क्या अयोध्या बन पाएगा धार्मिक टूरिज्म का नया केंद्र?

गूगल पर ट्रेंड, जमीन लेने को मारामारी… क्या अयोध्या बन पाएगा धार्मिक टूरिज्म का नया केंद्र?
भारत में तीर्थ स्थल से हो रही कमाई की रफ्तार साल दर साल बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में इस रिपोर्ट में समझते हैं कि धार्मिक टूरिज्म किस तरह से देश की अर्थव्यवस्था के विकास में अपना योगदान दे रहा है.

भारत में आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का खास दिन है. इस दिन का इंतजार राम भक्तों को बरसों से था. इस खास मौके पर आज पूरे अयोध्या को सजाया गया है और भव्य स्तर पर प्राण प्रतिष्ठा समारोह भी किया जा रहा है. 

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण केवल आस्था और अध्यात्म का ही प्रमाण नहीं है बल्कि सरयू नदी के तट पर बसे इस शहर में एक अहम आर्थिक बदलाव भी होने वाला है.

दरअसल टूरिज्म डिपार्टमेंट द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ सालों में अयोध्या धार्मिक टूरिज्म का केंद्र बन जाएगा. इसी डिपार्टमेंट के मुताबिक यहां पिछले कुछ सालों में आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है. 

साल 2021 में अयोध्या में लगभग तीन लाख पर्यटक अयोध्या आए थे. जो कि एक साल बाद यानी साल 2022 में 2.39 करोड़ हो गया और वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 31.5 करोड़ हो गया.

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इतना ही नहीं हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने बयान में कहा था कि, ’22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद, दुनिया के टूरिस्ट मैप में अयोध्या विकसित और भव्य टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में उभरेगा. उन्होंने कहा कि हमारी डबल इंजन सरकार सभी धार्मिक पर्यटन के स्थलों पर सक्रियता से काम कर रही है.

ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि क्या भक्तों के लिए राम मंदिर खुलने के बाद अयोध्या धार्मिक टूरिज्म का केंद्र बन पाएगा?  देश में सबसे ज्यादा धार्मिक टूरिज्म कहां होता है, क्या अयोध्या का राम मंदिर आने वाले सालों में चारधाम को टक्कर दे पाएगा?

सबसे पहले समझिए एक साल में कितने लोग तीर्थ स्थलों पर जाते हैं

हाल ही में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने एक रिपोर्ट जारी की थी. जिसके अनुसार साल 2022 में 143 करोड़ 30 लाख घरेलू श्रद्धालुओं ने अलग-अलग तीर्थ स्थलों की यात्रा की थी. इसी साल लगभग  66 लाख से ज्यादा विदेशी श्रद्धालु भी धार्मिक स्थलों के दर्शन करने भारत पहुंचे थे. 

अभी सबसे ज्यादा धार्मिक टूरिज्म कहां होता है

ऑनलाइन होटल चलाने वाली कंपनी OYO ने हाल ही में कल्चरल ट्रैवल 2022 की राउंड रिपोर्ट जारी की थी. जिसमें बताया गया कि वर्तमान में भारत के धार्मिक स्थलों की यात्रा में वाराणसी टॉप पर है. हालांकि तिरुपति, पुरी, अमृतसर और हरिद्वार आने वाले भक्तों की संख्या में भी पिछले एक साल में बड़ा उछाल देखा गया है. 

इसी रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि साल 2021 की तुलना में साल 2022 में शिरडी में 483% टूरिस्ट ज्यादा पहुंचे, वहीं तिरुपति में भी 2021 की तुलना में 233% टूरिस्ट ज्यादा पहुंचे थे और पुरी में 117% टूरिस्टों की बढ़त दिखी. इतना ही नहीं मथुरा, महाबलेश्वर और मदुरई में भी पिछले साल की तुलना में साल 2022 में ज्यादा पर्यटक पहुंचे थे. 

गूगल पर बढ़ी अयोध्या की सर्चिंग 

एक ट्रैवल कंपनी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसारराम मंदिर के उद्घाटन की घोषणा के बाद से भारत से इंटरनेट पर अयोध्या की सर्च में 1806% की वृद्धि हुई है. अयोध्या के बारे में सबसे ज्यादा गूगल सर्च 30 दिसंबर को हवाईअड्डे के उद्घाटन के दिन किया गया था. 

इतना ही नहीं एक ऑनलाइन ट्रैवल कंपनी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, अयोध्या उन टॉप 10 तीर्थ और आध्यात्मिक स्थलों की लिस्ट में सबसे आगे है, जिसके बारे में जानने के लिए पिछले दो सालों में लोगों ने गूगल पर सर्च किया है. 

