ग्वालियर रेलवे स्टेशन :घपले की सफाई..?

घपले की सफाई..:‘खगोल’ कंपनी को हर माह 14 लाख का भुगतान फिर भी 3 शिफ्ट की जगह एक बार ही सफाई, रेलवे ट्रैक पर डाल रहे कचरा

रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास में 500 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा रहे हैं, जिससे यह एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित हो सके। लेकिन ए ग्रेड श्रेणी के रेलवे स्टेशन में सफाई में ही गड़बड़ी है। रेल प्रशासन ने खगोल लोको लेबर कोऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड को 4 साल का रेलवे स्टेशन की सफाई का ठेका लगभग 6.58 करोड़ रुपए का दिया है। खास बात ये है कि टेंडर शर्त में इसका उल्लेख नहीं है कि सफाई कंपनी कितना मैनपावर रखेगी? अफसरों ने कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए शर्तों में लिखा है कि सफाई का ठेका एक्टिविटी बेस्ड है।

अफसरों का कहना है कि उन्हें इससे मतलब नहीं है कि कितने कर्मचारी सफाई के लिए कंपनी ने रखे हैं, उन्हें सिर्फ बेहतर सफाई से मतलब है। इसी का फायदा खगोल कंपनी उठा रही है। स्टेशन में तैनात अफसरों का कहना है कि जब बड़े अफसर निरीक्षण के लिए आते हैं तब स्टेशन को चकाचक कर दिया जाता है, लेकिन इसके बाद सफाई सिर्फ नाम के लिए होती है। स्टेशन निदेशक एलआर सोलंकी का कहना है कि मैकेनाइज्ड क्लीनिंग शर्तों के तहत नहीं हो रही। सुपरवाइजर मेरी नहीं सुनते, क्योंकि वे सीनियर डीएमई ओएंडएफ के मातहत काम कर रहे हैं।

झांसी मंडल तक हुई शिकायत फिर भी कुछ नहीं हुआ

हाल ही में एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें कंपनी के कर्मचारी कचरा एकत्र करने के बाद रेलवे ट्रैक पर फेंक रहे हैं। इसकी शिकायत झांसी मंडल तक अफसरों तक पंहुची है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ।

स्टेशन की सीढ़ियों पर फैली गंदगी। - Dainik Bhaskar

स्टेशन की सीढ़ियों पर फैली गंदगी….

चारों प्लेटफार्म पर फैली गंदगी

स्टेशन के प्लेटफार्म पर लगे पंखे गंदे हैं। प्लेटफार्म नंबर एक, दो, तीन और चार पर जाने के लिए जो सीढ़ियां बनीं हैं। रेलिंग गुटका व पान खाने वालों ने लाल कर दी है। प्याऊ की सफाई रोज नहीं होती। रेलवे ट्रैक पर बनी नालियों में ही कचरा फेंका जा रहा है।

इनकी है जिम्मेदारी

सीनियर सेक्शन इंजीनियर इनवायरमेंट एंड हेल्थ मैनेजमेंट के सुजीत बडोनिया की सफाई की मॉनीटरिंग करने की जिम्मेदारी है। रेलवे ने कॉमर्शियल से हटाकर मैकेनिकल विभाग को सफाई की देख रेख की जिम्मेदारी सौंपी है।

हले 110 कर्मचारी रखने की शर्त थी

1 जून 2022 से पहले सफाई के लिए जिस कंपनी को ठेका दिया गया था। उसके टेंडर में करीब 110 कर्मचारी रखने की शर्त थी। जिससे रेलवे स्टेशन की सफाई बेहतर हो सके। लेकिन ठेकेदार बदलते ही टेंडर की शर्त ही बदल दी है।

सुपरवाइजर सीनियर डीएमई के अधीनस्थ हैंं

टेंडर शर्त के अनुसार तीन शिफ्ट में स्टेशन की मैकेनाइज्ड सफाई होनी चाहिए। लेकिन सिर्फ जनरल शिफ्ट में होती है। सीनियर डीएमई ओएंडएफ झांसी से लिखित में शिकायत कर चुका हूं। सफाई कंपनी के सुपरवाइजर को कई बार अवगत करा चुका हूं। लेकिन सुपरवाइजर सीनियर डीएमई के मातहत काम कर रहे हैं इसलिए वे मेरी नहीं सुनता। …. सोलंकी, निदेशक, रेलवे स्टेशन

सफाई के लिए 45 कर्मचारी लगा रखे हैं

सफाई के लिए 45 कर्मचारी लगा रखे हैं प्लेटफार्म नंबर एक, दो, तीन, चार के साथ सभी कार्यालय, वेटिंग हॉल के वाॅशरूम, फुटओवर ब्रिज व रेलवे ट्रैक की सफाई करने की जिम्मेदारी हमारे पास है। कंपनी ने इसके लिए 45 कर्मचारी उपलब्ध कराए हैं। शर्तों के तहत रेलवे स्टेशन पर सफाई करवा रहे हैं। …सुपरवाइजर, खगोल कंपनी

यात्री बोले-गंदगी से प्याऊ के पास बदबू आती है

रेलवे स्टेशन में हर दिन लगभग 50 हजार यात्रियों का आना-जाना है।  …..की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि जगह-जगह पान व गुटका की पीक पड़ी हुई है। प्याऊ के आसपास इतनी गंदगी है कि यात्री पानी पीने तक को तैयार नहीं है। प्याऊ से बदबू आ रही है। जबकि टेंडर शर्तों के अनुसार 3 शिफ्ट के दौरान कंपनी काे मैकेनाइज्ड क्लीनिंग करनी है। लिफ्ट, एस्केलेटर, फुटओवर ब्रिज, रेल ट्रैक, प्याऊ आदि के आसपास गंदगी की भरमार है। बावजूद इसके यहां सफाई नहीं होती है।

 

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