क्या पति-पत्नी के बीच प्राइवेसी खत्म हो जाती है !

क्या पति-पत्नी के बीच प्राइवेसी खत्म हो जाती है, हाईकोर्ट के फैसले से समझिए इस सवाल का जवाब?
हुबली में अपने पति से अलग हो चुकी एक महिला ने पति के आधारकार्ड की जानकारी मांगने को लेकर याचिका दायर की थी. जिसे हाई कोर्ट ने निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया है.
क्या सिर्फ शादी के आधार पर एक पति या पत्नी अपने जीवन साथी के आधार कार्ड की जानकारी हासिल कर सकते हैं? इस सवाल का जवाब हाईकोर्ट ने हाल ही में एक सुनवाई के दौरान दे दिया है. दरअसल कोर्ट ने साफ कर दिया कि सिर्फ शादी इतना बड़ा कारण नहीं जिसके आधार पर एक पति या पत्नी अपने पार्टनर के AADHAR की जानकारी हासिल नहीं कर सके. 

कोर्ट ने कहा कि आप शादीशुदा है इसका मतलब ये नहीं कि आप अपने पार्टनर के निजता के अधिकार पर असर डाल सकते है. शादी किसी आधार धारक के निजता के अधिकार को प्रभावित नहीं कर सकती है और अगर आपको आपके पार्टनर के आधार की जानकारी लेनी है तो इसके लिए जो भी प्रक्रिया है उसका पालन किया जाना चाहिए.

बता दें पिछले दिनों एक और ऐसा ही मामला आया था जिसमें सवाल उठे थे कि क्या कोई पार्टनर अपने पति या पत्नी की अनुमति के बिना उसकी फोन पर किए जाने वाले बातचीत को रिकॉर्ड कर सकता है.

कोर्ट ने पति या पत्नी दोनों में से किसी एक की जासूसी पर भी अपना फैसला सुनाया था. ऐसे में एक सवाल है कि पति-पत्नी किन किन चीजों में एक दूसरे की प्राइवेसी में दखल नहीं दे सकते हैं. 

क्या है पूरा मामला 

मामला हुबली की एक महिला का है. वह अपने से अलग हो चुके पति का आधार नंबर, फोन नंबर और एनरोलमेंट नंबर हासिल करना चाहती थी. याचिकाकर्ता के अनुसार महिला के पास उनके पति का पता नहीं होने का के कारण वह फैमिली कोर्ट की तरफ से दिए गए आदेशों को लागू नहीं कर पा रही हैं. 

याचिकाकर्ता ने पति से एड्रेस के लिए 25 फरवरी, 2021 को यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) से भी संपर्क किया था, लेकिन वहां उनकी अर्जी को खारिज कर दिया गया. यूआईडीएआई ने कहा कि इसके लिए आधार एक्ट के सेक्शन 33 के तहत हाईकोर्ट के आदेश समेत अन्य चीजों की जरूरत होगी.

बाद में यह मामला सिंगल बेंच के पास भेज दिया गया. 8 फरवरी 2023 को  सिंगल बेंच ने यूआईडीएआई को  निर्देश जारी किया कि वह महिला के पति को नोटिस जारी करें.

इसके साथ ही आरटीआई एक्ट के तहत याचिकाकर्ता की याचिका पर दोबारा विचार करने के लिए भी कहा गया. महिला ने तर्क दिया कि शादी के बाद पति-पत्नी को एक-दूसरे से जुड़ी जानकारियां रख सकते हैं. 

कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्या कहा?

अब डिवीजन बेंच इस पूरे मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र किया और कहा कि अपने पति के किसी भी तरह के खुलासे से पहले दूसरे व्यक्ति को भी अपनी बात रखने की अनुमति होनी चाहिए. बेंच ने कहा कि, ‘विवाह दो लोगों के बीच का रिश्ता है, जो किसी की निजता पर असर नहीं डालता है. यह व्यक्ति का निजी अधिकार है.’ 

बता दें कि इस दंपति की शादी साल 2005 के नवंबर महीने में हुई थी और दोनों की एक बेटी भी है. जब दोनों के रिश्ते में दिक्कतें आने लगीं तो उन्होंने कानूनी प्रक्रिया का सहारा लिया. फैमिली कोर्ट ने पति को 10,000 रुपये का गुजारा भत्ता और बेटी के लिए अलग से 5,000 रुपये पत्नी को देने का आदेश दिया था.

