कैसी है भारत की सेहत, किस बीमारी से जूझ रहे सबसे ज्यादा लोग?
कैसी है भारत की सेहत, किस बीमारी से जूझ रहे सबसे ज्यादा लोग? फैक्ट्स और आंकड़ों से समझिए
भारत में बहुत से लोग ऐसी बीमारियों से जूझ रहे हैं जो एक से दूसरे में नहीं फैलतीं. इन्हें अक्सर लाइफस्टाइल बीमारियां भी कहते हैं. लंबे समय तक रहने वाली बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं.
भारत हाल ही में कोविड जैसी महामारी से उभरा है. भारत एक ऐसा देश है जहां करीब आबादी बीमार रहती है. 2022 में सिर्फ 51 फीसदी लोग ही स्वस्थ पाए गए. बाकी 49 फीसदी लोग बीमार हैं या उन्हें किसी बीमारी का खतरा बना रहता है.
2021 के मुकाबले 2022 में स्वस्थ लोगों की संख्या 6 फीसदी कम हो गई है. सर्वे में पाया गया कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा स्वस्थ हैं. 43% पुरुष स्वस्थ बताए गए, जबकि 61% महिलाएं अस्वस्थ हैं.
मध्य प्रदेश का इंदौर (64%) और गुजरात का सूरत (67%) सबसे ज्यादा स्वस्थ शहर पाए गए. वहीं बिहार का पटना (60%), पश्चिम बंगाल का कोलकाता (55%) और गुजरात का अहमदाबाद (55%) सबसे अस्वस्थ शहरों में से हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि भारत में स्वस्थ रहना आसान नहीं है.
GOQii इंडिया फिट रिपोर्ट 2023 से पता चलता है कि भारत के लोग रोजाना कितना चलते-फिरते हैं, उन्हें कौन सी बीमारियां हैं, क्या वो मोटे हैं, उनका खान-पान कैसा है, कितना पानी पीते हैं, कितना तनाव झेलते हैं, उनकी नींद कैसी है, क्या पेट ठीक रहता है?
कैसी है भारत की सेहत?
भारत में कितने लोग स्वस्थ हैं, ये जानने का एक आसान तरीका है HRA स्कोर. ये स्कोर GOQii ऐप पर यूजर्स खुद देते हैं. 2022 में 48% लोग ‘बीमार या बीमार होने के खतरे’ वाली श्रेणी में आते थे. पिछले साल ये आंकड़ा 43% था. 1% लोग ‘बहुत ज्यादा खतरा’ वाली श्रेणी में आते हैं.
भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा बीमार हैं. 2022 में 61% महिलाएं ‘बीमार’ या ‘बीमार होने के खतरे’ वाली श्रेणी में आती हैं. पिछले साल ये आंकड़ा 52% था. यहां तक कि 1.5% महिलाएं ‘बहुत ज्यादा खतरे’ वाली श्रेणी में भी हैं. वहीं 43% पुरुष ‘बीमार’ या ‘बीमार होने के खतरे’ वाली श्रेणी में आते हैं.
सबसे ज्यादा स्वस्थ और अस्वस्थ शहर
शहरों की बात करें तो सूरत सबसे स्वस्थ शहर है, जबकि पटना सबसे अस्वस्थ शहर है. पटना (60%), कोलकाता (56%), अहमदाबाद, भोपाल और चंडीगढ़ (55%) बाकी शहरों के मुकाबले ज्यादा अस्वस्थ हैं. अहमदाबाद की स्थिति खराब हुई है. 2022 में 65% लोग स्वस्थ थे, जो 2023 में घटकर 45% रह गए. वहीं अस्वस्थ लोगों की संख्या 55% हो गई है. कोलकाता में भी स्थिति खराब हुई है. पिछले साल 48% लोग अस्वस्थ थे, जो इस साल बढ़कर 56% हो गए हैं.
ये चौंकाने वाली बात है कि ज्यादातर बड़े शहरों में जहां डॉक्टर आसानी से मिल जाते हैं, वहां लोग कम स्वस्थ पाए गए. मुंबई में 2021 में 49% लोग अस्वस्थ थे, जो 2022 में बढ़कर 51% हो गए. बेंगलुरु में 2021 में 46% लोग अस्वस्थ थे, जो 2022 में बढ़कर 48% हो गए.
कितने भारतीय मोटापे का शिकार
बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) बताता है कि क्या कोई व्यक्ति स्वस्थ है या उसे अपना वजन कम या बढ़ना करने की जरूरत है. भारत में औसत BMI 21.9 है, जो सामान्य माना जाता है. लेकिन सर्वे में कुछ चिंताजनक बातें भी सामने आईं. युवाओं में मोटापा 2% तक बढ़ गया. एडल्ट्स में 17% लोग मोटापे का शिकार हैं. बुजुर्गों में पहले से मोटापा 4% कम हुआ है.
