ग्वालियर : मंदिरों की जमीन का बंदरबांट का सच नहीं आ सका सामने !

मंदिरों की जमीन का बंदरबांट का सच नहीं आ सका सामने, क्योंकि एसडीएम ने जांच पूरी नहीं की
जिले के माफी औकाफ मंदिरों की जमीन की छह महीने बाद भी जांच पूरी नहीं हो सकी है। इस कारण मंदिर की कितनी जमीन का पुजारी व माफिया ने मिलकर बंदरबांट कर लिया है। मंदिरों की सरकारी जमीन निजी हो गई है। इसका सच सामने नहीं आ सका है। मंदिरों की जमीनों को खुर्दबुर्द करने की करीब 20 शिकायतें प्रशासन के पास पहुंच चुकी है। संयुक्त कलेक्टर ने फिर से एसडीएम को पत्र लिखा है और निर्देशित किया है कि मंदिरों की जमीन जांच रिपोर्ट जल्द पेश की जाए।
दरअसल आजादी के बाद जिले के 865 मंदिरों 4290 हेक्टेयर भूमि दी गई थी। इन जमीनों की निगरानी माफी ऑकाफ विभाग बनाया गया है। विभाग को ही इनकी निगरानी करनी थी, लेकिन माफी औकाफ ने मंदिरों की जमीनों पर ध्यान नहीं दिया। धीरे-धीरे राजस्व विभाग के अमले ने मंदिरों के खसरों में बदलाव किए। 60 से 70 के दशक में जो जमीने मंदिरों के नाम थी, वह निजी दर्ज हो गई। शहरी क्षेत्र की जमीनों में ज्यादा धांधली हुई है। राम जानकी मंदिरों के नाम से जो जमीनें थी, उनमें हेराफेरी की गई है। जुलार्ई 2023 में शहरी क्षेत्र के मंदिरों की जांच का निर्णय लिया गया था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के मंदिरों की जमीन की भी शिकायतें आने लगी तो जांच का दायरा बढ़ाय गया। हर अनुभाग के एसडीएम को अपने क्षेत्र के मंदिरों की जांच करनी है।
जिले में मंदिर व उनके नाम कितनी जमीनें

ग्वालियर तहसील
-183 राजस्व ग्रामों में 352 धर्म स्थल हैं। इन धर्म स्थलों के नाम 1091.79 हेक्टेयर भूमि नाम है।
डबरा तहसील
-123 राजस्व ग्रामों में 285 धर्म स्थल हैं। इनके धर्म स्थल के नाम 2122.47 हेक्टेयर जमीन है। इस तहसील के गांवों में मंदिरों की जमीन को खुर्दबुर्द करने के मामले सामने आ चुके हैं।
भितरवार तहसील
-117 राजस्व ग्रामों में 228 धर्मस्थलों के नाम 1076.65 हेक्टेयर जमीन है। भितरवार में मंदिरों के नाम बड़े रकवे मौजूद हैं। जिसके यहां भी जमीनें खुर्दबुर्द हुई हैं।
– चुनाव की व्यस्तता के चलते जांच नहीं हो सकी थी। गुरुवार को मंदिरों की जांच पूरी कर रिपोर्ट के लिए फिर से पत्र जारी किया है। निर्देशित किया गया है कि एसडीएम जल्द रिपोर्ट पेश करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *