लोकसभा चुनाव में नेताओं को कितना खर्च करने की अनुमति, कब-कब बढ़ी ये लिमिट?
25, 75 या 95 लाख… लोकसभा चुनाव में नेताओं को कितना खर्च करने की अनुमति, कब-कब बढ़ी ये लिमिट?
Lok Sabha Election 2024: चुनाव के दौरान निष्पक्षता कायम रखने के लिए चुनाव आयोग हर उम्मीदवार के लिए चुनाव के दौरान खर्च की अधिकतम सीमा तय कर देता है. चुनाव आयोग के नियम के अनुसार हर प्रत्याशी को नामांकन कराने के बाद से ही एक डायरी में रोज के खर्च का हिसाब रखना पड़ता है और चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पूरा ब्योरा आयोग को देना होता है.
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 के शंखनाद के साथ ही यह भी तय कर दिया है कि कोई भी उम्मीदवार चुनाव प्रचार में कितना खर्च कर सकता है. खर्च की यह सीमा 10 या 20 लाख नहीं, बल्कि इससे कहीं ज्यादा है और पहले संसदीय चुनाव के मुकाबले तो 389 गुना है. आयोग ने साफ किया है कि इस बार संसद का चुनाव लड़ रहा छोटे राज्यों का कोई भी प्रत्याशी 75 लाख और बड़े राज्यों का उम्मीदवार 95 लाख रुपएं से ज्यादा खर्च नहीं कर सकेगा. वहीं, जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां इसके उम्मीदवार 40 लाख रुपए तक खर्च कर सकेंगे. इसमें चाय-पानी के खर्च से लेकर बैठकों, जुलूसों, रैलियों, विज्ञापनों, पोस्टर-बैनर और वाहनों का खर्च भी शामिल होता है.
पहले चुनाव के दौरान इतना खर्च करने की थी अनुमति
अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिलने के बाद देश में पहली बार साल 1951 में संसदीय चुनाव हुए थे. तब प्रत्याशियों के लिए चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा 25 हजार रुपए तय की गई थी. इसके बाद अगले चार संसदीय चुनावों यानी साल 1967 में हुए आम चुनाव तक खर्च की अधिकतम सीमा 25 हजार रुपए ही रही. साल 1971 में लोकसभा चुनाव के लिए खर्च की सीमा को बढ़ाकर 35 हजार रुपए कर दिया गया. यह सीमा साल 1977 तक बरकरार रही. इसके बाद समय-समय पर जरूरत के हिसाब से खर्च की सीमा में बढ़ोतरी की जाती रही.