दो-तिहाई विपक्षी सांसदों का निलंबन ?
दो-तिहाई विपक्षी सांसदों का निलंबन, लोकसभा में विचार के लिए रखे गए आपराधिक कानून विधेयक, क्या बोले कांग्रेस नेता?
कई विपक्षी सांसदों के निलंबन के दौरान सरकार ने आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए 3 विधेयकों को लोकसभा में विचार के लिए रखा है. कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है.
केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार (19 दिसंबर) को लोकसभा में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 को विचार और पारित करने के लिए रखा गया.
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मोदी सरकार नहीं चाहती है कि देश के लोग विपक्ष की बात सुनें, जबकि इन विधेयकों पर बहस और विचार-विमर्श किया जाता है.
क्या कुछ बोले मल्लिकार्जुन खरगे?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार (19 दिसंबर) को अपने X हैंडल से एक पोस्ट में कहा, ”संसद से कुल 141 विपक्षी सांसदों का निलंबन हमारे इस आरोप की पुष्टि करता है कि निरंकुश बीजेपी देश में लोकतंत्र को ध्वस्त करना चाहती है…”
उन्होंने लिखा, ”…हम सभी जानते हैं कि आपराधिक कानून संशोधन जैसे प्रमुख विधेयक, जो कठोर शक्तियों वाले हैं और नागरिकों के अधिकारों में बाधा डालते हैं, सूचीबद्ध हैं. मोदी सरकार नहीं चाहती कि भारत के लोग विपक्ष की बात सुनें, जबकि इन विधेयकों पर बहस और विचार-विमर्श किया जाता है. इसलिए उन्होंने लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए सस्पेंड करने, बाहर फेंकने और बुलडोजर चलाने की रणनीति अपनाई है!”
उन्होंने लिखा, ”गंभीर सुरक्षा उल्लंघन पर केंद्रीय गृह मंत्री के संसद में बयान और उस पर विस्तृत चर्चा के बारे में हमारी सरल मांगें जैसी की तैसी बनी हुई हैं.”
किस विधेयक को किससे बदला जाना है?
बता दें कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता अधिनियम 1898 को भारतीय न्याय संहिता से, भारतीय दंड संहिता 1860 को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता से और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को भारतीय साक्ष्य अधिनियम विधेयक से बदलने के लिए इन्हें अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था. बाद में उन्हें वापस ले लिया गया था और पिछले हफ्ते विधेयकों का नया संस्करण निचले सदन में पेश किया गया था. नए विधेयकों पर मंगलवार दोपहर को विचार किया गया.
कांग्रेस नेता मनीष तिवार ये बोले
निलंबित किए गए सांसदों में से एक कांग्रेस के मनीष तिवारी ने नए आपराधिक कानूनों पर विधेयक को लेकर कहा कि संसद को अवैध कर दिया गया है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, तिवारी ने कहा, ”यह संसद में सबसे कठोर कानून पारित करने का ढांचा तैयार करने के लिए है जो इस देश को एक पुलिस स्टेट में बदल देगा.”
क्या है सरकार का रुख?
वहीं, सरकार ने दावा किया है कि प्रस्तावित आपराधिक कानून जन-केंद्रित हैं और उनका मुख्य उद्देश्य नागरिकों के संवैधानिक, मानवीय और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करना है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि ब्रिटिश शासन के दौरान लाए गए कानूनों के उलट तीन विधेयकों का उद्देश्य सजा देने के बजाय न्याय प्रदान करना है.