MP में अवैध कॉलोनी नहीं होंगी वैध:अवैध कॉलोनी काटने वालों पर लगेगा एनएसए !

MP में अवैध कॉलोनी नहीं होंगी वैध:अवैध कॉलोनी काटने वालों पर लगेगा एनएसए; शिवराज की नीति के उलट बनेगा कानून
इस खाली जमीन को वैध करने वाली कॉलाेनियों में शामिल किया गया था। यानी तय था कि यहां अवैध कॉलोनी बनेगी…

पिछली सरकार में अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा करने वाली भाजपा अब इस मसले का नए सिरे से निराकरण करने की तैयारी कर रही है। इन्हें वैध करने के बजाय नया कानून लाकर संबंधित कॉलोनाइजर पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया जाएगा। कार्रवाई सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रहेगी, जिस इलाके में अवैध कॉलोनी बनेगी, वहां के तहसीलदार और नगर निगम के जोनल अफसर से लेकर पटवारी तक पर सीधे कार्रवाई होगी। नए कानून का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नगरीय प्रशासन मंत्रालय के प्रमुख सचिव को ही इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

राजधानी भोपाल में सरकारी रिकॉर्ड में अवैध कॉलोनियों की संख्या 576 थी। भाजपा सरकार ने 2016 के पहले बनी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी। इसके तहत 320 कॉलोनियों को वैध कर दिया गया। पिछले साल शिवराज सरकार ने 31 दिसंबर 2022 तक बनी सभी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा की थी, लेकिन यह आदेश अमल में नहीं आ पाया।

ऐसे में 256 कॉलोनियों पर एफआईआर हो चुकी है। राजधानी के कई पॉश इलाके ऐसे हैं, जिनके बगल में बस्तियों जैसी अवैध बसाहट हैं। इनमें से ज्यादातर में बिजली, पानी, सड़क और ड्रेनेज जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं। इन कॉलोनियों में ज्यादातर ऐसी हैं, जिनमें लोग सस्ते प्लॉट के चक्कर में ठगे गए हैं।

बिल्डर्स ने उठाया था मामला
बिल्डर्स ने भी की थी शिकायत पिछले दिनों बिल्डर्स के साथ बैठक में भी यह मामला उठा था। बिल्डर्स का यही कहना था कि सरकार के सारे नियम कायदे हमारे लिए होते हैं, जो सारी अनुमतियां लेते हैं, सारे टैक्स चुकाते हैं। अवैध कॉलोनाइजर कहीं भी कॉलोनी काटकर निकल जाते हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। बाद में सरकार इन्हें वैध कर देती है तो नगर निगम सहित सभी पर उसका अतिरिक्त बोझ आता है।

नए कानून की बड़ी वजह: वैध करने में भी घपला

पिछले साल अवैध कॉलोनियों को वैध करते समय यहां जमीन खाली थी, फिर भी इस नीलगिरी कॉलोनी का नाम वैध करने वाली कॉलोनियों की लिस्ट में था।
पिछले साल अवैध कॉलोनियों को वैध करते समय यहां जमीन खाली थी, फिर भी इस नीलगिरी कॉलोनी का नाम वैध करने वाली कॉलोनियों की लिस्ट में था।

मई 2023 में वैध की गई भोपाल 238 अवैध कॉलोनियों में नीलगिरी कॉलोनी भी शामिल है। उस समय ये खाली जमीन थी। यहां बिल्डर ने प्लॉटिंग के लिए 12 फीट चौड़े नाले को 4 फीट का कर दिया। वर्तमान में यहां बिजली के पोल और ट्रांसफार्मर का काम हो गया है, जिसके आधार पर जमीनों की बिक्री जारी है। इसी तरह बिना घर बने वैध हो चुकी कई कॉलोनियों में काम तेज हो गया है।

मौजूदा व्यवस्था पर्याप्त नहीं : पीएस
नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई का कहना है कि मौजूदा व्यवस्था में अवैध कॉलोनाइजर पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाती है। उस पर एफआईआर के निर्देश हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में पुलिस चिट्ठी देकर छोड़ देती है। नए कानून पर चर्चा हुई है। मंत्री ने इसके निर्देश दिए हैं, हम लोग जल्द काम शुरू करेंगे।

2000 वर्ग फीट तक के मकान के लिए बिल्डिंग परमिशन जरूरी नहीं
मध्यप्रदेश में अब 2000 वर्ग फीट तक का मकान बनाने के लिए बिल्डिंग परमिशन नहीं लेनी पड़ेगी। प्लॉट मालिक नगर निगम या नगर पालिका में शुल्क जमा कर निर्धारित मापदंड के हिसाब से भवन बनाएंगे तो निगम से अनुमति नहीं लेनी होगी। शुल्क जमा करते ही डीम्ड परमिशन जारी हो जाएगी।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि इस फैसले से मध्यमवर्गीय परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी। अभी प्रदेश में 1000 वर्ग फीट तक के मकान के लिए परमिशन लेने की जरूरत नहीं है। यह सुविधा शुरू होने से भोपाल जैसे शहर में बिल्डिंग परमिशन शाखा का 90% काम खत्म हो जाएगा।

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने 'X' पर पोस्ट कर अवैध कॉलोनाइजर्स का भाजपा नेताओं से गठजोड़ बताया है।
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने ‘X’ पर पोस्ट कर अवैध कॉलोनाइजर्स का भाजपा नेताओं से गठजोड़ बताया है।

भोपाल में हर साल 6000 बिल्डिंग परमिशन
भोपाल में हर साल लगभग 6000 बिल्डिंग परमिशन होती हैं। इनमें से 2000 परमिशन निजी आर्किटेक्ट देते हैं, जिन्हें 3200 वर्ग फीट तक की परमिशन देने के अधिकार हैं। नगर निगम की बिल्डिंग परमिशन शाखा के इंजीनियर, जिन्हें 1800 वर्ग फीट तक की परमिशन देने के अधिकार हैं वे करीब 3000 परमिशन देते हैं। इनमें से ज्यादातर 800 से 1200 वर्ग फीट प्लॉट पर होती हैं। शेष कमर्शियल परमिशन होती हैं, जिनके अधिकार चीफ सिटी प्लानर को हैं।

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