विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। न्याय की आखिरी उम्मीद में आम नागरिक के कदम खुद-ब-खुद अदालत की चौखट की तरफ बढ़ते हैं। सुलभ व जल्द न्याय हर व्यक्ति की चाहत है, लेकिन इसके उलट कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते-काटते आम नागरिक की उम्र कट जाती है पर मुकदमे का निपटारा नहीं होता।

लोक सभा व राज्यसभा में कानून मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए जुलाई 2023 तक के लंबित मुकदमों व रिक्त पदों की संख्या के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो न्यायिक प्रणाली की हकीकत हैरान करने वाली तस्वीरें पेश करती हैं। हालांकि, अदालतों को आधुनिक करने से जुड़े आंकड़े भविष्य में बेहतर न्यायिक प्रणाली की नींव रखने का भी संदेश भी देती हैं। पेश है एक रिपोर्ट….

जिला अदालतों में लंबित फौजदारी व आपराधिक मामले

(ये आंकड़े 15 जुलाई 2023 तक के हैं।)

देश की जिला व सहयोगी अदालतों में कुल लंबित मामले

राज्य व केंद्र शासित प्रदेश

कुल फौजदारी 11040184
कुल आपराधिक 33156931
कुल लंबित मामले 44197115

(ये आंकड़े 15 जुलाई 2023 तक के हैं।)

जुलाई 2023 तक लंबित मामले
अदालत दस साल से लंबित मामले 15 साल से लंबित मामले 20-30 से लंबित मामले 30 से अधिक समय से लंबित मामले
हाई कोर्ट 183146 111847 217010 71204
जिला व सहयोगी अदालतें 873587 309792 520588 101837

28 जुलाई 2023 तक हाई कोर्ट में खाली पद

यह भी जानें
  • सुप्रीम कोर्ट- एक मई 2014 से 10 जुलाई 2023 तक 56 जज की नियुक्ति की गई
  • हाई कोर्ट में एक मई 2014 से 10 जुलाई 2023 तक 919 जज की नियुक्ति की गई और 653 अतिरिक्त जज को स्थायी किया गया
  • हाई कोर्ट में स्वीकृत पदों की संख्या मई 2014 में 906 पदों को अब तक बढ़ाकर 1114 किया गया
जिला व सहयोगी अदालतों में न्यायधीशों की क्षमता
वर्ष स्वीकृत क्षमता कार्यरत क्षमता
31 दिसंबर 2013 19518 15115
21 जुलाई 2023 25246 19858

नंबर गेम-
  • जिला व सहयोगी अदालतें हुई कम्प्यूटराइज- 18735
  • 3240 कोर्ट काम्प्लेक्स और 1272 संबंधित जेल में वीडियो कान्फ्रेंसिंग की सुविधा
  • अधिवक्ताओं को सुविधा के लिए ई-सेवा केंद्र की स्थापना- 815
  • 18 राज्य व केंद्र शासित प्रदेश में वर्चुअल अदालतों की स्थापना-22
  • इनमें से कुल 3.113 मुकदमे हैंडल किए गए और 408 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया

लोक अदालतों में लंबित मामले