कितने सही साबित होंगे पांच चुनावी राज्यों के एग्जिट पोल? 

कितने सही साबित होंगे पांच चुनावी राज्यों के एग्जिट पोल? 

मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में मतदान सम्पन्न हो चुका है। गुरुवार को तेलंगाना में हुए मतदान के साथ ही सभी राज्यों के लिए अलग-अलग एजेंसियों के एग्जिट पोल भी आ गए। इनमें तेलंगाना, मिजोरम और राजस्थान के ज्यादातर सर्वे सत्ता परिवर्तन की ओर संकेत दे रहे हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ में ज्यादातर सर्वे सत्ताधारी दल की वापसी की ओर संकेत देते हैं। सबसे रोचक मुकाबला मध्य प्रदेश में दिखाई दे रहा है। 

खिर ये सर्वे कितने सही होंगे ये जल्द सामने आ जाएगा। चार राज्यों की तस्वीर तीन दिसंबर को साफ होगी। मिजोरम में चार दिसंबर को नतीजे आ जाएंगे। ये एग्जिट पोल क्या कह रहे हैं, इसी विषय पर इस बार खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। इस बार के खबरों के खिलाड़ी में चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, प्रेम कुमार, अवधेश कुमार और समीर चौगांवकर मौजूद रहे। पढ़िए सभी का आकलन…

एग्जिट पोल देखकर लगता है कि उन्हें खुद में भरोसा नहीं है कि वो क्या कहना चाहते हैं। कुछ एग्जिट पोल ऐसे हैं, जिनमें दो पार्टियों में पांच सीटों का फर्क बता रहे हैं। वहीं, सीटों की रेंज में 20 सीटों का फर्क है। इससे पता चलता है कि इन सभी एग्जिट पोल को खुद पर ही भरोसा नहीं है। मोटे तौर पर ये एग्जिट पोल जनता का रुझान बता रहे हैं। जैसे कांग्रेस इसे ऐसे ले सकती है कि तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में वह सत्ता में आ रही है। 

एग्जिट पोल अंतिम परिणाम नहीं होते हैं। एग्जिट पोल मतदान से निकलकर आ रहे लोगों से बातचीत पर आधारित होता है। अगर ये सही तरीके से हो तो ये नतीजों के काफी करीब हो सकते हैं। जहां तक मध्य प्रदेश की बात है तो जहां कांटे की टक्कर हो, वहां सीटों का अनुमान लगा पाना काफी मुश्किल होता है। राजस्थान में ज्यादातर एजेंसियों ने बताया है कि नतीजे भाजपा के पक्ष में जाते दिख रहे हैं। मध्य प्रदेश में लगभग सभी ने भाजपा को कांग्रेस से आगे दिखाया है। 

किसी पर दोष देने के बजाय हमें ये देखना होगा कि समाज में लगातार बदलाव हो रहे हैं। 21वीं सदी में एक बहुत बड़ा बदलाव हुआ है। वैचारिक रूप से सभी ने यह स्वीकार कर लिया है कि लेफ्ट और राइट का मतलब लगभग खत्म हो गया है। सारा मामला प्रदर्शन पर आ चुका है। सभी पार्टियों ने यह समझ लिया है। सब ने यह समझ लिया है कि अगर हम जनता का काम नहीं करेंगे तो जनता हमें बाहर कर देगी। इसके चलते सरकारें परफॉर्म करने लगीं। जिस भी सरकार ने काम किया, उसके लिए एंटी एनकंबेंसी प्रो एनकंबेंसी में बदलने लगी। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि अगर आप परफॉर्म करते हुए दिखते हैं तो रिवाज भी बदल सकते हैं।  

मध्य प्रदेश में कमलनाथ यह नहीं बता सके कि उन्होंने डेढ़ साल के कार्यकाल में क्या किया। सत्ता गंवाने के बाद दिग्विजय सिंह और कमलनाथ एकजुट होकर प्रचार नहीं कर पाए। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी उतना सक्रिय नहीं दिखा। वहीं, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और स्थानीय संगठन ने मिलकर काम किया। इसी वजह से परिणाम उसके पक्ष में आ सकते हैं। 2018 के परिणाम जैसे थे, इस बार भी उसी के आसपास रहे तो आश्चर्य नहीं होगा। 

छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में ज्यादातर एग्जिट पोल कांग्रेस की सरकार बनाते दिख रहे हैं। वहीं, राजस्थान और मध्य प्रदेश में सभी एग्जिट पोल कन्फ्यूज कर रहे हैं। इस बार खासतौर पर मध्य प्रदेश और राजस्थान में काफी रोचक मुकाबला था। 2018 की बात करें तो सिर्फ एक एजेंसी को छोड़कर किसी ने नहीं कहा था कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बन रही है।

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