एक ट्रैवल कंपनी के अध्यक्ष और कंट्री हेड (हॉलिडेज) डेनियल डिसूजा कहते हैं, ”देश में धार्मिक पर्यटन को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ रही है. इतना ही नहीं धार्मिक पर्यटन स्थलों में अयोध्या को प्राथमिकता भी दी जा रही है. अयोध्या के बाद दूसरे स्थान पर पुरी, अमृतसर, काशी, द्वारका, तिरुपति और मदुरै के बारे में भी क्वेरी सामने आई है. 

होम स्टे और होटल इंडस्ट्री को होगा फायदा 

होम स्टे और होटल की कंपनी OYO ने हाल कहा था कि देश में बढ़ते धार्मिक टूरिज्म को देखते हुए भारत में 400 नए होम स्टे और होटल लॉन्च करने का प्लान बनाया है. इतना ही नहीं इसी कंपनी ने आज यानी 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को देखते हुए 50 होम स्टे खोले हैं. 

धार्मिक पर्यटन के विकास के पीछे की वजह समझिए, 2 प्वाइंट में  

1. भारत में सभी धर्म से संबंधित तीर्थ स्थान का होना:  धर्म, एकलौती ऐसी ची है जो शुरुआत से ही मनुष्य के जीवन का हिस्सा बनी हुई है. भारत की बात करें तो यहां धार्मिक पर्यटन की जड़ें प्राचीन काल से ही विद्यमान है. प्राचीन काल से ही यात्री आध्यात्मिक सांत्वना पाने के लिए कठिन यात्रा करते थे. 

इसके अलावा एक कारण ये भी माना जाता है कि दुनिया के किसी भी कोने में रह रहे लोगों में इच्छा होती है कि जिंदगी में कम से कम एक बार अपने धर्म से संबंधित तीर्थ स्थान की यात्रा जरूर करें. भारत की बात करें तो यहां सभी धर्म के लोग रहते हैं और पुरानी सभ्यताओं वाला देश होने के कारण इस देश में लगभग सभी धर्मों से जुड़ा तीर्थ स्थान भी मौजूद हैं.

2. मिडिल क्लास परिवार: भारत की लगभग 40 प्रतिशत आबादी मध्यवर्गीय है. ऐसे परिवार में ज्यादातर लोग टूर पर जाने का खर्चा नहीं उठा पाते हैं, ऐसी स्थिति में वो ज्यादा से ज्यादा मंदिरों की यात्रा करते हैं ताकि इस यात्रा के बहाने वह एक तीर्थ स्थल का दर्शन भी कर लें और वह क्षेत्र घूम भी सकें. 

पिछले 5 सालों में बढ़ा धार्मिक पर्यटन का ग्राफ  

तमाम रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले चार-पांच सालों में तीर्थ स्थलों पर आने वाले लोगों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है.

  • साल 2022 में उत्तराखंड के चार धामों की यात्रा करने लगभग 40 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे थे. यही आंकड़ा साल साल 2019 में केवल 32 लाख था.
  • श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के आंकड़ों की मानें तो साल 2018 में यहां 7,32,241 तीर्थयात्रियों, 2019 में 10,00,021 तीर्थयात्रियों, 2020 में 1,34,881, 2021 में 2,42,712 तीर्थयात्रियों और 2022 में 14,25,078 तीर्थयात्रियों ने केदारनाथ मंदिर के दर्शन किये.
  • वाराणसी की बात करें तो सरकारी आंकड़ों के अनुसार यहां साल 2022 के जुलाई महीने में 40.03 लाख घरेलू पर्यटक पहुंचे. यही आंकड़ा जुलाई 2021 में 4.61 लाख का था. 

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आंकड़ों से समझिए धार्मिक पर्यटन देश के लिए कितना फायदेमंद 

रिलीजियस टूरिज्म यानी धार्मिक टूरिज्म के मामले में पर्यटन मंत्रालय हाल ही में एक आंकड़ा जारी किया था. जिसके अनुसार साल 2022 में मंदिरों से कुल कमाई 1.34 लाख करोड़ हुई. जो 2021 में 65 हजार लाख के आसपास थी. इससे एक साल पहले यानी साल 2020 में 50,136 करोड़, 2019  में 2,11,661 करोड़ और 2018 में 1,94,881 करोड़ की कमाई हुई थी.

यानी तीर्थ स्थल से हो रही कमाई की रफ्तार साल दर साल बढ़ती जा रही है. एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर आस्था से व्यापार ऐसे ही बढ़ता रहा तो देश कोरोना से पहले वाली ग्रोथ स्पीड में जल्द ही आ जाएगा.

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