न बोर्ड न पंजीयन, मेडिकल स्टोर और पैथोलाजी लैब से चल रहे क्लीनिक !

न बोर्ड न पंजीयन, मेडिकल स्टोर और पैथोलाजी लैब से चल रहे क्लीनिक
Gwalior Health News:जिला अस्पताल से जुड़े कई डाक्टर निजी प्रैक्टिस के लिए मिली छूट का फायदा उठाकर मरीजों व सरकार के साथ धोखा कर रहे हैं।
Gwalior Health News: न बोर्ड न पंजीयन, मेडिकल स्टोर और पैथोलाजी लैब से चल रहे क्लीनिक
  1. निजी प्रैक्टिस की छूट के नियम का माखौल खड़ा रहे डाक्टर
  2. जिनको पदस्थापना वाले स्थान पर करना चाहिए प्रैक्टिस वह भी खोल कर बैठे क्लीनिक

ग्वालियर. जिला अस्पताल से जुड़े कई डाक्टर निजी प्रैक्टिस के लिए मिली छूट का फायदा उठाकर मरीजों व सरकार के साथ धोखा कर रहे हैं। हकीकत ये है कि नियमों को लांघकर डाक्टर अस्पताल के आसपास मेडिकल स्टोर, पैथोलाजी सेंटर में क्लीनिक खोलकर मरीजों को परामर्श दे रहे हैं। इनमें कई ऐसे हैं जिनके पास रजिस्ट्रेशन भी नहीं हैं। नियम है कि रोगी कल्याण समिति को तय राशि चुका यह प्रैक्टिस कर सकते हैं, लेकिन काेई भी तय राशि जमा नहीं कर रहा है।

इस मामले पर नई दुनिया टीम ने जमीनी हकीकत खंगाली तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। पता लगा कि जो डाक्टर रोगी कल्याण समिति में 500 और 1000 रुपए जमा नहीं करा रहे हैं वह मेडिकल स्टोर, पैथोलाजी में सीएमएचओ कार्यालय में पंजीयन कराए बिना प्रैक्टिस कर रहे हैं। इनमें कुछ ऐसे भी है, जिन्होंने सीएमएचओ कार्यालय में पंजीयन करा रखे हैं, वह कई नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। चौकाने वाली बात ये है कि जब सिविल सर्जन कार्यालय से से रोगी कल्याण समिति में राशि जमा न करने वाले डाक्टरों की सूची मांगी तो यह कहकर बात को डाल दिया गया कि कोई राशि जमा नहीं करा रहा है। बड़ा सवाल ये भी है कि डाक्टर प्रैक्टिस करके हर साल लाखों रुपए कमाते हैं। लेकिन 500 और 1000 रुपए जमा नहीं कर पा रहे हैं।

सीन…1

जिला अस्पताल से महज कुछ ही दूरी पर डा. रवि वर्मा हड्डी रोग विशेषज्ञ का क्लीनिक है। क्लीनिक के बोर्ड के ठीक नीचे संस्कृति मेडिकल व आयुष पैथोलाजी लैब कनेक्शन सेंटर लिखा है। डा. वर्मा यहां प्रैक्टिस करते हैं। बता दें कि यह डाक्टर मुरार जिला अस्पताल में अटैच हैं। इनकी पदस्थापना डबरा सिविल अस्पताल में है। नियम के मुताबिक चिकित्सक पदस्थापना वाले स्थान पर प्रैक्टिस कर सकता है। डाक्टर एक नहीं दो नियमों को ताक पर रखकर प्रैक्टिस कर रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधकर बैठे हैं। यह रोगी कल्याण समिति में भी पैसा जमा नहीं कराते हैं।

सीन..2

मुरार प्रसूति गृह के ठीक सामने एक मेडिकल स्टोर पर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. गरिमा यादव निजी प्रैक्टिस करती हैं। उनके क्लीनिक यहां कोई बोर्ड नहीं लगा था। परामर्श लेने के लिए यहां महिलाओं की भीड़ जरुर लगी थी। मेडिकल स्टोर पर बैठे व्यक्ति से डा. यादव को मरीज दिखाने के लिए पूछा तो उसने कहा कि अब होली के बाद ही आना। बता दें कि डा.गरिमा यादव की पदस्थापना डबरा सिविल अस्पताल में है उनको प्रसूति गृह मुरार में अटैच किया गया है। नियम के तहत डा.यादव यहां प्रैक्टिस नहीं कर सकती, लेकिन धड़ल्ले से प्रैक्टिस कर रही हैं। सिविल सर्जन कार्यालय के ठीक सामने यह सब कुछ चल रहा है।

सीन..3

मुरार जिला अस्पताल के सामने कृष्णपुरी में डा.शालिनी शर्मा का क्लीनिक है। यह सोमवार से शनिवार तक सुबह आठ बजे से सुबह 9 बजे तक परामर्श देती हैं। इसके बाद दोपहर दो बजे से तीन बजे तक परामर्श देने का समय है। वहीं डा.रीना सक्सेना स्त्री एवं प्रसूति रोग चिकित्सक एजिलस डायग्नोस्टिक्स सेंटर पर मरीजों को परामर्श देती हैं। यह नियम विरुद्ध हैं, लेकिन जिम्मेदार कार्रवाई करने से बचते हैं। इतना ही नहीं रोगी कल्याण समिति में यह चिकित्सक सालाना दी जाने वाली राशि जमा नहीं कराती हैं। इसके साथ ही अन्य नियमों को भी इनके द्वारा ताक पर रखा जा रहा है।

घर पर कर सकते हैं प्रैक्टिस

कोई भी डाक्टर घर पर प्रैक्टिस कर सकता है। उसके लिए भी सीएमएचओ कार्यालय में पंजीयन कराना अनिवार्य है। अगर कोई चिकित्सक बिना पंजीयन और अन्य जगह क्लीनिक का संचालन कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देशित किया जाएगा।

डा. राकेश चतुर्वेदी, संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं

 

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