कितने प्रतिशत लोग चाहते हैं अधिकनायकवादी सरकार या सेना का शासन?
न संसद और न कोर्ट…, कितने प्रतिशत लोग चाहते हैं अधिनायकवादी सरकार या सेना का शासन?
प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के 85 प्रतिशत लोगों ने मजबूत नेता द्वारा शासित या अधिनायकवादी शासन व्यवस्था की हिमायत की है.
दुनिया में एक तिहाई ऐसे लोग हैं, जिन्हें लोकतांत्रिक या चुनी हुई सरकार से ज्यादा बेहतर अधिनायकवादी या सैन्य शासन लगता है. हालिया प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 24 देशों के 31 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उनके देश में लोकतंत्र की बजाय अधिनायकवादी शासन व्यवस्था होनी चाहिए.
यह रिपोर्ट तब सामने आई है, जब साल 2024 में दुनिया के 49 प्रतिशत लोग अपनी सरकार चुनने जा रहे हैं.
प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के 85 प्रतिशत लोगों ने मजबूत नेता द्वारा शासित या अधिनायकवादी शासन व्यवस्था की हिमायत की है. अमेरिका में अधिनायकवादी शासन व्यवस्था को चाहने वाले लोगों की संख्या 32 प्रतिशत हैं.
दुनिया में अभी प्रचलित शासन व्यवस्था
दुनिया में लोकतंत्र के अलावा वर्तमान मे शासन का 4 मॉडल अभी प्रचलित है. इनमें एक पार्टी आधारित शासन, सैन्य शासन, राजशाही शासन और अंतरिम शासन व्यवस्था शामिल हैं.
संख्या के आधार पर बात करें तो 120 देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत शासन किया जा रहा है. इनमें भारत, अमिरेका और फ्रांस का नाम प्रमुख हैं.
अफगानिस्तान समेत 5 देशों में अंतरिम व्यवस्था के तहत सरकार चलाई जा रही है. सऊदी अरब समेत 5 देशों में अभी भी राजशाही या जारशाही व्यवस्था लागू है. चीन के अलावा 7 देशों में एक पार्टी की ही सरकार है.
दुनिया के 8 देश ऐसे भी हैं, जहां सेना के हाथ में सत्ता की कमान है. इन देशों में सत्ता का संचालन सेना द्वारा ही किया जाता है. पाकिस्तान जैसे देश में सरकार का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से होता है, लेकिन सत्ता की कमान वहां सेना के पास ही है.
सत्ता संचालन के लिए लोकतंत्र के भी 2 मॉडल अभी दुनिया में प्रचलित हैं. इनमें एक मॉडल राष्ट्रपति और दूसरा मॉडल संसदीय है. अमेरिका में राष्ट्रपति तो भारत में लोकतंत्र का संसदीय मॉडल है.
किस तरह की शासन व्यवस्था को पसंद करते हैं लोग?
प्यू रिसर्च सेंटर ने 2017 में इस सवाल को लेकर दुनिया के 38 देशों में एक रिसर्च किया था. सेंटर की तरफ से 41,953 लोग शामिल हुए थे. शोध में शामिल लोगों ने शासन के 5 व्यवस्थाओं पर खुलकर अपनी बातें कही.
प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक 78 प्रतिशत लोगों ने चुने प्रतिनिधि वाले लोकतांत्रिक व्यवस्था को सही ठहराया. 17 प्रतिशत लोगों का कहना था कि यह गलत है और चुने हुए प्रतिनिधि चुनाव बाद जनता को भूल जाते हैं.
66 प्रतिशत लोगों ने प्रत्यक्ष लोकतंत्र को सही बताया, जबकि 30 प्रतिशत लोगों का कहना था कि यह व्यवस्था शासन के लिए सही नहीं है. सर्वे में शामिल 49 प्रतिशत लोग रूल बाय एक्सपर्ट (विशेषज्ञ द्वारा शासित) मॉडल को सही ठहराया.
वहीं 46 प्रतिशत लोगों का कहना था कि यह मॉडल गलत है. इस सर्वे के मुताबिक दुनिया के 26 प्रतिशत लोगों का कहना था कि मजबूत नेताओं के हाथ में सत्ता होनी चाहिए, जबकि 71 प्रतिशत ने इसे गलत बताया.
वहीं दुनिया के 24 प्रतिशत लोग सैन्य शासन चाहते हैं, जबकि 73 प्रतिशत लोग इस व्यवस्था के विरोध में हैं.
