों के युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले चुकी है. जिसका चस्का हर दिन बढ़ता ही जा रहा है.
इस तरह वक्त-वक्त पर इन पार्टियों में बड़े नामों के शामिल होने से इनकी चर्चाएं तेज हो जाती हैं. वक्त के साथ इनका प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है. जो बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है.
यदि इन पार्टियों के इतिहास देखें तो एनसीबी की रिपोर्ट के अनुसार इस तरह की पार्टियों का चलन 1980 के दशक में ग्रेट ब्रिटेन में शुरू हुआ था. जो धीरे-धीरे इतना बढ़ता गया कि लंदन की रेव पार्टियों ने अधिकांश डांस क्लबों को पीछे छोड़ दिया.
इसके बाद डांस क्लबों से निकलकर ये रेव पार्टियां शहर के बाहरी इलाकों खुले मैदानों में आयोजित की जाने लगीं. जिसमें हजारों लोग शामिल होने लगे.
इसके बाद धीरे-धीरे इन रेव पार्टियों का क्रेज सैन फ्रांसिस्को और लॉस एंजिल्स जैसे बड़े अमेरिकी शहरों में भी देखा जाने लगा.
हालांकि अब तक रेव पार्टियां सिर्फ म्यूजिक और डांस तक सीमित थीं, लेकिन धीरे-धीरे इन रेव पार्टियों में कई नए अमेरिकी रेव प्रमोटर जुड़ गए, जिनमें से कई कैरियर अपराधी थे. जिन्होंने इस तरह की पार्टियों को कमाई के नजरिए से देखना शुरू कर दिया.
रेव पार्टियां कैसे बन गईं नशे का कारोबार?
धीरे-धीरे इन रेव पार्टियों में बढ़ती युवाओं की संख्या को देखते हुए ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों की सप्लाई की जाने लगी और धीरे-धीरे ये रेव पार्टियां नशे के कारोबार का ट्रेंड मार्क बन गईं.
साथ ही इनके बदनाम होने की वजह भी यही है. रेव पार्टियों की बढ़ती दीवानगी ने इन्हें अन्य देशों में भी प्रचलित कर दिया, जिसके बाद दुनियाभर के कई देशों में इस तरह की पार्टियां गुप्त रूप से आयोजित की जाने लगीं.
भारत में कैसे शुरू हुआ रेव पार्टियों का चलन?
अन्य देशों की तरह ये प्रचलन भारत में भी धीरे-धीरे फेल गया, हालांकि इसका केंद्र गोवा माना जाता है. जहां विदेशी पर्यटकों ने समुद्र के तट को रेव पार्टियों के लिए काफी उपयुक्त जगह पाया. जहां खुले मैदान में इन पार्टियों को आयोजित किया जाने लगा.
बेहद तेज म्यूजिक के शोर और इन पार्टियों में आसानी से उपलब्ध होने वाले नशे के चलते रईस परिवारों के अधिकतर युवाओं को रेव पार्टियों ने अपनी जकड़ में ले लिया था.
इसके बाद मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर जैसे बड़े शहरों में भी इन पार्टियों का चलन बढ़ता गया जो अब देश के छोटे शहरों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है.
हालांकि भारत में इस तरह की रेव पार्टियां बैन हैं जहां अवैध तरीके के नशे कराए जाते हैं. अगर कोई व्यक्ति इस तरह की पार्टी में जाता है या इसे ऑर्गेनाइज कराता है तो पकड़े जाने पर सजा का भी प्रावधान है.
यही वजह है कि देश के अलग-अलग इलाकों में इस तरह की पार्टियों पर नारकोटिक्स विभाग की अक्सर छापेमारी देखी जाती है.
अब कैसी होती हैं रेव पार्टियां?
अब रेव पार्टियां गुपचुप तरीके से आयोजित की जाती हैं. जिनमें ड्रग्स, शराब, संगीत, डांस और कभी-कभी सेक्स भी आयोजित किया जाता है. इस तरह की पार्टियों में सिर्फ पार्टी सर्किट से जुड़े हुए कुछ चुनिंदा लोग शामिल हो सकते हैं.
नए लोगों को इन पार्टियों में आने की अनुमति नहीं दी जाती, ताकि इसकी जानकारी ना फैले. वहीं रेव पार्टियां ड्रग लेने वालों और बेचने वालों के लिए एक सुरक्षित जगह होती है.
इस तरह की रेव पार्टियों में लोग सिर्फ आम पार्टियों की तरह नाचते, गाते और फूड एन्जॉय नहीं करते हैं. बल्कि, लोग इन पार्टियों में जमकर नशा करते हैं.
ये नशा ड्रग्स से लेकर चरस, अफीम और स्नेक बाइट तक का होता है. इन पार्टियों में ऐसा माहौल बनाया जाता है कि लोग लंबे समय तक नशे में झूमते रहें.
