10 साल में 35 MLAs ने कांग्रेस छोड़ी !
पटवारी बोले-मौकापरस्तों का मन बदल रहा …
X पर लिखा- 10 साल में 35 MLAs ने कांग्रेस छोड़ी, 22 सियासत की गुमनामी में ..
साल 2013 में मप्र की राजनीति में बडे़ सियासी दल-बदल की शुरुआत हुई और ये सिलसिला अभी तक जारी है। 2013 में विधानसभा में जब कांग्रेस सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई तो तत्कालीन उपनेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया। इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। चौधरी राकेश सिंह से लेकर अब तक करीब 35 विधायक बीजेपी जॉइन कर चुके हैं। इनमें सिर्फ 9 लोग वर्तमान में विधायक और 4 राज्य सरकार में मंत्री हैं। सियासत की गुमनामी में खोए कभी कांग्रेस के नेता रहे इन लीडर्स को लेकर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने ट्वीट किया है। पटवारी ने इन दल-बदलुओं का मन बदलने का दावा किया है।
सबसे पहले जानिए कि पटवारी ने अपने ट्वीट में क्या लिखा…
सच्चाई सिर्फ यह है कि बीते 10 सालों में 35 कांग्रेसी विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा, लेकिन उसमें से 22 नेताओं का सियासी सफर लगभग गुमनामी में चला गया है। ज्यादातर नेता या तो चुनाव हार गए या फिर उन्हें टिकट ही नहीं मिला. इन 35 नेताओं में फिलहाल 9 ही विधायक हैं और उनमें से भी केवल 4 ही मंत्री पद तक पहुंच पाए।
बीजेपी भय और लालच के दम पर विपक्ष को खत्म करना चाहती है। डरे हुए कुछ मौकापरस्त मन बदल भी रहे हैं। लेकिन, उनकी स्थिति जनता भी देख/समझ रही है। कभी मित्र, साथी, सहयोगी रहे ऐसे चेहरों के प्रति मेरी पूरी सहानुभूति है! यह दिली इच्छा भी है कि यदि वे राजनीति को जनसेवा का जरिया मानते हों, तो ईश्वर उनकी मदद करे।
2013 से शुरू हुआ था दल-बदल का खेल
मध्य प्रदेश में दल-बदल का खेल कोई नया नहीं है. बल्कि 2013 में इसकी शुरूआत विधानसभा के अंदर ही हुई थी, जब कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई तो तत्कालीन उपनेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह ने पलटी मार दी और बीजेपी में चले गए. इसके बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस विधायक नारायण त्रिपाठी, संजय पाठक और दिनेश अहरीवार ने बीजेपी का दामन लिया. वहीं 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके करीबी 22 विधायकों ने कांग्रेस का हाथ एकसाथ झटक दिया था. इससे कमलनाथ सरकार कुछ महीनों बाद ही गिर गई थी. साल 2023 के विधानसभा चुनावों में 66 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 3 और विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया.