गौतमबुद्धनगर में राजनीतिक दलों पर भारी “NOTA” ?

गौतमबुद्धनगर में राजनीतिक दलों पर भारी “NOTA”
लोकसभा चुनाव में दो गुनी रफ्तार से पड़ा नोटा पर वोट, इस बार भी चला नो वोट का कैंपेन

सांकेतिक फोटो। - Dainik Bhaskar

सांकेतिक फोटो।

2009 में गौतमबुद्ध नगर को लोकसभा सीट बनाया गया। इसे पांच विधानसभा सीट मिलकर बनाया गया। प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा और जीता। पार्टियों का दबदबा भी बढ़ा और इसी के साथ राजनीतिक दलों से नाखुश रहने वालों की संख्या में इजाफा हुआ।

विगत दो लोकसभा चुनावों में इनकी संख्या दो गुना हो गई। इससे सबसे ज्यादा नाखुश मतदाता नोएडा का है। 2014 लोकसभा चुनाव में नोएडा विधानसभा क्षेत्र में 1879 लोगों ने नोटा का बटन दबाया। 2019 में ये संख्या बढ़कर दोगुना के पास 3315 हो गई।

सेक्टर-46 की गार्डेनिया ग्लोरी सोसाइटी में लगा ये बैनर
सेक्टर-46 की गार्डेनिया ग्लोरी सोसाइटी में लगा ये बैनर

आलम ये था कि अधिकांश प्रत्याशी भी नोटा के इस अंक तक नहीं पहुंच सके। हालांकि इस बार प्रशासन स्वीप के जरिए मतदाता को जागरूक करने का प्रयास कर रहा है। लेकिन राजनीतिक दलों के जीत के बाद बदलता रवैया गौतमबुद्ध नगर वासियों को रास नहीं आ रहा।

यही वजह है कि इस बार भी नोएडा ग्रेटरनोएडा की अधिकांश सोसाइटी जिनमें मतदाता की संख्या 60 फीसदी है। रजिस्ट्री नहीं होने पर इन लोगों ने “नो रजिस्ट्री नो वोट ” का कैंपेन चला दिया है।

नोएडा और ग्रेनो वेस्ट की सोसाइटी के बाहर इन लोगों ने पोस्टर और बैनर तक लगा दिए है। अब देखना ये है कि ये लोग नोटा को चुनते है या मतदान करने घर से बाहर ही नहीं निकलते। यदि ऐसा हुआ तो इस बार भी नोटा की संख्या कम होने की बजाय बढ़ेगी।

इन्ही हाइराइज बिल्डिंग में रहते है बायर्स
इन्ही हाइराइज बिल्डिंग में रहते है बायर्स

दरअसल सरकार का वादा था कि इस बार सभी फ्लैट मालिकों को रजिस्ट्री होगी। बतौर अमिताभ कांत की सिफारिश लागू की गई। इसके तहत बिल्डरों को कुल बकाया का 25 प्रतिशत रकम जमा करनी थी।

नोएडा और ग्रेटरनोएडा में महज 75 बिल्डर परियोजना ने सहमति दी। पैसा सिर्फ 200 करोड़ के आसपास ही आया। इससे 2000 रजिस्ट्री ही हो सकी। गौतमबुद्ध नगर में करीब 1.5 लाख फ्लैट बायर्स की रजिस्ट्री नहीं हो सकी है और करीब इतने ही लोगों को आशियाना नहीं मिला है।

जिनके लिए चुनाव सिर्फ एक जुमला रह गया है। प्रत्याशी यहां आते है और वादा करने चले जाते है। इसलिए एक बार फिर नो रजिस्ट्री नो वोट या फिर नोटा के जरिए ही ये अपना गुस्सा प्रत्याशियों पर निकालेंगे।

क्या होता है नोटा इसे भी समझे
साल 2013 में एक याचिका की सुनवाई बाद सुप्रीम कोर्ट ने नोटा विकल्प मतदाता को देने का आदेश दिया गया। भारत निर्वाचन आयोग ने 2013 में ही इसका पालन करना शुरू किया। दरअसल निर्वाचन क्षेत्र में कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आने की स्थिति में मतदाता ईवीएम में नोटा पर वोट कर सकते है।

अब देखते है लोकसभा वॉर नोटा के आकड़े

  • लोकसभा चुनाव 2014 में 3836 लोगों ने नोटा का बटन दबाया। यानी इन लोगों को किसी भी दल का प्रत्याशी पसंद नहीं था। यह कुल पड़े वोट का 0.32 प्रतिशत था।
  • लोकसभा चुनाव 2019 में नोटा का बटन दबाने वाले मतदाता की संख्या 8317 थी। इन मतदाता ने किसी भी दल के पक्ष में मतदान नहीं किया। यह कुल पड़े वोट का 0.60 प्रतिशत था।
  • 2022 के विधानसभा चुनाव में 2463 लोगों ने नोटा का बटन दबाया। जो कुल पड़े वोट का 0.71 प्रतिशत था।
  • 2017 में 1787 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था।
  • 2014 के उप चुनाव में नोटा का बटन 1846 ने दबाया। यह 1.13 प्रतिशत था।
नोएडा और ग्रेटरनोएडा में सालों से इसी तरह प्रदर्शन होते रहते है (फाइल फोटो)
नोएडा और ग्रेटरनोएडा में सालों से इसी तरह प्रदर्शन होते रहते है (फाइल फोटो)

अब जानते है 2014 और 2019 लोकसभा में विधानसभा वार नोटा की संख्या

विधानसभा क्षेत्र 2014 2019
नोएडा 1879 3315
दादरी 628 1724
जेवर 382 1067
खुर्जा और सिंकदराबाद 947 2211

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