हाल ही में नोएडा में हुई रेव पार्टी में एल्विश यादव पर आरोप है कि वो इस तरह की पार्टियों में सांप का जहर सप्लाई करवाते थे, इस पार्टी से 9 जहरीले सांप 5 कोबरा, एक अजगर, दो दोमुंहे साप और एक रेट स्नेक बरामद किया गया है. इसके अलावा इन पार्टियों में विदेशी लड़कियों के शामिल होने के भी आरोप हैं.
वहीं 2021 में जब आर्यन खान को जिस क्रूज से पकड़ा गया था उस रेव पार्टी से एनसीबी ने 13 ग्राम कोकीन, 5 ग्राम मेफेड्रोन और 22 टैबलेट एक्सटेसी की जब्त की थीं. एनसीबी के अनुसार इस तरह की पार्टियों में एक्सटेसी, केटामाइन, एमडीएमए, एमडी और चरस भी लिया जाता है.
इनके अलावा इस तरह की पार्टियों में तेज आवाज में इलेक्ट्रिक ट्रांस म्यूजिक चलाया जाता है ताकि ड्रग लेने वाले लंबे समय तक एक ही तरह के मूड में रहें. वहीं इस तरह की पार्टियां 24 घंटे से लेकर तीन दिनों तक आयोजित होती हैं.
इन सब के अलावा लेजर से रंगीन तस्वीरें, विजुअल इफेक्ट्स और धुआं निकालने वाली मशीनें भी इस तरह की पार्टियों की शोभा बढ़ाने के लिए शामिल की जाती हैं.
1990 में पहली बार शुरू की गई थी रेव विरोधी पहल
1990 के दशक के आखिरी में कई समुदायों ने अपने क्षेत्रों में लगातार बढ़ती रेव पार्टियों को कम करने के लिए और इस तरह की पार्टियों में बढ़ते ड्रग्स के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए पहल शुरू की थी.
कई शहरों में रेव गतिविधियों को विनियमित करने के लिए अध्यादेश पारित किए गए. जबकि कुछ शहरों में मौजूदा कानून को लागू करना शुरू कर दिया गया. जिसके बाद अधिकारियों को इस तरह की पार्टियों पर अधिक बारीकी से निगरानी रखने में मदद मिली.
शिकागो, डेनवर, गेन्सविले, हार्टफोर्ड, मिल्वौकी और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में इन पार्टियों पर रोक लगाने के लिए कई कदम उठाए. जिनमें किशोर कर्फ्यू, अग्नि संहिता, स्वास्थ्य और सुरक्षा अध्यादेश, शराब कानून और बड़े सार्वजनिक समारोहों के लिए लाइसेंस को जरूरी करार दिया गया.
कई समुदायों ने रेव प्रमोटरों को प्रमोटरों के खर्च पर रेव पार्टियों के आयोजनों के लिए ऑनसाइट एम्बुलेंस और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं और वर्दीधारी पुलिस सुरक्षा को बनाए रखने की आवश्यकता शुरू कर दी.
हालांकि इन सब के बावजूद सबसे सफल रेव विरोधी पहल “ऑपरेशन रेव रिव्यू” को बताया जाता है. जिसे साल 2000 में जनवरी में न्यू ऑरलियन्स में शुरू किया गया था.
1998 में एक रेव पार्टी में 17 वर्षीय लड़की की ओवरडोज से मौत हो गई थी. जिसके बाद ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (डीईए) ने न्यू ऑरलियन्स क्षेत्र में रेव पार्टियों पर नजर डाली तो ये आंकड़ा सामने आया कि 2 साल में न्यू ऑरलियन्स स्टेट पैलेस थिएटर में 52 रेव पार्टियों का आयोजन किया गया था. इ
स दौरान लगभग 400 किशोरों ने अधिक मात्रा में शराब पी ली थी जिसके चलते उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ा था.
इसके बाद न्यू ऑरलियन्स पुलिस विभाग और अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने रेव पार्टियों में बिना रोक टोक के रेव पार्टियों में नशीले पदार्थों के वितरण पर लगी रोक को हटा दिया और फिर रेव पार्टियों में उन लोगों पर नजर रखना शुरू कर दिया जो इस तरह के नशीले पदार्थों के वितरण कर रहे थे. फिर उन्हें गिरफ्तार कर इस ऑपरेशन को बंद कर दिया गया.
ऐसे ड्रग्स जिनके नशे में पड़े तो नहीं छुटते लोग
हेरोइन- हेरोइन एक बार लेने पर इसे बार-बार लेने की लत लग जाती है. ये इतनी खतरनाक है कि इसे छोड़ना आसान नहीं होता और यदि जबरदस्ती छुड़वाने की कोशिश की जाती है तो इंसान की मौत भी हो सकती है.
कोकीन- ये भी खतरनाक और लोकप्रिय पार्टी ड्रग में से एक है. जो सीधे दिमाग पर असर डालती है और इसके चलते इसका इस्तेमाल करने वाले की याददाश्त कम हो जाती है.
