मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हार के बाद कांग्रेस में क्या कुछ बदला?

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हार के बाद कांग्रेस में क्या कुछ बदला?
तीन राज्यों में मिली हार के बाद कांग्रेस में बदलाव देखने को मिला है. जहां पार्टी मध्यप्रदेश में जातीय समीकरण को साधने की कोशिश कर रही है वहीं छत्तीसगढ़ में भी बदलाव की ओर बढ़ रही है.
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. तीनों राज्यों में कांग्रेस को जीत की उम्मीद थी, लेकिन इतनी बड़ी हार के बारे में किसी ने नहीं सोचा था. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी में फेरबदल किया है.

विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस कमेटी के चीफ पद से कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया था वहीं कांग्रेस ने इसके तुरंत बाद राऊ से 49 वर्षीय विधायक जीतू पटवारी को फौरी तौर पर मध्य प्रदेश कांग्रेस चीफ बनाने का फैसला लिया.

कांग्रेस नेता हेमंत कटारे उप नेता प्रतिपक्ष बने तो उमेश सिंघार को विपक्ष का नेता बनाने का फैसला लिया गया. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस ने 69 वर्षीय चरण दास महंत को विधायक दल का नेता चुना है. हालांकि राज्य में दीपक बैज अब भी कांग्रेस अध्यक्ष बने रहेंगे.

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के इस फैसले में ओबीसी, ब्राह्मण और आदिवासी समीकरण साफ नजर आ रहा है. इसके अलावा बीजेपी की ही तरह कांग्रेस ने बड़े नेताओं को शिर्ष पदों से हटाकर, युवाओं को आगे लाने का काम करके राज्य में एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है.

जीतू पटवारी ही क्यों?
मध्यप्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने ओबीसी समुदाय को साधने की कोशिश की है. वहीं जीतू पटवारी भी ओबीसी समुदाय से आते हैं, ऐसे में कांग्रेस जीतू पटवारी को अध्यक्ष बनाकर कहीं न कहीं ओबीसी समुदाय को साधने की कोशिशों में लग गई है.

दूसरी ओर मोहन यादव मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ क्षेत्र से आते हैं, जहां राज्य की 66 विधानसभा सीटें हैं.

जीतू पटवारी भी मालवा-निमाड़ क्षेत्र से आते हैं. कहीं न कहीं उन्हें पार्टी ने मोहन यादव को टक्कर देने के लिए चुना है. जीतू पटवारी राहुल गांधी के भी करीबी माने जाते हैं. उन्हें इस महत्वपूर्ण पद के लिए चुनने का एक कारण उनकी राहुल गांधी से करीबी भी मानी जा रही है.

पटवारी राहुल गांधी से अच्छे संबंध रखते हैं, ऐसे में अंदरूनी सूत्रों की मानें तो उनका इस पद के लिए चुना जाना किसी के लिए चौंकाने वाला नहीं है.

चुनाव के दौरान भी पटवारी को कांग्रेस के चुनावी अभियान का सह अध्यक्ष बनाया गया था, उनकी जन आक्रोश रैलियों में भी अच्छी खासी भीड़ जुट रही थी. जीतू पटवारी ने शिवराज सिंह चौहान को पुलिस, शिक्षक और पटवारी भर्ती के कथित घोटाले में भी घेरने की खूब कोशिशें कीं.

हालांकि इसके बावजूद बीजेपी की मधु वर्मा से वो 35 हजार से अधिक वोटों से हार गए.  वहीं मध्यप्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कमलनाथ जीतू पटवारी को ये बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने से ज्यादा खुश नजर नहीं आ रहे हैं.

कमलनाथ उस दिन कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए, जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक लाइन का प्रस्ताव पेश कर पटवारी को राज्य का कांग्रेस अध्यक्ष बनाया.

वहीं विपक्ष नेता बनाए गए उमंग सिंघार को धार की गंधवानी सीट से जीत हासिल हुई है, वो आदिवासी समाज से आते हैं. वहीं हेमंत कटारे कांग्रेस नेता और स्वर्गीय सत्यदेव कटारे के बेटे हैं. उन्होंने भी अटेर सीट से जीत हासिल की है. कटारे ब्राह्मण समाज से आते हैं. इसे देखते हुए ये कहा जा रहा है कि कांग्रेस भी बीजेपी की तरह जातीय समीकरण को साधने की कोशिश कर रही है.

कमलनाथ और दिग्विजय को क्या मिलेगा?
अब सवाल ये उठ रहे हैं कि मध्यप्रदेश में पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को क्या मिलेगा. 14 दिसंबर को छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने कहा था कि मैं रिटायर नहीं होने वाला हूं, लेकिन एबीपी न्यूज को कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने बताया है कि फिलहाल पार्टी कमलनाथ को कोई पद देने के मूड में नहीं है.

इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह राज्यसभा में ही बने रहेंगे. फिलहाल पार्टी  उन्हें भी कोई बड़ा रोल देने के मूड में नहीं है.

छत्तीसगढ़ में क्या बदला?
कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में भी बदलाव किया है. राज्य में 69 साल के चरण दास महंत को विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाया है. बीबीसी से हुई बातचीत में कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया है कि कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने महंत को विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाने की मंजूरी दे दी है.

महंत को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया है. हालांकि लोकसभा सांसद दीपक बैज को राज्य का कांग्रेस अध्यक्ष बनाए रखा गया है.

बता दें चरण दास महंत छत्तीसगढ़ के उन 5 नेताओं में से एक हैं जो इस चुनाव में अपनी सीट को बचाने में कामयाब रहे हैं. कांग्रेस की दूसरी पीढ़ी के नेता माने जाने वाले महंत विधानसभा स्पीकर रह चुके हैं. वो पक्ष को विपक्ष को दोनों को साधने वाले नेता हैं. बीजेपी भी उनके निष्पक्ष रुख का समर्थन कर चुकी है.

महंत के पिता बिसाहू दास महंत छत्तीसगढ़ के सबसे लंबे समय तक विधायक रहने वाले नेताओं में से एक थे. जब मध्यप्रदेश का विभाजन नहीं हुआ था उस वक्त वो कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. महंत केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं इसके अलावा वो तीन बार से लोकसभा सांसद हैं. उन्होंने पीएचडी की है और वो सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं.

2013 में जब झीरम घाटी में एक नक्सली हमले में पूरे कांग्रेस नेतृत्व को मार दिया गया था तो तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महंत को राज्य में कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने के लिए दी थी. उस हमले में राज्य के तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल को भी मार दिया गया था.

राजस्थान में कांग्रेस का क्या हाल?
नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राजस्थान में भी बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. 199 सीटों में से पार्टी को महज 69 सीटों पर जीत मिली. ऐसे में सूत्रों की मानें तो पार्टी राजस्थान में भी युवाओं को आगे लाने की तैयारी कर रही है. अशोक गहलोत पार्टी को इस बार जीत दिलाने में कामयाब नहीं हुए. ऐसे में खबरे हैं कि पार्टी उनसे खुश नहीं है. वहीं खबरों की मानें तो राजस्थान में कांग्रेस आलाकमान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का चीफ बदलने की भी तैयारी कर रहा है.      

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *