भोजन परोसने के बाद अब भिखारियों को तलाशने में लगी शिक्षकों की ड्यूटी

 सामूहिक विवाह में भोजन परोसने के बाद अब भिखारियों को तलाशने में लगी शिक्षकों की ड्यूटी
भीषण गर्मी में भिखारियों को तलाशने के लिए लगाई गई ड्यूटी को लेकर शिक्षकों में खासा आक्रोश है। शिक्षकों की नाराजगी इस बात से है कि शिक्षा के अलावा उनसे हर तरह के कार्य में ड्यूटी लगा दी जाती है जो गलत है।
  1. भीषण गर्मी में वह भिखारियों की तलाश पर शिक्षकों में नाराजगी
  2. शिक्षकों ने इस फैसले का विरोध जताना शुरू कर दिया है

ग्वालियर। ग्वालियर जिला शिक्षा अधिकारी का एक आदेश इन दिनों सुर्खियों में है। इस आदेश में शिक्षकों की ड्यूटी भिखारियों को तलाशने में लगाई गई है। जिसमें शिक्षकों के साथ साथ कुछ स्कूल के प्राचार्य भी शामिल हैं। इस भीषण गर्मी में भिखारियों को तलाशने के लिए लगाई गई ड्यूटी को लेकर शिक्षकों में खासा आक्रोश है। शिक्षकों की नाराजगी इस बात से है कि शिक्षा के अलावा उनसे हर तरह के कार्य में ड्यूटी लगा दी जाती है जो गलत है। शिक्षकों ने इस फैसले का विरोध जताना शुरू कर दिया है।जबकि इस अजीबो गरीब फैसले की चर्चा भी प्रदेश में हो रही है।इधर ज्वाइंट डायरेक्टर दीपक पांडे का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने यह आदेश, कलेक्टर के निर्देश पर जारी किया है।

हर दिन खोजने भिखारी

जिला शिक्षा अधिकारी अजय कटियार ने जो आदेश जारी किया है। उसमें बाकायदा हर दिन 9 घंटे तक शिक्षकों को भिखारियों खोजने का काम दिया है।वे छोटे बच्चे जो भीख मांगकर जीवन यापन कर रहे या उनके माता पिता भीख मंगवा रहे। एेसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए उन्हें चिन्हित करना है । उन्होंने जो आदेश जारी किया है उसमें महिला-बाल विकास विभाग के विशेष अभियान का जिक्र किया है, जिसमें कुछ प्राचार्यों के साथ कुछ कर्मचारियों को भी शामिल किया गया। जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि भिक्षावृत्ति पर रोक लगाने और भिखारियों को मुख्य धारा में लाने के लिए यह काम शिक्षकों को सौंपा गया है।

हाई कोर्ट के आदेश के विपरीत दिया आदेश

जिला शिक्षाधिकारी के इस आदेश का विरोध भी शुरू हो चुका है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि पिछले साल ही हाईकोर्ट यह आदेश दे चुका है कि गैर शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की ड्यूटी ना लगाई जाए, उसके बाद इस इस तरह के कार्यों में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा रही है। इसके अलावा भी हर विभाग के काम शिक्षकों को ही सौंपे जा रहे हैं। इसलिए यह आदेश तुरंत ही वापस लिया जाना चाहिए।

इस तरह के पहले भी दिए जा चुके आदेश

शिक्षकों का कहना है कि यह कोई पहला आदेश नहीं इससे पहले भी शिवपुरी में शराब ठेकों पर ड्यूटी, सामूहिक विवाह आयोजनों में भोजन में भोजन परोसने और शिव महापुराण कथा में भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जा चुकी हैं। ये सभी काम शिक्षा विभाग से जुड़े नहीं है, ऐसे में इस तरह के कामों में शिक्षकों की ड्यूटी लगाना उचित नहीं है। शिक्षकों का कहना है कि किसी न किसी बहाने शिक्षकों को परेशान किया जाता है। जिससे बाद में बच्चों के नतीजे प्रभावित होते हैं।

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