स्पीड बॉल- स्पीड बॉल हेरोइन और कोकीन का मेल होता है. जब हेरोइन का नशा करने वाले संतुष्ट नहीं होते हैं तो वो स्पीड बॉल का सहारा लेते हैं. इस ड्रग के ओवर डोज से कई लोग अपनी जान गवां बैठे हैं.
गांजा- इसे लंबे समय तक लेने पर दिमाग और फेफड़ों पर असर पड़ता है.
एलएसडी- ये भी एक शक्तिशाली साइकेडेलिक ड्रग है. जो इतना खतरनाक होता है कि इसका नशा 12 घंटे तक नहीं उतरता. ये व्यक्ति के दिमाग को पूरी तरह कैप्चर कर लेता है.
एमडीएमए: युवाओं के बीच एक बहुत ही लोकप्रिय नशा है। इसे लोग पार्टी के दौरान लेना पसंद करते हैं।
केटामाइन: ये एक नशीली दवा होती है. जो रेव पार्टियों में सप्लाई की जाती है.
क्रिस्टल मेथ- क्रिस्टल मेथ यानी मेथेम्फेटामाईन जो सीधा व्यक्ति के दिमाग पर असर करता है. बताया जाता है कि क्रिस्टल मेथ की लत आसानी से नहीं छूटती.
सांप का जहर- पार्टियों में इसका चलन भी धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. ये कम मात्रा में लिया जाता है जिससे अलग तरह का नशा चढ़ता है. इसे पहले के जमाने में राजाओं को कम मात्रा में पिलाया जाता था ताकि जब उन्हें कोई सर्प काटे तो उसका असर न हो, हालांकि अब इसे नशे के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा है.
भारत में किन रेव पार्टियों पर पड़ चुके हैं छापे?
मुंबई पुलिस ने 2009 में मुंबई के जुहू इलाके में बॉम्बे 72 क्लब में छापा मारा था. इस छापेमारी में पुलिस ने 246 युवाओं को हिरासत में लिया था. इनमें से कई लोगों की खून की जांच में ड्रग्स लेने की पुष्टि हुई थी.
इसके अलावा रायगढ़ पुलिस ने साल 2011 में सोलापुर में एक रेव पार्टी में छापा मारा था. एंटी-नारकोटिक्स सेल के अधिकारी अनिल जाधव को भी इस मामले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वहीं पार्टी में पकड़े गए लोगों में से 275 की खून की जांच में ड्रग्स लेने की पुष्टि हुई थी.
वहीं 2019 में जुहू के ऑकवुड होटल में छापेमारी के दौरान 96 लोगों को पकड़ा गया था. इसी साल बेंगलुरु के होटल और पब पर पुलिस की छापेमारी में 150 लोगों को इस तरह की पार्टी करते हुए पकड़ा गया था जहां अवैध गतिविधियां की जा रही थीं. इस पार्टी में 50 विदेशी नागरिक भी शामिल थे.
2019 में ही दिल्ली में एक रेव पार्टी पर छापेमारी की गई थी जिसमें नाबालिग लड़के लड़कियों सहित 600 लोगों को पकड़ा गया था. इस पार्टी से भी भारी मात्रा में विदेशी शराब और संदिग्ध चीजें बरामद की गई थीं.
इसके अलावा 2020 में मुंबई में जुहू में एक क्रूज से रेव पार्टी पर छापा मारा गया था. जिसमें शाहरुख खान के बेटे सहित कई लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. हालांकि कुछ लोगों को बाद में कुछ लोगों को बेगुनाह माना गया था.
छोटे शहरों में भी पहुंचा जाल
रेव पार्टियों के जाल से छोटे शहर भी अछूते नहीं हैं. पिछले साल यानी 2022 में पुलिस ने एक रेव पार्टी पर छापेमारी कर नशे की हालत में 50 से ज्यादा युवक-युवतियों को पकड़ा था.
इस पार्टी में भोपाल के नामचीन परिवारों के बच्चे भी शामिल थे. 2016 में भी पुलिस ने इस तरह की छापेमारी कर एक रेव पार्टी का भंडाफोड़ किया था.
इसके अलावा 2016 में पटना में एक रेव पार्टी पर छापेमारी कर पुलिस ने 12 लोगों को गिरफ्तार किया था. ये सभी नशे की हालत में मिले थे.
2022 में चेन्नई में भी पुलिस की छापेमारी में एक रेव पार्टी का खुलासा हुआ था. इस पार्टी में एक शख्स बेहोश पाया गया था. दरअसल इसके अगले ही दिन ड्रग्स के ओवरडोज की वजह से इस व्यक्ति की मौत हो गई थी.
इसी तरह लगातार कई छोटे शहरों में भी अक्सर पुलिस द्वारा छापेमारी कर रेव पार्टियों का खुलासा किया जाता है.