वसुंधरा राजे और योगी बालकनाथ का नाम सीएम रेस से बाहर?

वसुंधरा राजे और योगी बालकनाथ का नाम सीएम रेस से बाहर?
राजस्थान में ‘राजतिलक’ के लिए अब कौन-कौन बचा
अब तक राजस्थान में जिन दो बड़े चेहरे को मुख्यमंत्री पद सौंपे जाने की चर्चा थी उनमें से एक को केंद्रीय नेतृत्व महत्व नहीं दे रही है और एक के हालिया ट्वीट ने इन चर्चाओं पर लगभग फुल स्टॉप लगा दिया है.
राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम की घोषणा के बाद से ही प्रदेश की सियासत में सवाल गूंजने लगा की आखिर सीएम की कुर्सी किसे मिलेगी. यानी कौन होगा राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री. 

अब तक प्रदेश के सीएम उम्मीदवारों की लिस्ट में से जिन दो बड़े चेहरे को मुख्यमंत्री पद सौंपे जाने की चर्चा थी, उनमें से एक ‘वसुंधरा राजे सिंधिया’ को केंद्रीय नेतृत्व ज्यादा महत्व नहीं देना चाहती है और बाबा बालकनाथ योगी का सांसदी से इस्तीफे ने इन चर्चाओं पर लगभग फुल स्टॉप लगा दिया है. सियासी गलियारों में चर्चा तो इस बात की भी है कि राजस्थान में बीजेपी अब नए चेहरे पर दांव लगाने पर विचार कर रही है.

ऐसे में इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर वसुंधरा राजे और योगी बालकनाथ के सीएम रेस से बाहर होने की चर्चा क्यों हो रही है और अब कौन कौन से दिग्गज इस रेस में शामिल हैं…

अब तक सीएम लिस्ट में किन नेताओं का नाम था शामिल

  • वसुंधरा राजे सिंधिया
  • बाबा बालकनाथ योगी
  • गजेंद्र सिंह शेखावत
  • दीया कुमारी
  • अश्विनी वैष्णव

योगी बालकनाथ कैसे हुए लिस्ट से बाहर

योगी बालकनाथ ने राजस्थान के तिजारा सीट से विधानसभा चुनाव जीता है. उनके इस सीट पर जीत हासिल करने के साथ ही कयास लगाया जाने लगा कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह ही राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी योगी बालकनाथ को सौंपी जाएगी. लेकिन राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के तिजारा से नव निर्वाचित विधायक बाबा बालक नाथ का एक ट्वीट आया है. 

इस ट्वीट में उन्होंने संदेश दे दिया है कि वह मुख्यमंत्री की कुर्सी की रेस से बाहर हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि उन्हें अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में काम करना है. 

योगी बालकनाथ ने ट्वीट में लिखा, ‘पार्टी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जनता-जनार्दन ने पहली बार सांसद व विधायक बना कर राष्ट्र सेवा का अवसर दिया. चुनाव परिणाम आने के बाद से मीडिया व सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं को नजरअंदाज करें. मुझे अभी प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में अनुभव प्राप्त करना है.’

 

योगी बालकनाथ ने अपने इस ट्वीट से साफ कर दिया कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की जितनी भी चर्चाएं चल रही हैं. वह सिर्फ अफवाह ही है. 

वसुंधरा राजे से क्यों नाराज है आलाकमान 

राजस्थान में चुनाव परिणाम को आए पांच दिन बीत चुके हैं. इन पांच दिनों के दौरान मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए एक दर्जन से ज्यादा नेताओं के नाम सामने आ चुके हैं, लेकिन तस्वीर अब भी धुंधली ही नजर आ रही है. सीएम के तमाम नामों के बीच वसुंधरा राजे सबसे बड़ा नाम है. राजस्थान की सियासत में वसुंधरा कितना बड़ा चेहरा हैं ये तो पूरा देश जानता है. हालांकि वसुंधरा ने 5 साल तक केंद्रीय नेतृत्व से लगभग दूरी बनाए रखने के बाद अब मुख्यमंत्री बनने के लिए दबाव बनाना शुरू किया है, जो केंद्रीय नेतृत्व को अच्छा नहीं लग रहा है.

चुनाव परिणाम आने के बाद से ही वसुंधरा राजे की सीएम दावेदारी के समर्थन में लगातार विधायक लामबंद होते नजर आए. इतना ही नहीं उनके जयपुर के निवास में पिछले दिनों 50 से ज्यादा विधायकों ने पहुंचकर मुलाकात भी की थी. इस मुलाकात के बाद चर्चा हुई की वसुंधरा का ये शक्ति प्रदर्शन सीएम पोस्ट पर दावेदारी को लेकर है.

इस बीच केंद्रीय आलाकमान ने 7 दिसंबर यानी गुरुवार को वसुंधरा को दिल्ली बुलाया. दिल्ली पहुंचकर उनकी मुलाकात भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से हुई. इन दोनों के बीच करीब 80 मिनट तक बातचीत हुई. इस मुलाकात के बाद जब वसुंधरा राजे वापस राजस्थान लौटीं, तो वह मुस्कुरा रही थीं. उन्होंने मीडिया या पत्रकारों के सामने कुछ भी नहीं कहा. 

क्या वसुंधरा को मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहती बीजेपी?

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद से ही वसुंधरा राजे ने केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिया था. उस वक्त वसुंधरा राजे को मनाने की तमाम कोशिशें हुईं. उन्हें केंद्र में शामिल होने तक का ऑफर दिया गया, लेकिन वह नहीं मानीं. उनके इस अड़ियल बर्ताव को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने अपने विश्वस्त चेहरों को राज्य में सेट करने की जुगत लगाना शुरू कर दिया.

इस बार चुनाव में कई सांसदों ने जीत दर्ज की है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के काफी करीबी हैं. ऐसे में अगर वसुंधरा को मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो दिल्ली के ये नेता हमेशा राह में रोड़ा बने रहेंगे जो सरकार के लिए मुश्किल होगा.

प्रेशर पॉलिटिक्स का दांव पड़ा उलटा

इसके अलावा ऐसा दावा किया जा रहा है कि वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह ने चुनाव परिणाम के बाद अपने समर्थक विधायकों को रिसोर्ट में लेकर गए. उनका ऐसा कदम केंद्रीय नेतृत्व के बीच बहुत गलत संदेश पहुंचाने का एक और कारण बना. 

दरअसल किशनगंज विधायक ललित मीणा के पिता हेमराज मीणा ने हाल ही में इसका खुलासा किया. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे और सांसद दुष्यंत सिंह ने बीते मंगलवार को कुछ विधायकों को वसुंधरा राजे से मिलाने के लिए जयपुर लाए थे. उन्होंने बताया कि इस मुलाकात के दौरान उन्हें सीकर रोड के ‘आपणो राजस्थान’ रिसोर्ट में ठहराया गया था. 

नए मुख्यमंत्री की तलाश के लिए राजनाथ की एंट्री

वर्तमान में राजस्थान के सीएम की रेस में दीया कुमार, राज्यवर्धन सिंह राठौर के अलावा ओम माथुर, अर्जुन राम मेघवाल, सीपी जोशी, गजेंद्र सिंह शेखावत और अश्विनी वैष्णव का नाम लिया जा रहा है. हालांकि ये देखना दिलचस्प होगा कि इन तीनों में से किसे सीएम की कुर्सी मिलेगी. या फिर चौंकाने वाले फैसले लेने वाली पार्टी बीजेपी एक बार फिऱ कोई ऐसा फैसला लेती है जो सबको चौंका कर रख देगा. 

फिलहाल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद को लेकर किसी भी तरह के सियासी घमासान को रोकने के लिए ही केंद्रीय नेतृत्व ने राजनाथ सिंह को पर्यवेक्षक बनाकर राजस्थान भेजा है. राजनाथ सिंह के साथ राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े भी राजस्थान पहुंचे है.

कितने सीटों पर मिली जीत 

रविवार 3 दिसंबर की देर रात तक राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए. इस चुनाव परिणाम के तहत प्रदेश की 115 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का ‘कमल’ खिल गया. 115 सीटों के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव में बाजी मार ली. वहीं कांग्रेस की बात करें तो यहां कांग्रेस के हाथ केवल 69 सीट ही लगीं. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के कई प्रत्याशियों के खिलाफ बड़ी जीत दर्ज की, तो कई प्रत्याशियों के बीच जीत का अंतर बहुत कम रहा.

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