रामसर जैसी जगहों को बढ़ावा देने से टूरिजम के मौके भी बढ़ेंगे …

रामसर जैसी जगहों को बढ़ावा देने से टूरिजम के मौके भी बढ़ेंगे …

भारत सरकार ने पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील गीली जमीन, जिन्हें रामसर के रूप में जाना जाता है, जैसे ओडिशा की चिल्का झील और हरियाणा के सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एक मिशन शुरू किया है।

इस पहल का लक्ष्य रामसर को उच्च-मूल्य वाले टूरिज्म से नेचर टूरिज्म की ओर ले कर जाना है। इन जगहों को सहेजने में स्थानीय लोगों का साथ लिया जायेगा और उन्हें आर्थिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।

फरवरी 1971 में, यूनेस्को की देखरेख में ईरान के रामसर में एक पर्यावरण समझौते पर हस्ताक्षर किये गए, जिसमें रामसर को अंतरराष्ट्रीय महत्व के लिए नामित किया गया है।

रामसर अंतरराष्ट्रीय महत्व की गीली जमीनों की पहचान करता है, खासकर उन गीली जमीनों की जो पानी के पक्षियों के लिए घर प्रदान करती हैं।

यह गीली जमीनों को सहेजने और उनके संसाधनों के सही और टिकाऊ इस्तेमाल के लिए राष्ट्रीय कार्यवाही और अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रदान करता है।

भारत में 75 रामसर जगह हैं, जो देश की जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ओडिशा की चिल्का झील और भितरकनिका मैंग्रोव, पश्चिम बंगाल का सुंदरवन, तमिलनाडु में चित्रांगुड़ी पक्षी अभयारण्य (Sancturary) भारत के कुछ प्रसिद्ध रामसर जगह हैं।

2023-24 के बजट की घोषणा के हिस्से के रूप में, अमृत धरोहर इनिशिएटिव को जून 2023 में लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य विशेष रूप से देश के रामसर जगहों को सहेजने के प्रयासों को बढ़ावा देना है।

दोनों मंत्रालय स्टेट टूरिज्म डिपार्टमेंट के सहयोग से रामसर जगहों पर नेचर टूरिज्म को मजबूत करने के लिए सुविधा देने वालों, टूरिज्म की सेवा देने वालों, भागीदारों को ट्रेनिंग दे रहे हैं।

इस पहल का लक्ष्य रामसर को उच्च-मूल्य वाले टूरिज्म से नेचर टूरिज्म की ओर ले कर जाना है। इन जगहों को सहेजने में स्थानीय लोगों का साथ लिया जायेगा और उन्हें आर्थिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।

ये पांच गीली जमीन हैं: सुल्तानपुर नेशनल पार्क (हरियाणा), भितरकनिका मैंग्रोव (ओडिशाचिल्का लेक (ओडिशा), सीरपुर (मध्य प्रदेश) और यशवंत सागर (मध्य प्रदेश

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