केपी यादव सांसद का टिकट काट दिया है।
केपी यादव के सिपहसालारों ने कटवाया टिकट!
प्रतिनिधियों ने किया मिसगाइड; 2020 से खुद को महसूस करने लगे थे असहज
भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। गुना-शिवपुरी लोकसभा से भाजपा ने मौजूदा सांसद का टिकट काट दिया है। भाजपा ने इस लोकसभा क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रत्याशी घोषित किया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सिंधिया को हराने वाले केपी यादव का टिकट पार्टी ने काट दिया था। शुक्रवार को ही सांसद केपी यादव ने सोशल मीडिया पर गुना की जनता को धन्यवाद देते हुए एक पोस्ट की थी। इस पोस्ट से कयास लगाए जा रहे थे कि केपी यादव को ये हिंट मिल गयी है कि इस बार उन्हें टिकट नहीं मिल रहा है। कॉपी यादव और सिंधिया की अदावत पूरे पांच वर्ष चली। सांसद केपी यादव सिंधिया के किसी भी कार्यक्रम में नहीं आये। हमेशा प्रोटोकॉल का मामला उठता रहा। पढ़िये केपी यादव को टिकट न मिलने की वजह…
सबसे पहले 2019 चुनाव के बारे में जानिए…
2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे। वहीं केपी यादव भाजपा में थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मुंगावली विधानसभा से केपी यादव को मैदान में उतारा था। हालांकि, वह चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने केपी यादव को लोकसभा चुनाव में उतार दिया। उस समय यह चर्चा थी कि भाजपा ने डमी कैंडिडेट दे दिया है। सिंधिया की कार के आगे सेल्फी लेने वाले को टिकट दिया है। वोटिंग वाले दिन भी यही स्थिति थी। भाजपा के पास अधिकतर पोलिंग बूथ पर बैठने के लिए कार्यकर्ता भी नहीं थे। इसके बावजूद भी जब परिणाम आया तो केपी यादव चुनाव जीत गए। ज्योतिरादित्य सिंधिया एक लाख से ज्यादा वोट से चुनाव हार गए।
राजनैतिक जानकर बताते हैं है कि ये हार ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए बड़ी चोट थी। इसी हार के कारण उनके भाजपा में जाने की इबारत लिखी गयी। प्रदेश की उस समय की कांग्रेस सरकार ने इसमे और घी डाल दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तो यह तक कह दिया कि वो चाहे तो उतर जाएं सड़क पर। 2020 में सिंधिया ने भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने उन्हें न सिर्फ राज्यसभा भिजवाया, बल्कि उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया।
पढ़िये, केपी यादव के असहज होने के कारण
2019 के चुनाव में सिंधिया को हराने के बाद पार्टी में केपी यादव की साख एकदम से बढ़ी। वह एक दिग्गज को चुनाव हराये थे। राजनैतिक जानकर कहते हैं कि सिंधिया के भाजपा में आने से पहले केपी यादव की काफी पूछ-परख थी। लेकिन सिंधिया के भाजपा में आने के बाद वह खुद को असहज महसूस करने लगे। भाजपा में सिंधिया को ज्यादा तरजीह मिलने लगी। यहीं से केपी यादव खुद को असहज महसूस करने लगे थे।
प्रोटोकॉल को लेकर सवाल
जब से ज्योतिरादित्य सिंधिया भजपामे आये, तभी से केपी यादव लगातार प्रोटोकॉल का मुद्दा उठाने लगे। उनका कहना था कि सिंधिया के कार्यक्रमों में न तो उनको न्योता दिया जाता और न ही उनके फ़ोटो बैनर-पोस्टर में लगाये जाते। इसको लेकर कई बार उन्होंने सार्वजनिक बयानबाजी भी की। इस वजह से विवाद भी सामने आए। शिकायत के बाद केपी यादव को भाजपा ने तलब भी किया। उन्हें संगठन ने समझाईश भी दी। हालांकि, लगातार सवाल जारी रहे।
कोई बड़ी उपलब्धि नहीं
राजनैतिक जानकारों का कहना है कि सांसद केपी यादव के कार्यकाल की बात करें तो पिछले पांच वर्षों में ऐसी कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है जो वह बता सकें। वह मेडीकल कॉलेज के लिए प्रयास करते रहे, लेकिन वह रुक गया। विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह गुना में मेडीकल कॉलेज की घोषणा कर के गए। हालांकि, अभी तक वह सिर्फ घोषणा ही है। उस पर आगे कोई काम नहीं हुआ है।
पासपोर्ट सेवा केंद्र पर राजनीति
सबसे बड़ी राजनीति गुना में पासपोर्ट सेवा केंद्र को लेकर रही। शहर के मुख्य डाकघर में पासपोर्ट सेवा केंद्र बनाया गया है। सांसद केपी यादव इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बताते हैं। उन्होंने कई बार विदेश मंत्री को पासपोर्ट सेवा केंद्र खोलने के लिए पत्र भी लिखा था। हालांकि, जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब विदेश मंत्री को पासपोर्ट सेवा खोलने के लिए पत्र लिखा, तो विदेश मंत्री ने सिंधिया को पत्र लिखकर पासपोर्ट सेवा केंद्र की स्वीकृति की सूचना दी। पिछले दौरे पर पहले सिंधिया के कार्यक्रम में यह आया था कि वे इसका लोकार्पण करेंगे, हालांकि बाद में यह लोकार्पण कार्यक्रम से हट गया था।
निरीक्षण के बहाने कर दिया लोकार्पण
सांसद केपी यादव पिछले शनिवार को गुना के दौरे पर थे। सबसे पहले उन्होंने नानाखेड़ी रोड पर बने भाजपा के लोकसभा कार्यालय का उद्घाटन किया। वहां से वे सीधे मुख्य डाकघर स्थित पासपोर्ट सेवा केंद्र पहुंच गए। डाकघर के अधिकारियों को सूचना दी गयी कि सांसद निरीक्षण के लिए आ रहे हैं। हालांकि, जब सांसद पहुंचे तो उन्होंने पासपोर्ट सेवा केंद्र का लोकार्पण ही कर दिया। उनके साथ आये लोग फीता लेकर पहुंचे थे। पहले उसे बांधा जिक, फिर उसे ही काटकर लोकार्पण कर दिया गया। सेवा केंद्र के गेट पर नारियल भी फोड़ा गया। इसके बाद सभी को मिठाई वितरित की गई। इस मामले को भी संगठन ने गंभीरता से लिया।
गुना लोकसभा में थे एक्टिव
ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले काफी समय से लोकसभा में एक्टिव थे। ऐसी संभावना थी किनवे गुना-शिवपुरी से लड़ना चाहते हैं। चेहरा तो वो लोकसभा चुनाव के ही हैं। 2019 की जो परिस्थितियां थीं, उसमें वो चुनाव हार गए। एक झटका तो उन्हें लगा था। गुना लोकसभा से ज्योतिरादित्य सिंधिया के लड़ने की ज्यादा संभावनाएं इसलिए भी थीं, क्योंकि ग्वालियर उनके लिए राजनैतिक रूप से उतना आसान नहीं है। उन्होंने पिछले चुनाव गुना लोकसभा से ही लड़ा है। ऐसे में यहां उनके पास भाजपा के साथ खुद की एक व्यक्तिगत टीम भी है, जो पिछले चुनावों में उनके लिए काम करती रही है। वहनटीम उनके साथ भाजपा में आ गयी है। बूथ से लेकर जिले तक के नेताओं की उनके पास एक टीम है, जो उनके लिए काम करती है।