अच्छी बात ये है कि बच्चे अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. मोटापे के शिकार बच्चों की संख्या 2021 के 12% से घटकर 2022 में 9% हो गई. ज्यादा वजन वाले बच्चों की संख्या 2021 के 25% से घटकर 2022 में 14% हो गई है. वहीं बुजुर्गों में मोटापा बढ़ गया है, जो 2021 के 16% से बढ़कर 2022 में 19% हो गया है.
सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियां
कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो सबसे ज्यादा लोगों को होती हैं और लंबे समय तक रहती हैं. इन्हें लाइफस्टाउल बीमारियां (Lifestyle Diseases) कहते हैं. ये बीमारियां धीरे-धीरे बढ़ती हैं और इनकी मुख्य वजह होती है – गलत खानपान और एक्सरसाइज की कमी. ये बीमारियां हैं- डायबिटीज (मधुमेह), ब्लड में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा, हाई ब्लड प्रेशर, थायराइड.
WHO के मुताबिक, दुनिया में होने वाली मौतों में से 80% मौतें इन ही बीमारियों की वजह से होती हैं. ये बीमारियां अमीर देशों में लोगों को ज्यादा होती हैं. GOQii इंडिया फिट रिपोर्ट के मुताबिक, लाइफस्टाउल बीमारियां 2022 में बढ़ी हैं. सबसे ज्यादा 24% लोगों को हाई ब्लड प्रेशर से परेशानी हुई. 2020 में इससे 23% लोग ही प्रभावित थे.
इसके बाद हाई कोलेस्ट्रॉल से 18%, डायबिटीज से 17% और थायराइड से 7% लोग प्रभावित हुए. जबकि 2020 में हाई कोलेस्ट्रॉल से 16%, डायबिटीज से 15% और थायराइड से 9% लोग प्रभावित थे.
महिलाओं को ज्यादा पेट की समस्याएं?
रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में 24% पुरुषों को एसिडिटी और अपच की समस्या थी, जबकि 20% महिलाओं को ये समस्या थी. हालांकि इससे पिछले साल के मुकाबले महिलाओं में एसिडिटी की समस्या 8% बढ़ गई है, पुरुषों में 10% कम हुई है. 29% महिलाओं को कब्ज की समस्या थी, 26% पुरुषों को ये समस्या थी.
2021 के मुकाबले पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही कब्ज और अपच की समस्या थोड़ी बढ़ गई है. पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में पेट की ज्यादा समस्याएं होने का कारण अभी साफ नहीं है.
तनाव कितनी बड़ी समस्या
भारत में तनाव एक बड़ी समस्या बन गया है. ये हर किसी को चाहे वो कोई भी काम करता हो या उसकी उम्र कितनी भी हो परेशान कर सकता है. तनाव की कई वजहें हो सकती हैं, जैसे कि काम, घर, पैसों की कमी, आसपास का माहौल बदलना. 2022 में 24% भारतीय तनाव महसूस करते थे.
अच्छी बात ये है कि एडल्ट्स (25%) और बुजुर्गों (17%) में तनाव थोड़ा कम हुआ है. 2021 के मुकाबले अब वो सिर्फ 25% समय ही तनाव महसूस करते हैं. ज्यादातर बच्चों (55%) ने बताया कि उन्हें 25% से कम समय ही तनाव होता है.
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा तनाव पाया गया है. महिलाएं 27% समय तनाव महसूस करती हैं, जबकि पुरुष सिर्फ 19% समय. 2021 के मुकाबले 2022 में महिलाओं में तनाव 2% बढ़ गया है.
कितने लोग एक्सरसाइज कर रहे?
GOQii की रिपोर्ट के अनुसार एक्सरसाइज के मामले में कुछ अच्छी और कुछ चिंताजनक बातें जानकारी मिली है. अच्छी बात ये है कि 39% लोग हफ्ते में 3-6 दिन एक्सरसाइज करते हैं. 19% लोग हफ्ते के पूरे 7 दिन एक्सरसाइज करते हैं.
चिंताजनक बात ये है कि 28% लोग बिल्कुल भी एक्सरसाइज नहीं करते हैं. बुजुर्गों में एक्सरसाइज करने वालों की संख्या कम हुई है. 2021 में 44% बुजुर्ग हफ्ते के 7 दिन व्यायाम करते थे, जो 2022 में घटकर 26% रह गया है.
एडल्ट्स में भी थोड़ी कमी आई है. 2021 में 19% हफ्ते के 7 दिन व्यायाम करते थे, जो 2022 में घटकर 18% रह गया. हालांकि 37% हफ्ते में 3-6 दिन व्यायाम करते हैं, जो पिछले साल के बराबर है. सबसे चिंता की बात ये है कि 31% बच्चे बिल्कुल भी व्यायाम नहीं करते हैं. 24% युवा हफ्ते के 7 दिन व्यायाम करते हैं, जबकि 17% बच्चे ही ऐसा करते हैं.
महिलाएं ज्यादा एक्टिव, मगर चलते पुरुष ज्यादा हैं!
