ग्वालियर : बच्चों की जान खतरे में…

बच्चों की जान खतरे में…:13 साल पहले खत्म हो चुकी फिटनेस वाली बसों से स्कूल जाने को मजबूर

स्कूलों में नया सत्र हो चुका है। जिला प्रशासन ने स्कूली वाहनों से आने-जाने वाले लगभग 80 हजार बच्चों का सफर सुरक्षित रहे इसको कोई गाइडलाइन नहीं बनाई है। ऐसे स्कूल जाने वाले आपके बच्चे का सफर कितना सुरक्षित है इसको लेकर भास्कर की टीम जमीनी पड़ताल की।

टीम के सदस्य दोपहर में शिवपुरी लिंक रोड पर पहुंची। यहां से अलग-अलग स्कूलों की गुजरने वाली 30 स्कूल बस के रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज किए। रजिस्ट्रेशन नंबर से इन बसों की जानकारी जुटाई। इसमें खुलासा हुआ कि 6 बस ऐसी हैं जो जिनकी फिटनेस खत्म हो चुकी हैं फिर भी ऐसी बसों से बच्चे सफर करने को मजबूर थे। एक बस ऐसी थी जिसकी फिटनेस 13 साल पहले खत्म हो चुकी है। इनमें से कुछ बस ऐसी हैं जिनका बीमा खत्म हो चुका है। ऐसे वाहनों की जांच करने के लिए परिवहन अमला अब तक सड़कों पर नहीं उतरा।

सवाल यह खड़ा हो रहा है कि ऐसी बसों से यदि कोई हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? हरियाणा के महेंद्रगढ़ में बीते रोज हुए बस हादसे में 6 बच्चों की जान जा चुकी है। फिरभी परिवहन विभाग ने इस घटना से कोई सीख नहीं ली। 28 दिसंबर 2023 को हुए गुना बस हादसे में 13 लोग जिंदा जल गए थे। इस घटना के बाद कुछ दिनों बसों के चेकिंग हुई, लेकिन परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता, अपर परिवहन आयुक्त प्रवर्तन उमेश जोगा के आने के बाद से परिवहन अमला सुस्त हो गया है। इसी के चलते न यात्री बस तो दूर स्कूल बसों की जांच भी बंद है।

क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के निर्देश के अनुसार ऑटो में 5 और वैन में अधिकतम 9 बच्चे बैठाने का नियम है। लेकिन ऑटो चालक 12 तो वैन चालक 15 से 18 बच्चे तक बैठाए मिले। फालका बाजार से स्कूल जा रहे ऑटो में 12 बच्चे बैठे थे। इनमें दो बच्चे चालक ने अपने बगल में बैठा रखे थे। जबकि ड्राइवर के बगल में बच्चों को बैठाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसी प्रकार राम मंदिर के पास एक आटो में 10 छात्राएं बैठीं थीं। छात्राओं को लेकर जा रहे अधिकांश ऑटो चालकों ने बच्चों को अपने बगल में बैठाकर रखा था।

न इंश्योरेंस न फिटनेस फिर भी बेधड़क दौड़ रहीं स्कूल बस
शिवपुरी लिंक रोड पर पर संचालित अधिकांश बसों की फिटनेस खत्म हो चुकी है। एक विंगर में बच्चे बैठे मिले, जिसकी फिटनेस 13 साल पहले 19 अगस्त 2011 को खत्म हो चुकी है। इस वाहन का इंश्योरेंस 2019 से नहीं हुआ। कुछ स्कूलों के वाहन ऐसे कंडम मिले जिनकी खिड़कियां के कांच टूटे हुए थे, जबकि दरवाजे कपड़ों के टुकड़ों से बांधा गया था। सुरक्षा के लिए ग्रिल भी टूटी थीं।

रोज 80 हजार स्कूली बच्चे बस, ऑटो और वैन आते-जाते हैं स्कूल
आरटीओ कार्यालय में लगभग 800 स्कूली बस रजिस्टर्ड हैं। शहर में 94 सीबीएसई स्कूल हैं। इनमें लगभग 40 हजार बच्चे स्कूल बस से और 5 हजार ऑटो व वैन से लगभग 40 हजार बच्चे आते-जाते हैं। इस तरह 80 हजार बच्चे कंडम वाहनों से सफर करते हैं। जिनकी फिटनेस, ओवर लोडिंग के मामले में परिवहन विभाग, जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस वाहनों की जांच नहीं करती है।

अधिकारियों ने नहीं दिया जवाब
बिना फिटनेस स्कूल बसों को लेकर जब परिवहन आयुक्त व अपर परिवहन आयुक्त से बात करनी चाही तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

बिना फिटनेस के बच्चों का परिवहन करने वाली बसों पर कार्रवाई करेंगे

बिना फिटनेस किसी भी बस से बच्चों का परिवहन नहीं हो सकता है। अभी अमला चुनाव के लिए बसों का अधिग्रहण करने में व्यस्त है। फ्री होते ही अभियान चलाकर कार्रवाई जाएगी। बिना फिटनेस बस मिलने पर 5 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। – आरटीओ

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