भारतीय महिलाओं के लिए दुनिया दरवाजे खोल रही है !

भारतीय महिलाओं के लिए दुनिया दरवाजे खोल रही है

वे चेन्नई से 397 किलोमीटर दूर स्थित करूर नामक शहर की एक कपड़ा कम्पनी में कुली का काम करने वाले व्यक्ति की बेटी थीं। चूंकि उन्होंने शुरू से ही अपने इर्द-गिर्द कपड़ा व्यवसाय की दुनिया को देखा था, इसलिए वे स्वयं भी हमेशा से यही काम करना चाहती थीं। लेकिन वे सातवीं कक्षा से आगे नहीं पढ़ सकीं।शिक्षा के अभाव और परिवार की खराब वित्तीय पृष्ठभूमि के कारण उन्हें अपने सपने को पूरा करने का अवसर नहीं मिला।

फिर कुछ समय पूर्व एम. अमुधवल्ली का सपना साकार होने की शुरुआत हुई, जब उन्हें राज्य सरकार की एनल आम्बेडकर बिजनेस चैंपियंस स्कीम (एएबीसीएस) के तहत सब्सिडीयुक्त ऋण मिला। अमुधवल्ली ने जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी) के माध्यम से एक बैंक से ₹9.9 लाख का ऋण लेकर घरेलू कपड़ा निर्माण व्यवसाय शुरू किया। पिछले छह महीनों में उनके कारोबार में उछाल आया है। उन्होंने 22 लोगों को रोजगार देकर प्रति वर्ष ₹8 लाख के मुनाफे के साथ ₹30 लाख से अधिक का कारोबार किया है।

जब महिलाएं कुछ हासिल करने का ठान लेती हैं, तो कपड़ों का कारोबार करके ही नहीं रुकतीं। वे चमड़े का सामान, सौंदर्य उत्पाद, स्किनकेयर के समाधान, विभिन्न प्रकार के कॉस्मेटिक्स, इत्र, चमचमाते आभूषण और स्टाइलिश घड़ियां भी बेचती हैं। और उनमें से कुछ ऐसी भी होती हैं, जो उपरोक्त सामग्रियों को एक ही आउटलेट से बेचने और 17 अरब डॉलर का व्यवसाय चलाने के लिए किसी अंतरराष्ट्रीय कम्पनी की सीईओ बन जाती हैं।

कोल्हापुर की निवासी 54 वर्षीय लीना नायर से मिलें, जो शनल नामक फ्रांसीसी लग्जरी फैशन हाउस में सीईओ की भूमिका निभाने वाली पहली भारतीय और गैर-श्वेत और दूसरी महिला बन गई हैं। सदियों से शनल जैसे शीर्ष वैश्विक लग्जरी ब्रांड्स सीईओ के रूप में गोरों और पुरुषों की ही भर्ती करते आ रहे थे। लेकिन शनल के 114 साल के इतिहास में यह पहली बार है, जब उनके यहां महिला सीईओ और क्रिएटिव डायरेक्टर हैं।

अब जब भारत बचत करने वाली इकोनॉमी से खर्च करने वाली इकोनॉमी की ओर बढ़ रहा है, शनल जैसी कई कम्पनियों ने शीर्ष पद के लिए किसी भारतीय को नियुक्त करने की जरूरत को समझा है। और जब फैशन की बात आती हो तो इसमें हमारी महिलाओं से बेहतर कौन हो सकता है? जनवरी 2022 में जब लीना ने यूनिलीवर में 30 साल की सेवा के बाद अपना नया कार्यभार संभाला, तो वे इस तथ्य के बावजूद मितभाषी बनी हुई हैं कि इन दिनों उनका मेलजोल पीएम मोदी, किंग चार्ल्स, क्वीन कैमिला और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन जैसी शख्सियतों के साथ है।

उनकी शिक्षा कोल्हापुर के पहले गर्ल्स स्कूल में हुई थी और उनका बैच स्नातक करने वाला पहला था। उन्हें ताना दिया गया था, लड़कियां ऐसा नहीं कर सकतीं। कुछ ने तो यह कटाक्ष भी किया कि तुम बहुत प्रतिभाशाली हो, तुम्हें लड़का होना चाहिए था। उन्होंने इन धारणाओं को बदलने की ठान ली।

सांगली के वालचंद कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने के बाद वे एक्सएलआरआई, जमशेदपुर में एमबीए करने गईं और स्वर्ण पदक प्राप्त किया। वे 1992 में वे यूनिलीवर के साथ एक प्रशिक्षु के रूप में जुड़ीं और कई वर्षों तक फैक्ट्री में पुरुषों के बीच वे एकमात्र महिला थीं। वे अपने कौशल के बूते तेजी से आगे बढ़ीं और एचआर प्रमुख बनीं, जहां उन्होंने यूनिलीवर में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को 38% से 50% तक पहुंचा दिया।

 …भारतीयों की खर्च करने की बदलती आदतों का लाभ लेने के लिए दुनिया के लोग विभिन्न जगहों पर प्रतिभाशाली भारतीय महिलाओं की नियुक्ति करना चाहते हैं। ऐसे में अगर जमकर पढ़ाई करें और कॉर्पोरेट के क्षेत्र में उतरें तो आपके पास चमकने के ज्यादा मौके होंगे।

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