दिलचस्प बात ये है कि हफ्ते में 3-6 दिन एक्टिव रहने वाली महिलाओं (38.98%) की संख्या पुरुषों (37.60%) से ज्यादा है. लेकिन, पुरुष महिलाओं की तुलना में चलते ज्यादा हैं. 2022 में हर दिन पुरुष औसतन 5890 कदम चले, जबकि महिलाएं 5620 कदम ही चलीं.
2021 की तुलना में 2022 में एडल्ट्स ने ज्यादा चलना शुरू कर दिया है. 2021 में वह रोजाना औसतन 5192 कदम चलते थे, जो 2022 में बढ़कर 6128 कदम हो गए. इसी तरह बुजुर्ग भी 2021 में रोजाना औसतन 5065 कदम चलते थे, जो 2022 में बढ़कर 5850 कदम हो गया.
कौन सा शहर सबसे ज्यादा चलता है?
मुंबई के लोग सबसे ज्यादा चलते हैं, रोजाना औसतन 6155 कदम. इसके बाद दिल्ली, जहां लोग रोजाना औसतन 6085 कदम चलते हैं. वहीं भुवनेश्वर और चेन्नई के लोग सबसे कम चलते हैं. भुवनेश्वर में लोग रोजाना औसतन 4793 कदम और चेन्नई में लोग रोजाना औसतन 4961 कदम चलते हैं.
ज्यादातर उम्र के लोग चलना पसंद करते हैं. बुजुर्ग (52%), वयस्क (44%), कम व्यस्क (35%) और बच्चे (40%) चलना पसंद करते हैं. लेकिन युवा वर्ग थोड़ा अलग है. इनमें से 25% दौड़ना पसंद करते हैं, जबकि 17% चलना पसंद करते हैं.
कितना पानी पीते हैं भारतीय?
रोजाना सही मात्रा में पानी पीना बेहद जरूरी है. एक दिन में 2 से 4 लीटर पानी पीना सबसे अच्छा होता है. रिपोर्ट की मानें तो बुजुर्गों (57%) और बच्चों (42%) ने पानी पीना बढ़ा दिया है. अब ये लोग रोजाना 2-4 लीटर पानी पीते हैं. 2020 के मुकाबले इन लोगों ने पानी पीना ज्यादा शुरू कर दिया है. 2020 में औसतन लोग 2.13 लीटर पानी पीते थे, 2021 में ये बढ़कर 2.19 लीटर हो गया. 2022 में ये और बढ़कर 2.61 लीटर हो गया.
हालांकि व्यस्कों में पानी पीने की आदत थोड़ी कम हुई है. 2021 में 56% व्यस्क रोजाना 2-4 लीटर पानी पीते थे, जो 2022 में घटकर 52% हो गया. युवाओं में भी पानी पीने की आदत कम हुई है. 2022 में सिर्फ 49% युवा रोजाना 2-4 लीटर पानी पीते हैं.
अच्छी नींद सेहतमंद जिंदगी की नींव!
एक लाख से ज्यादा लोगों पर हुई रिसर्च में पाया गया कि लोग पहले से बेहतर नींद ले रहे हैं. 78% लोग रोज 6-8 घंटे सोते हैं. सिर्फ 9% लोग ही रोज 6 घंटे से कम सोते हैं. अलग-अलग उम्र के लोगों की बात करें तो एडल्ट्स और बुजुर्ग अच्छी नींद ले रहे हैं. इनमें से 77% लोग हर दिन 6-8 घंटे सोते हैं.
युवा थोड़ा कम सोते हैं. 73% युवा 6-8 घंटे ही सो पाते हैं. टीनएजर्स सबसे कम सोते हैं. सिर्फ 68% टीनएजर्स ही 6-8 घंटे सो पाते हैं. इस सर्वेक्षण में ये भी देखा गया कि 77% महिलाएं और 76% पुरुष 6-8 घंटे सोते हैं.
भारत के 74% लोग हेल्दी खाना नहीं खा पाते
संयुक्त राष्ट्र की संस्था FAO ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि 2021 में भारत के 74% से ज्यादा लोग पौष्टिक खाना खरीदने की हैसियत नहीं रखते थे. मतलब, ये लोग इतने पैसे नहीं कमाते कि अच्छा और सेहतमंद खाना खा सकें.
ऐसा सिर्फ भारत में नहीं है. पाकिस्तान में तो ये हालत और भी खराब है, जहां करीब 82% आबादी हेल्दी खाना नहीं खा पाती. बांग्लादेश में 66% जनता को भी ये समस्या है. रिपोर्ट में ये भी चेतावनी दी गई है कि अगर खाने के दाम बढ़ते गए और लोगों की कमाई नहीं बढ़ी, तो हेल्दी खाना और भी बड़ी तादाद में लोगों की पहुंच से दूर होता जाएगा. ये 2021 के आंकड़े हैं. 2020 में भारत में ये संख्या थोड़ी ज्यादा 76% थी यानी कि स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है.