22 हजार वर्गफीट पर निर्माण, 6 हजार पर बताया, 71 लाख की स्टाम्प ड्यूटी व पंजीयन शुल्क की चोरी

22 हजार वर्गफीट पर निर्माण, 6 हजार पर बताया, 71 लाख की स्टाम्प ड्यूटी व पंजीयन शुल्क की चोरी

तहसीलदार की रिपोर्ट पर की गई गणना नोटिस देने पर पक्षकारों ने राशि जमा कराई

ग्वालियर. जिला पंजीयक ने ग्राम बरौआ पिछोर के चार सर्वे नंबर की संपत्ति की बिक्री में स्टाम्प ड्यूटी व पंजीयन शुल्क की चोरी की गणना पूरी कर दी है। इस संपत्ति में 71 लाख रुपए के पंजीयन शुल्क, स्टाम्प ड्यूटी की चोरी निकली है। इस गणना के बाद खरीदार को नोटिस जारी किए गए तो उसने स्टाम्प ड्यूटी व पंजीयन शुल्क सहित ब्याज की राशि विभाग में जमा कर दी। अब इस प्रकरण की रिपोर्ट महानिरीक्षक पंजीयन (आइजी) को भेजी जा रही है। इस दस्तावेज में बड़ी स्टाम्प ड्यूटी की चोरी की गई थी। पत्रिका ने 6 सितंबर-2023 को स्टाम्प ड्यूटी चोरी की खबर प्रकाशित की थी। इस खबर पर आइजी पंजीयन ने संज्ञान लिया था।

पटवारी हल्का नंबर 43 के ग्राम बरौआ पिछोर (सिथौली) सर्वे क्रमांक 72, 73/2, 73/3, 73/1 की जमीन की रजिस्ट्री 26 अगस्त-2022 को हुई थी। यह संपत्ति फायनेंस कंपनी के पास गिरवी रखी थी और फायनेंस कंपनी ने नीलाम कर बेची थी। दस्तावेज का पंजीयन होने के बाद लंबे समय तक इसकी जानकारी बाहर नहीं आई। यह संपत्ति दीपक सिंह की थी। जब रजिस्ट्री की जानकारी दीपक सिंह को मिली तो जिला पंजीयक कार्यालय पहुंचे और जिला पंजीयक को संपत्ति का ब्यौरा दिया, उसे देखकर जिला पंजीयक भी हैरान रह गए। संपत्ति का आंकलन किया गया तो बड़ी स्टाम्प ड्यूटी चोरी नजर आ रही थी, जिसके चलते उस वृत्त के तहसीलदार से रिपोर्ट मांगी गई। चुनाव के बाद तहसीलदार ने रिपोर्ट दी। तहसीलदार की रिपोर्ट पर संपत्ति की स्टाम्प ड्यूटी व पंजीयन शुल्क की गणना की तो 71 लाख रुपए की चोरी निकली

ऐसे की गई स्टाम्प ड्यूटी व शुल्क की चोरी

भूमि पर करीब 22 हजार स्क्वायर फीट का निर्माण था, लेकिन दस्तावेज में 6 हजार स्क्वायर फीट का निर्माण बताया गया। भवन तीन मंजिला था, लेकिन रजिस्ट्री में एक मंजिला बताया गया। पक्के निर्माण की स्टाम्प ड्यूटी बचाई गई।

जमीन पर जो भवन बना था, उसमें कॉलेज संचालित था।

जमीन सड़क किनारे थी, लेकिन इसे सड़क से अंदर की ओर बता दिया गया। इससे स्टाम्प ड्यूटी व पंजीयन शुल्क बचाया गया।

भूमि का डायवर्सन था, लेकिन कृषि भूमि बताया गया। हालांकि डायवर्सन का शुल्क पक्षकार ने दिया था।

संपत्ति की रजिस्ट्री का लेखन गौरी शंकर मित्तल ने किया। जबकि पंजीयन तत्कालीन उप पंजीयक दुष्यंत दीक्षित ने किया।

ऐसे छिपाए गए तथ्य

दस्तावेज लेखक ने जब दस्तावेज का लेखन किया तो सड़क व पक्के निर्माण को छिपा लिया, जबकि फोटो में यह स्पष्ट दिख रहा था।

जब उप पंजीयक के यहां रजिस्ट्री हुई तो उन्होंने भी तथ्य नहीं देखे और रजिस्ट्री कर दी। इस स्तर पर क्रेता-विक्रेता व दस्तावेज लेखक की चालाकी पकड़ी जा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यदि किसी केस में स्टाम्प ड्यूटी की चोरी पाई जाती है तो दस्तावेज लेखक व उप पंजीयक पर कार्रवाई होती है, लेकिन इस केस में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

पक्षकार ने राशि जमा कर दी है, रिपोर्ट भोपाल भेज रहे हैं

स्टाम्प ड्यूटी व पंजीयन शुल्क की गणना कर दी है। 71 लाख रुपए का नुकसान हुआ था। पक्षकार ने राशि भी जमा कर दी है। इसकी रिपोर्ट भोपाल भेजी जा रही है। मुख्यालय से इस पर फैसला होगा।

वरिष्ठ जिला पंजीयक ग्वालियर

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