किन्हें पसंद हैं शासन का अधिनायकवादी व्यवस्था?
प्यू सेंटर के हालिया रिसर्च में अधिनायकवादी व्यवस्था को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. इस रिसर्च के मुताबिक दुनिया के 24 देशों के 31 प्रतिशत लोग अधिनायकवादी व्यवस्था के समर्थक हैं.
जिन देशों में यह सर्वे किया गया है, उनमें अमेरिका, ब्रिटेन, भारत, इंडोनेशिया, कनाडा, पौलेंड, फ्रांस और इटली जैसे प्रमुख देश हैं. दिलचस्प बात है कि जो भी लोग इस शासन व्यवस्था के हिमायती हैं, उनमें अधिकांश बहुसंख्यक और दक्षिणपंथी थे.
उच्च आय वाले देशों के मुकाबले मध्यम आय वाले देशों के लोग अधिनायकवादी शासन व्यवस्था को ज्यादा पसंद करते हैं.
प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक भारत के 85 प्रतिशत लोगों ने मजबूत नेता द्वारा शासित व्यवस्था या अधिनायकवाद शासन व्यवस्था को समर्थन किया है. सर्वे में शामिल लोगों का कहना है कि देश में एक ऐसी शासन व्यवस्था की जरूरत है, जिसके नेता सभी फैसले स्वंय ले सके.
भारत के बाद ऐसे लोगों की संख्या इंडोनेशिया (77 प्रतिशत) और मेक्सिको (71 प्रतिशत) है. अमेरिका में ऐसे लोगों की संख्या 32 प्रतिशत है.
अधिनायकवादी शासन व्यवस्था से क्या मतलब है?
यह शासन व्यवस्था का एक रूप है, जो तानाशाही की तरह काम करता है. इस व्यवस्था में शासक ही तय करता है कि जनता के हक में क्या सही होगा? इसमें शासक आसानी से संवैधानिक मर्यादाओं की अवहेलना कर सकते हैं.
अधिनायकवादी सत्ता बल आधारित प्रणाली है, जिसका उपयोग कर शासन सरकार को आसानी से चलाते हैं. दुनिया में अधिनायकवादी सत्ता का विस्तार द्वितीय विश्वयुद्ध के वक्त हुआ. वर्तमान में चीन, रूस जैसे बड़े देशों में यह व्यवस्था कायम है.
अधिनायकवादी व्यवस्था में शासक किसी भी नियम को अपने तरीके से बदल सकते हैं और वे इसके लिए जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होते हैं. फ्रीडम हाउस प्रोजेक्ट की फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2021 रिपोर्ट के अनुसार 2020 में लोकतंत्र की वैश्विक गिरावट में तेज तेजी देखी गई है.
नवंबर 2022 में ईपीडब्ल्यू मैगजीन ने अधिनायकवाद को लेकर एक रिपोर्ट की है. इसके मुताबिक दुनिया के कई देशों में धीरे-धीरे इसका उदय हो रहा है.
भारत में अधिनायकवादी शासन: अतीत, वर्तमान और भविष्य
प्यू रिसर्च में भारत के 85 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि उन्हें ऐसी सत्ता व्यवस्था चाहिए, जहां सत्ता प्रमुख ही सारे फैसले ले सके. भारत में पहली बार नहीं है, जब अधिनायकवादी व्यवस्था चर्चा में है.
देश में लोकतंत्र लागू होने के बाद जब-जब केंद्र की सत्ता में पूर्ण बहुमत से सरकार बनती है, तब-तब इस व्यवस्था की चर्चा होने लगती है. साल 1975 में इंदिरा गांधी ने लोगों के सभी अधिकार को कुचल कर आपातकाल लागू कर दिया था.
दिलचस्प बात है कि इंदिरा के इस फैसले को भी तब लोगों ने काफी सराहा था. 1980 के चुनाव में प्रणव राय ने अपनी टीम के साथ इंडिया टुडे मैगजीन के लिए एक सर्वे तैयार किया था.
इस सर्वे में शामिल 90 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि उन्हें इमरजेंसी में कोई दिक्कत नहीं हुई.
वर्तमान में भारत में लोकसभा का चुनाव चल रहा है और पूरे चुनाव में तानाशाही सिस्टम बड़ा मुद्दा बन गया है. विपक्षी दलों का कहना है कि अगर तीसरी बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सत्ता आती है, तो यहां संविधान खत्म कर दिया जाएगा.