पति-पत्नी एक-दूसरे की प्राइवेसी में नहीं दे सकते दखल

निगरानी रखना दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि, ससुराल में आने के बाद किसी शादीशुदा महिला की प्राइवेसी की मांग करना पति के प्रति क्रूरता नहीं होती है. इसको तलाक का आधार नहीं बनाया जा सकता. 

प्राइवेसी का हक  नीजता हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है. इसपर कोई निगरानी नहीं रखी जाती. ऐसे में चाहे फिर आप पति पत्नी ही क्यों न हो किसी के कमरे में बिना उनके इजाजत या बिना उन्हें जानकारी के कैमरा नहीं लगा सकते. ऐसा करना राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन माना जाता है. 

क्या है राइट टू प्राइवेसी 

राइट टू प्राइवेसी यानी निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन जीने के अधिकार का हिस्सा है. संविधान का आर्टिकल 21 भारत के सभी नागरिकों को जीवन जीने की आजादी और व्यक्तिगत आजादी के संरक्षण की व्याख्या करता है. 

इस आर्टिकल में कहा गया है, ‘किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और शरीर की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता’. हालांकि आर्टिकल 21 में ‘निजता’ के अधिकार के बारे में ज्यादा कुछ नहीं की गई है.

साल 2017 में सर्वोच्च न्यायालय की 9 जजों की पीठ ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार कहा था. सुप्रीम कोर्ट की माने तो निजता के अधिकार में शादी के लिए साथी चुनने की आजादी, अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीने की आजादी, बच्चे पैदा करने का फैसला, समलैंगिकता पर किसी व्यक्ति की राय जैसे कई मसले शामिल हैं.

पहले भी आ चुके हैं ऐसे ही मामले 

ऐसा ही एक मामला हाल ही में मध्य प्रदेश के छतरपुर से भी सामने आया था. एक महिला ने छतरपुर एसपी को शिकायत की है कि उसके पति ने बेडरूम सहित पूरे घर में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए हैं. पत्नी ने कहा कि पति के इस कदम से उसकी निजता भंग होने का खतरा है. उन्होंने कहा कि उसके पति का दूसरी महिला से अफेयर है और वह तलाक लेने के लिए उन्हें प्रताड़ित कर रहा है. 

हालांकि, पति ने कहा कि उसे महिला से ही उसे जान का खतरा है. महिला के पति ने कहा कि उसने अपनी और मां के सोने के कमरों में ही कैमरे लगवाए हैं. पत्नी अलग कमरे में सोती है, जहां कैमरा नहीं लगाया है. 

ऐसा ही एक मामला बरेली के सुभाष नगर थाना क्षेत्र का भी आया था. इस मामले में पति ने अपनी पत्नी पर नजर रखने के लिए घर में खुफिया कैमरा लगवाए थे. उस सीसीटीवी में पति ने देखा की पत्नी अपनी सास की पिटाई करती थी. इतना ही नहीं आरोपी महिला ने अपनी सास को गला दबाकर मारने की कोशिश भी की थी. मामला पुलिस तक पहुंच गया.

कैसे चेक करते हैं आधार कार्ड की हिस्ट्री 

बता दें कि UIDAI ने आधार यूजर्स को अपने आधार की हिस्ट्री चेक करने की सुविधा दी हुई. इसमें कोई भी आधार कार्ड धारक अपने आधार कार्ड की हिस्ट्री को ऑनलाइन चेक कर सकता है और अगर किसी के  आधार कार्ड में कोई गड़बड़ी होती है तो वह उसे तुरंत पकड़ सकते हैं. 

अपने आधार कार्ड की डिटेल जानने के लिए सबसे पहले आपको आधार कार्ड की अधिकारिक वेबसाइट पर होता है. इसके बाद आप My Aadhar के ऑप्शन को चुनकर सर्विस के ऑप्शन में जाए और आधार ऑथेंटिकेशन हिस्ट्री के ऑप्शन पर क्लिक करें. सामने एक नया विंडो खुल जाएगा, यहां आपको 12 अंको का आधार नंबर दर्ज करना है. इसके बाद आपको आपके रजिस्टर्ड नंबर पर ओटीपी आएगा ओटीपी दर्ज करने के बाद आप अपने आधार कार्ड की हिस्ट्री डाउनलोड कर सकते हैं.

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