1793 से अब तक कैसा रहा भारतीय मौसम विज्ञान का पूरा इतिहास ?
प्रकृति के संदेश का संचार’, 1793 से अब तक कैसा रहा भारतीय मौसम विज्ञान का पूरा इतिहास
बीते सोमवार यानी 15 जनवरी को भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अपनी स्थापना के 150वें वर्ष में प्रवेश किया है। भारत में विज्ञान और मौसम विज्ञान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण युग 1793 में मद्रास में पहली मौसम विज्ञान और खगोलीय वेधशाला की स्थापना के साथ शुरू हुआ। तब से वेधशालाओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती गई। इसके विकास की कहानी भी बहुत रोचक है जिसके बारे में भी हमें जानना चाहिए।
नई दिल्ली। पिछले कुछ वर्षों में मौसम और जलवायु की महत्ता भले ही बढ़ी हो, लेकिन इसके महत्व को मानव सभ्यता ने शुरुआत में ही समझ लिया था। पिछली कुछ शताब्दियों के दौरान भारत मौसम विज्ञान और संबद्ध विषयों के संबंध में वैज्ञानिक ज्ञान में सबसे आगे रहा है। बुनियादी ढांचे के संदर्भ में भारत में दुनिया की कुछ सबसे पुरानी मौसम विज्ञान वेधशालाएं हैं।
हालांकि, भारत में विज्ञान और मौसम विज्ञान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण युग 1793 में मद्रास में पहली मौसम विज्ञान और खगोलीय वेधशाला की स्थापना के साथ शुरू हुआ। तब से वेधशालाओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती गई, लेकिन उपकरणों के मानक और अवलोकन का समय तय नहीं किया गया था।
जैसे-जैसे दुनिया एक संघर्षपूर्ण युग की ओर बढ़ रही थी, 1914-19 के दौरान प्रथम विश्व युद्ध और 1939-1945 के दौरान द्वितीय विश्व युद्ध के साथ, हर किसी को युद्ध के प्रबंधन के लिए ऊपरी वायुमंडल से मौसम की जानकारी की आवश्यकता महसूस हुई। इसने मौसम और जलवायु को समझने, एनालाग्स, सांख्यिकीय पद्धति के विकास को बढ़ावा दिया।
1905 में ऊपरी वायुमंडल का अवलोकन
ऊपरी वायुमंडल अवलोकन 1905 में शिमला से पायलट बैलून छोड़ने के साथ शुरू हुआ। उपकरणों के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए सतही उपकरण प्रभाग की स्थापना 1920 में की गई थी। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में तूफान ट्रैक का एटलस 1925 में तैयार किया गया था।
1912 में जहाजों से डाटा एकत्र करने और कराची व मुंबई में तटीय रेडियो स्टेशनों के माध्यम से चेतावनियों के प्रसारण के लिए रेडियो संचार को अपनाने और 1929 में संचार प्रौद्योगिकी में भी सुधार हुआ। कृषि मौसम विज्ञान पर जोर देने के लिए 1932 में कृषि मौसम अनुसंधान गतिविधियों को पूरा करने के निमित्त आइएमडी में अलग प्रभाग बनाया गया।
1954 में आइएमडी में बड़ा सुधार
क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्रों से किसान मौसम बुलेटिन और समन्वित फसल मौसम निगरानी योजना 1945 में शुरू हुई। इस अवधि के दौरान आइएमडी मुख्यालय 1905 में कोलकाता से शिमला, 1928 में पुणे और 1944 में दिल्ली स्थानांतरित हो गया। आइएमडी ने 1954 में विमानन सेवाओं की सहायता के लिए और तूफानों पर नजर रखने के लिए राडार की शुरुआत के साथ अपने अवलोकन संबंधी बुनियादी ढांचे में एक बड़ी छलांग देखी।
पहला पवन खोज राडार 1954 में कलकत्ता (अब कोलकाता) के निकट दम दम में स्थापित किया गया था। इसके बाद 1958 में सफदरजंग, दिल्ली में द्वितीय विश्व युद्ध के अवशेषों से स्वदेशी राडार स्थापित किया गया था। आइएमडी के तत्कालीन डीजी डा. एलएस माथुर के नेतृत्व में आइएमडी के विज्ञानियों ने तेज हवाओं और तूफान का पता लगाने के लिए इस स्वदेशी राडार को विकसित किया। इसके बाद मौसम संबंधी अवलोकन, संचार, माडलिंग और बुनियादी ढांचे सहित सभी मोर्चों पर महत्वपूर्ण सुधार हुआ।
मौसम का सटीक पूर्वानुमान
वर्ष 2014 की तुलना में 2024 में सभी प्रकार की गंभीर मौसम घटनाओं के लिए पूर्वानुमान सटीकता में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2023 में पांच दिन आगे की पूर्वानुमान सटीकता 2017 में एक दिन की पूर्वानुमान सटीकता के समान है।
हाल के पांच वर्षों में लीड अवधि में चार दिनों की वृद्धि हुई है, जबकि अधिकांश मामलों में शून्य त्रुटि के साथ चक्रवातों के लैंडफाल बिंदु के लिए सटीक पूर्वानुमान सटीकता है। भारी वर्षा के लिए 24 घंटे के पूर्वानुमान की सटीकता लगभग 80 प्रतिशत, तूफान के लिए 86 प्रतिशत गर्मी और शीत लहर के लिए लगभग 88 प्रतिशत है।
वर्तमान में आइएमडी पूरे देश में जिला स्तर और क्षेत्रीय पूर्वानुमान और चेतावनी सेवाओं के अलावा लगभग 1200 स्टेशनों के लिए नाउकास्ट, लगभग 1200 स्टेशनों के लिए शहर का पूर्वानुमान प्रदान कर रहा है। भारत के साथ-साथ आइएमडी सार्क देशों को पूर्वानुमान और चेतावनी सेवाओं के साथ-साथ 13 उत्तरी हिंद महासागर देशों को चक्रवात पूर्वानुमान और चेतावनी सेवाएं भी प्रदान करता है।
आइएमडी ने देश के विभिन्न क्षेत्रों को समय पर और कुशल पूर्वानुमान एवं चेतावनी सेवाएं प्रदान करके उन्हें मौसम के लिए तैयार और जलवायु स्मार्ट बनाकर उनकी वृद्धि और विकास में मदद की है। किसान मौसम की जानकारी आधारित प्रबंधन जैसे बोआई, सिंचाई, उर्वरक और कीटनाशकों के प्रयोग और फसल के लिए कृषि-मौसम सलाह का उपयोग करते हैं। आइएमडी बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका के लिए मार्गदर्शन सेवाएं भी प्रदान करता है।