एक प्रकाशक, दो किताब, दाम अलग-अलग, पुस्तक प्रकाशक की जांच में सामने आया फर्जीवाड़ा
एक प्रकाशक, दो किताब, दाम अलग-अलग, पुस्तक प्रकाशक की जांच में सामने आया फर्जीवाड़ा
स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव रश्मि अरूण शमी ने वीसी के माध्यम से कलेक्टर दीपक सक्सेना से प्रायवेट स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली, यूनिफार्म व शैक्षणिक सामग्री दुकान विशेष से खरीदने के संबंध में जानकारी ली।
- जबलपुर का क्राइस्ट चर्च स्कूल नहीं देता शिक्षकों को वेतन पर्ची
- स्कूल प्रबंधन के साथ सांठगांठ कर पुस्तक प्रकाशकों ने कवर बदलकर कमा लिए करोड़ों
- जबलपुर के निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों को ठगने के लिए काेई कसर बाकी नहीं रखी।
जबलपुर। जबलपुर के निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों को ठगने के लिए काेई कसर बाकी नहीं रखी। उन्होंने कमाने के लिए हर रास्तों का उपयोग किया। जबलपुर के पुस्तक विक्रेताओं के साथ सांठगांठ कर निजी स्कूलों ने कक्षाओं के काेर्स को तय करने जो किताबें जोड़ी, उसमें भी करोड़ों की गड़बड़ी की। इधर स्कूलों को करोड़ों का कमीशन देने के बाद पुस्तक विक्रेताओं और पुस्तक प्रकाशकों ने मिलकर पुरानी किताबों को कई कक्षाओं के कोर्स में जोड़ दिया।
45 दिन तक जांच टीम ने क्राइस्ट चर्च स्कूल सालीवाड़ा, लिटिल वल्ड स्कूल , स्टेम फील्ड, ज्ञान गंगा आर्किड, चैतन्य टेक्नो, क्राइस्ट चर्च आइएससी, सेंट अलायसियस पोलीपाथर, सेंट अलायसियस स्कूल सदर, क्राइस चर्च डायसेशन, सेंट अलायसियस स्कूल रिमझा, क्राइस्ट चर्च बॉयज स्कूल द्वारा करोड़ों की अवैध कमाई करने के लिए न सिर्फ नियम को ताक में रख दिया, बल्कि अभिभावक और बच्चों के साथ भी झल किया गया।
कवर बदलकर सुमेधा और आमोदनी नाम
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने हर स्तर पर जांच की। इस जांच में कई चौकने वाली जानकारी सामने आइ, जिसके बाद निजी स्कूल, पुस्तक विक्रेता और प्रकाशक की 420 सामने ला दी। इनके द्वारा एक ही किताब अलग-अलग नाम से अलग-अलग स्कूलों में चलाई जा रही थी। इन किताबों के प्रकाशक एक ही हैं किताबों के लेखक भी एक ही है। यहां तक की इंडेक्स और कंटेंट भी वहीं हैं, लेकिन कवर पेज और किताब के नाम बदलकर अलग-अलग कीमत पर और अलग-अलग स्कूलों में ये चलाई जा रही थीं। फ्रेण्डस पब्लिकेशन (इंडिया), आगरा द्वारा प्रकाशित इन किताबों को सुमेधा और आमोदनी नाम दिया गया है। दोनों किताबों का लेखन और संकलन वाराणसी के डॉ. राम अवतार शर्मा द्वारा किया गया है।
कागज और प्रिंट एक, पर दाम अलग-अलग
प्रशासन की जांच टीम के मुताबिक जांच में उक्त दोनों किताबों में खास बात यह थी कि इनके प्रत्येक पृष्ठ का कंटेंट एक जैसा है। जो कंटेंट सुमेधा के पृष्ठ क्रमांक 13 पर है वही आमोदनी के पृष्ठ क्रमांक 13 पर भी मिलेगा। कुल मिलाकर 133-133 पृष्ठों की दोनों किताबों के हर पृष्ठ पर एक जैसे कंटेंट देखने मिलें, लेकिन कमीशन खोरी की वजह से इन किताबों के दाम अलग-अलग रखा गया। इतना ही नहीं जहां सुमेधा का विक्रय मूल्य 345 रूपए रखा गया वहीं आमोदनी को 265 रूपए रखा । यह एक उदाहरण है, लेकिन ऐसा हजारों किताबों के साथ कर करोड़ों की अवैध कमाई की गई। जिला प्रशासन ने निजी स्कूलों द्वारा प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं से साठगांठ कर अभिभावकों से अवैध वसूली के इस मामलों को भी जांच के दायरे में शामिल किया है।
प्रमुख सचिव ने कलेक्टर से ली कार्रवाई की जानकारी
स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव रश्मि अरूण शमी ने वीसी के माध्यम से कलेक्टर दीपक सक्सेना से प्रायवेट स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली, यूनिफार्म व शैक्षणिक सामग्री दुकान विशेष से खरीदने के संबंध में जानकारी ली। वीसी में शिक्षा विभाग से संबंधित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी भोपाल से जुड़े थे । कलेक्टर ने निजी विद्यालय की जांच और विशलेषण के संबंध में विस्तार से बताया, जिसमें स्कूल बैग्स का वजन बढ़ाकर, बिना औचित्य नवीन पुस्तक पाठयक्रम में शामिल करना, निम्न स्तरीय सस्ती फर्जी और डुप्लीकेट आईएसबीएन पाठयपुस्तकों के माध्यम से कमीशनखोरी, फीस की अनुचित वृद्धि, पुस्तक, स्टेशनरी, यूनिफार्म, विक्रेता विशेष से मनमाने दाम पर क्रय करने के लिये अभिभावकों पर दबाव, फीस वृद्धि के विहित प्रक्रिया और प्रायवेट स्कूलों के फीस वृद्धि के हथकंडे के साथ कमीशनखोरी के अन्य हथकंडो के बारे में विस्तार से बताया। प्रमुख सचिव ने पूरे प्रेजेंटेशन को गंभीरता से देखा।
क्राइस्ट चर्च स्कूल नहीं देता शिक्षकों को वेतन पर्ची
अभिभावकों के साथ करोड़ों की ठगी करने वाले क्राइस्ट चर्च स्कूल प्रबंधन गड़बड़ी एक-एक कर अब सामने आ रही हैं। अब यहां काम करने वाले शिक्षकों के शोषण का मामला सामने आया है। कई शिक्षकों ने कलेक्टर दीपक सक्सेना को इस संबंध में शिकायत की। उन्होंने बताया कि क्राइस्ट चर्च स्कूल बायज, गल्स ाऔर आइएससी में पिछले दो सेतीन माह से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट गया। 10 से 12 साल से शिक्षकों को वेतन पर्ची नहीं दी जाती। न ही वेतन रजिस्टर पर शिक्षकों के हस्ताक्षर कराए जाते हैं। वेतन संबंधित किसी तरह का रिकार्ड शिक्षकों के पास नहीं है। शिक्षकों की पिछले कई सालों से वेतन वृद्धि नहीं की गई। कलेक्टर ने शिक्षकों ने मांग की कि वे इस मामले की गंभीरता से जांच करें।