डायबिटीज से लेकर हृदय रोग और कैंसर जैसी जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। कुछ दशकों पहले तक इन रोगों को उम्र बढ़ने के साथ होने वाली दिक्कतों के रूप में जाना जाता था, हालांकि अब ये बीमारियां कम उम्र वालों को भी अपना शिकार बना रही हैं। अध्ययनों में बढ़ती क्रोनिक बीमारियों के लिए कई प्रकार के जोखिम कारकों को जिम्मेदार माना जाता रहा है।
दुनियाभर में तेजी से बढ़ती इन बीमारियों के बोझ के कारणों के बारे में जानने के लिए शोध कर रही नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) की टीम ने बड़ा खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि कैंसर और मधुमेह के लिए खराब आहार सबसे बड़ा कारण हो सकता है।
टीम एक शोध के आधार पर इस नतीजे पर पहुंची है कि खराब खान-पान का कैंसर व मधुमेह जैसी बीमारियों से सीधा संबंध है। मोटे तौर पर सेहत संबंधी बड़ी परेशानियां खराब आहार से पैदा होती हैं। अध्ययन की रिपोर्ट सेल जर्नल में प्रकाशित की गई है।
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गड़बड़ आहार सेहत के लिए हानिकारक
शोधकर्ता कहते हैं कि हम जिस तरह की चीजों का सेवन करते हैं, उसका हमारी सेहत पर सीधा असर होता है। दुनियाभर में सोडियम, संतृप्त वसा और शर्करा से भरपूर खान-पान का चलन काफी बढ़ गया है। इसे सीधे तौर पर हृदय रोग और टाइप-2 डायबिटीज जैसी क्रोनिक बीमारियों का कारण पाया गया है। स्तन, गर्भाशय और बड़ी आंत के कैंसर के अधिकतर मामलों के लिए भी खान-पान में गड़बड़ी को प्रमुख जोखिम के रूप में देखा जा रहा है।
अध्ययन में क्या पता चला?
एनयूएस में कैंसर साइंस इंस्टीट्यूट ऑफ सिंगापुर (सीएसआई सिंगापुर) के शोधकर्ताओं ने अन्य संगठनों के साथ किए इस अध्ययन में बताया कि कैंसर हमारे जीन और पर्यावरण में मौजूद कारकों जैसे आहार, व्यायाम और प्रदूषण के बीच परस्पर क्रिया के कारण होता है। ऐसे पर्यावरणीय कारक कैंसर के खतरे को कैसे बढ़ाते हैं, यह अभी तक बहुत स्पष्ट नहीं है। यदि हम निवारक उपाय करते हैं तो ये हमें लंबे समय तक स्वस्थ रहने में मदद करते हैं, इसलिए इस संबंध को समझना महत्वपूर्ण है।
कैंसर तब उत्पन्न होता है जब हमारी कोशिकाएं ऊर्जा बनाने के लिए ग्लूकोज को तोड़ती हैं और इससे मिथाइलग्लॉक्सल (एमजीओ) उत्पन्न होता है जोकि मेटाबॉलिक बायो-प्रोडेक्ट है। यह एक प्रतिक्रियाशील यौगिक है जो मधुमेह के जीव विज्ञान में शामिल है। प्रीडायबिटीज और मधुमेह वाले लोगों में मिथाइलग्लॉक्सल का उच्च स्तर आम है और यह मोटापे और खराब आहार के कारण भी हो सकता है।
यह रसायन हमारे डीएनए में दोष पैदा करता है, जो कैंसर के प्रारंभ का संकेत है। जिन रोगियों में मिथाइलग्लॉक्सल का उच्च स्तर होता है उनमें कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है।
मिथाइलग्लॉक्सल को किया जा सकता है कंट्रोल
अध्ययनकर्ताओं ने बताया एचबीए1सी रक्त परीक्षण के जरिए इसका आसानी से पता चल सकता है। इसके अलावा एमजीओ के स्तर को आमतौर पर नियंत्रित भी किया जा सकता है। जिन लोगों में इस समस्या का निदान होता है उनमें दवाओं और अच्छे आहार की मदद से कैंसर की शुरुआत को रोका जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने कैंसर को रोकने वाले कुछ जीनों के बारे में लंबे समय से चले आ रहे सिद्धांत में भी बदलाव किया। नया बदलाव बताता है कि खराब आहार या अनियंत्रित मधुमेह कैंसर का खतरा बढ़ाता है।
अध्ययन का निष्कर्ष?
अध्ययन के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर हम सभी आहार में सुधार कर लें तो क्रोनिक बीमारियों और कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम करने में मदद मिल सकती है। मेडिटरेनीयन डाइट को इसमें अच्छा पाया गया है। भोजन में हरी सब्जियों, रंग-बिरंगे फलों को शामिल करना, नमक और चीनी की मात्रा कम रखना और जंक-प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन कम करना शरीर को स्वस्थ रखने और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में मददगार हो सकता है। जिन लोगों को डायबिटीज है उन्हें शुगर के स्तर को कंट्रोल में रखना सबसे जरूरी है।
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