हलाल :फिर मुसलमानों के पीछे भाजपा

हलाल :फिर मुसलमानों के पीछे भाजपा

पूरे 43 साल की भाजपा एक दशक तक देश की सत्ता में रहने के बाद भी ये तस्लीम करने के लिए राजी नहीं हैं कि देश में रहने वाले मुसलमान असली भारतीय है। भाजपा उन्हें अभी मलेच्छ और विलायती मानती है । ये बात मै नहीं कहता बल्कि भाजपा और देश के भाग्यविधाता खुद कहते और करते नजर आ रहे है। तेलंगाना में चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि यदि भाजपा सत्ता में आयी तो मुसलमानों को मिलने वाला आरक्षण खत्म कर देगी। इसी तरह उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हलाला प्रमाणीकरण के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है।

भाजपा को मुसलमानों से पैदायशी चिढ है । भाजपा ने हालही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में एक भी मुसलमान को प्रत्याशी नहीं बनाया । लोकसभा और राजयसभा में भी भाजपा के आने के बाद अब एक भी भाजपाई मुसलमान नहीं हैं। यानि जहाँ भाजपा का बस चल रहा है वहां भाजपा मुस्लिम विहीन व्यवस्था करती जा रही है । अब देश के विभिन्न सदनों में जितने भी निर्वाचित जन प्रतिनिधि हैं वे गैर भाजपा दलों के हैं। जाहिर है कि भाजपा चाहती है कि भारतीय मुसलमान भारतीय दंड संहिता के हिसाब से नहीं हिन्दू दंड संहिता के अनुरूप आचरण करें ,यदि नहीं करेंगे तो उन्हें चैन से नहीं रहने दिया जाएगा। भाजपा वैसे भी देश में समान नागरिक संहिता की पक्षधर है । हमें भी इसमें कोई आपत्ति नहीं लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने का हमारा दावा तभी सही साबित हो सकता है जब हम देश में रहने वाले तमाम लोगों को उनकी धार्मिक आस्थाओं के अनुरूप आचरण करने की छूट दें ।
सबसे पहले तेलंगाना में भाजपा के चुनाव घोषणापत्र और अमित शाह के प्रवचनों पर गौर कीजिये। अमित शाह ने पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र जारी करने के बाद चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर तेलंगाना में बीजेपी की सरकार बनती है तो वो मुस्लिम आरक्षण को खत्म कर देगी। उन्होंने कहा कि तेलंगाना देश भर में एकमात्र ऐसा राज्य है जहां मुसलमानों को धार्मिक आरक्षण देने का काम हुआ है। बीजेपी ने तय किया है कि हम तेलंगाना में गैर संवैधानिक आरक्षण को समाप्त करके ओबीसी आरक्षण बढ़ाएंगे और एससी-एसटी का भी न्यायिक आरक्षण होगा।तेलंगाना में भाजपा का कोई राजनीतिक वजूद नहीं है ,यहां भाजपा अपना कट्टर हिन्दू स्वरूप दिखाकर ध्रुवीकरण करने की नाकाम कोशिश कर रही है। भाजपा ने हमेशा यही सब किया है क्योंकि भाजपा की राजनीति का केंद्र विकास नहीं है । समभाव नहीं है। भाजपा कहने में इसलिए पीछे नहीं हटती क्योंकि जानती है कि ‘ न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी ‘

अब चलिए उत्तर प्रदेश। यहां भाजपा की सरकार को मुस्लिम संस्थाओं द्वारा किया जाने वाला ‘ हलाल ‘ प्रमाणीकरण स्वीकार्य नहीं है । सरकार ने ऐसी संस्थाओं के प्रमाणपत्रों को गैरकानूनी बताते हुए उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई शुरू कर दी है।उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा सकती है। सरकार को लगता है कि प्रदेश में कुछ कंपनियों ने हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर धंधा चला रखा है , ऐसी कंपनियां डेयरी, कपड़ा, चीनी, नमकीन, मसाले, और साबुन इत्यादि जैसे उत्पादों को भी हलाल सर्टिफाइड करके बेच रही हैं। इसलिए अब उत्तर प्रदेश सरकार हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर कड़े नियम बनाने जा रही ह। आपको बता दें कि हलाल, जिसे हल्लाल भी कहा जाता है, पारंपरिक इस्लामी कानून में वैध (जायज़) है। यह अनुमती भोजन और पेय पर अक्सर लागू होती है।

हलाल सर्टिफिकेशन देकर उत्पाद बेचने वाली कंपनियों पर हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई है. शैलेंद्र शर्मा की शिकायत पर हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाला काउंसिल आफ इंडिया मुंबई और जमीयत उलेमा महाराष्ट्र मुंबई हलाल सर्टिफिकेशन देकर सामान बेचने वाली अज्ञात कंपनियों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 120b/ 153a/ 298, 384, 420, 467, 468, 471, 505 में केस दर्ज किया गया है। भारत में कोई सरकारी संस्था ऐसा किसी तरह का सर्टिफिकेशन जारी नहीं करती है ।हमारे यहां जो प्रमाणीकरण होता है वो हिन्दू-मुसलमान नहीं देखता। वो केवल सामिष और निरामिष का भेद बताता है। हलाल और हराम का नहीं। लेकिन भाजपा को ये पसंद नहीं क्योंकि ये काम खुद सरकार नहीं कर रही। इसका लाभ सरकार को नहीं हो रहा।

आपको बता दूँ कि हलाल खाद्य उपभोक्ता खरीद के वैश्विक उद्योग खरबों अमेरिकी डॉलर का है, जो वैश्विक खाद्य और पेय बाजार के 16.6 प्रतिशत के लिए 6.9 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के साथ आगे बढ़ रहा है है।हलाल भोजन के लिए यूरोपीय संघ के बाजार में लगभग 15 प्रतिशत की अनुमानित वार्षिक वृद्धि होती है और अनुमानित अमरीकी डालर की कीमत 30 अरब डॉलर है।यानि ये एक अर्थव्यवस्था से जुडी चीज है। हलाल तैयार भोजन ब्रिटेन और अमेरिका में मुसलमानों के लिए एक बढ़ता उपभोक्ता बाजार है और खुदरा विक्रेताओं की बढ़ती संख्या के साथ पेश किया जाता है। शाकाहारी भोजन में हलाल होता है अगर उसमें अल्कोहल न हो। क्या भारत में मुसलमानों कि धार्मिक आस्थाओं के अनुसार हलाल सामग्री का उत्पादन और प्रमाणीकरण नहीं किया जाना चाहिए जबकि भारत में 20 करोड़ मुसलमान रहते हैं ? ये मुसलमान बाहर से नहीं आये । ये भारत में ही जन्मे हैं। आज के मुसलमानों कि ही पीढ़ियां थीं जिन्होंने आजादी के समय धर्म के आधार पर बने पाकिस्तान जाने के बजाय भारत में रहना पसंद किया था। क्या ऐसे मुसलमानों को उनकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खाने-पीने कि व्यवस्था नहीं की जा सकती ?

मेरे ख्याल से ये एक सियासी मुद्दा उछाला जा रहा है । इसका देश के विकास,प्रगति ,उन्नति-अवनति से कोई लेना-देना नहीं है । उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार को कितने साल हो गए,उसकी नींद अब क्यों टूटी ? देश में भाजपा कि सरकार दस साल से है उसने कभी इस विषय में कोई बात क्यों नहीं की ? जाहिर है कि भाजपा के पास भविष्य के लिए कोई प्रभावी मुद्दा नहीं बचा है इसलिए भाजपा एक निरर्थक मुद्दे के आधार पर आगे की राजनीती करना चाहती है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार हलाल के बजाय हराम में यकीन रखती है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *