एक सिग्नेचर और 88 लाख यूक्रेनी बन गए रूसी नागरिक!
पुतिन की बड़ी कामयाबी…
200 से ज्यादा दिनों से Russia और Ukraine के बीच जारी जंग के बीच आखिर यह घोषणा क्यों अहम है? वो चार शहर कौन से हैं, जो अब रूस का हिस्सा होंगे? इस घोषणा से क्या दुनिया का मैप बदल गया है?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए शुक्रवार का दिन बड़ी कामयाबी लेकर आया है. सारी धमकियों को इग्नोर करते हुए राष्ट्रपति ने यूक्रेन के चार शहरों को आधिकारिक रूप से रूस में शामिल करने की संधि पर हस्ताक्षर कर दिए. क्रेमलिन में इस मौके पर बड़े समारोह का आयोजन किया गया. 200 से ज्यादा दिनों से यूक्रेन से जारी जंग के बीच आखिर यह घोषणा क्यों अहम है? वो चार शहर कौन से हैं, जो अब रूस का हिस्सा होंगे? इस घोषणा से क्या दुनिया का मैप बदल जाएगा? यूक्रेन पर इसका क्या असर होगा? इन सवालों के जवाब खबर में आगे आपको मिलेंगे.
कितना फीसदी हिस्सा कब्जाया
पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादी दोनेत्स्क और लुहांस्क क्षेत्र को 2014 में आजादी की घोषणा के बाद से ही रूस का समर्थन मिला था. यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप के विलय के कुछ हफ्तों बाद ही रूस ने यह कदम उठाया था. क्रेमलिन-नियंत्रित रूसी संसद के दोनों सदनों की अगले हफ्ते बैठक होगी, जिसमें इन क्षेत्रों को रूस में शामिल किए जाने के लिए संधियों पर मुहर लगाई जाएगी. फिर इन्हें मंजूरी के लिए पुतिन के पास भेजा जाएगा. ये चार शहर यूक्रेन का करीब 15 फीसदी क्षेत्रफल है, यानी इसके बाद यूक्रेन का क्षेत्रफल घटकर 85 फीसदी ही रह जाएगा. अब आगे जानते हैं उन शहरों के बारे में जिन्हें कब्जाया गया है.
डोनेत्स्क और लुहांस्क
- रूस के समर्थन वाले ये दोनों शहर 2014 से ही खुद को स्वायत्त मानते हैं और लगातार यूक्रेनी सेना से लड़ने में लगे हुए हैं. पुतिन भी इसे एक ‘स्वतंत्र क्षेत्र’ के रूप में मान्यता देता है.
- इसी साल 21 फरवरी को रूस ने इसे सुरक्षा देने का ऐलान भी किया था. अपनी सरकार के नुमाइंदों के माध्यम से रूस लगभग पूरे लुहांस्क पर और करीबन 60 फीसदी डोनेत्स्क पर कब्जा जमाए हुए है.
- डोनेत्स्क और लुहांस्क की आबादी 60 लाख से ऊपर है. इन शहरों को संयुक्त रूप से डोनबास कहा जाता है और यहां कोयला खदानों से लेकर बड़ी-बड़ी फैक्टरियों पर रूस का ही कब्जा है.
खेरसॉन
- यूक्रेन के इस शहर की आबादी 10 लाख से थोड़ी ज्यादा है. यह रूस के कब्जे वाले क्रिमिया के पास में है. जंग में रूस ने यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर को खूब नुकसान पहुंचाया है. यहां निप्रो नदी पर पुल उड़ा दिया गया ताकि इसका संपर्क कट जाए.
- खेरसॉन में लोगों ने रूस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया. मगर रूस ने लंबे समय से यहां लोगों को अपने पासपोर्ट देने शुरू कर दिए थे. आलम यह है कि यहां यूक्रेनी मुद्रा के साथ रूसी रूबल भी चलते हैं.
जापोरिज्जिया
- न्यूक्लियर पावर प्लांट पर हमला करने के बाद जापोरिज्जिया की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. करीब 16 लाख आबादी वाले इस शहर में दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट है.
- हमले में पावर प्लांट को नुकसान पहुंचने की वजह से पूरे यूरोप में ऊर्जा संकट पैदा हो गया. यहां तक कि रेडिएशन का खतरा भी बढ़ गया था. यहां के 70 फीसदी हिस्से पर रूस का ही कब्जा है.
आखिर कैसे कब्जाए 4 शहर
- आपको इस बात की हैरानी हो सकती है कि सात महीने से बंदूक के दम पर पुतिन यूक्रेन पर कब्जा नहीं कर पाए हैं. फिर आखिर कैसे एक संधि से चार शहर रूस के हिस्से में कर लिए?
- मॉस्को ने यह काम कोई एक दिन में नहीं किया. अपने ‘Russify’ सपने को पूरा करने के लिए उसने 2019 से ही यहां के हजारों नागरिकों को रूसी पासपोर्ट देना शुरू कर दिया था.
- यही नहीं यूक्रेन की मुद्रा हरवनिया (Hryvnia) को लगभग यहां से खत्म कर उसकी जगह रूसी मुद्रा रूबल (Rouble) को खड़ा कर दिया है. खेरसॉन और जापोरिज्जिया में यह करेंसी खूब चलती है.
- इन चारों शहरों में यूक्रेनी टीवी और मोबाइल फोन नेटवर्क कट हो चुके हैं. यहां सिर्फ रूसी चैनल और मोबाइल नेटवर्क काम करते हैं. यहां जो स्कूल हैं, वो भले ही यूक्रेन में हैं, लेकिन पढ़ाया रूसी पाठ्यक्रम ही जाता है.
- डोनत्स्क और लुहांस्क के अपने झंडे हैं, जो कि जल्द ही रूसी झंडे से बदल दिए जाएंगे. खेरसॉन और जापोरिजिज्जिया में भी यही होने वाला है.