भारत में बनी दवाओं पर बढ़ा दुनिया का भरोसा !
भारत में बनी दवाओं पर बढ़ा दुनिया का भरोसा, निर्यात के साथ कद में भी हो रही बढ़ोतरी
फार्मा के साथ मेडिकल डिवाइस के निर्यात में भी पिछले दो-तीन सालों से 12-15 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है. निर्यात में बढ़ोतरी के साथ ही दुनिया में भारत का कद भी बढ़ रहा है.
बढ़ा है दवाओं का कारोबार
इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ फार्मा निर्यात में भी अब भारत को संभावनाएं दिख रही है. वैश्विक स्तर पर फार्मा का निर्यात बाजार 1.7 लाख करोड़ डॉलर का रहा है और इस लिहाज से भारत की हिस्सेदारी काफी मामूली है. लेकिन हालिया बढ़ोतरी दर को देखते हुए ये माना जा रहा है कि वर्ष 2030 तक फार्मा निर्यात 50 अरब डॉलर के स्तर को छू लेगा. फार्मा के साथ मेडिकल डिवाइस के निर्यात में भी पिछले दो-तीन सालों से 12-15 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है. हालांकि, भारत के पारासिटामोल और कोविड के वैक्सीन पर सवाल उठने के बाद भारत ने उन दवाओं को वापस मंगवा लिया था. भारत का इलेक्ट्राॅनिक्स के बाद फार्मा के सेक्टर का निर्यात प्रदर्शन काफी बेहतर हो रहा है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारतीय दवाओं का निर्यात 27.9 अरब डॉलर का हुआ. जो पूर्व के वित्तीय वर्ष से 9.67 प्रतिशत अधिक हुआ है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में भी फार्मा निर्यात में दहाई अंक में बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी. इसमें खास बात ये है कि अमेरिका, ब्रिटेन व नीदरलैंड जैसे विकसित देश सबसे अधिक भारतीय दवा की डिमांड कर रहे हैं और भारत के दवाओं पर भरोसा जताते हुए उसे खरीद रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 में खुद अमेरिका ने भारत से 7.83 अरब डॉलर की दवा खरीदा. भारत मुख्य रूप से जेनेरिक दवाइयों का निर्यात करने का काम करता है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई. अब भारत अपनी दवा की गुणवत्ता बढ़ाते जा रहा है, जिससे कि कोरोना काल में भारत ने 200 से अधिक देशों को वैक्सीन व दवा मुहैया कराने का काम किया.
इससे भारत के लिए एक निर्यात बाजार दुनिया भर में तैयार हो गया. वर्तमान में सूडान, मिस्त्र, ब्रूनेई, लाताविया, हैती, इथियोपिया जैसे देशों को फार्मा भारत निर्यात कर रहा हैं. भारत फार्मा निर्यात करते हुए अपने लिए एक बाजार भी सेट कर रहा है तो दूसरी ओर आने वाले समय के लिए काफी संभावनाएं बना रहा है. माना जा रहा है कि इस प्रकार से भारत ने काम किया तो साल 2030 तक फार्मा निर्यात 50 अरब डॉलर के स्तर को छू सकता है. भारत की दवा सस्ती होने के साथ गुणवत्ता वाली भी है. यूरोप में बनाई जाने वाली दवा भारत की तुलना में 25-30 प्रतिशत अधिक महंगी होती है. इसके बावजूद आज भी चीन काफी सस्ता फार्मा विश्व को देता है. मेडिकल क्षेत्र से जुड़े डिस्पोजेबल आइटम, आर्थोपेडिक आइटम, सीरिंज, निडल, ग्लव्स जैसी कई वस्तुओं में दुनिया के बाजार में भारत का बोलबाला है.
भारत में कई चिकित्सा पद्धतियां
भारतीय दवाएं अपनी प्राचीन और पुरानी चिकित्सा पद्धतियों का अद्भुत सम्मिश्रण और उत्पाद हैं. भारतीय चिकित्सा पद्धतियां आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, एलोपैथी, और होम्योपैथी जैसी हैं. जो विभिन्न रोगों और बीमारियों के इलाज में सफल होती थी. ये विभिन्न पद्धतियां रोग के कारणों को समझने, उपचार करने, और रोग को जड़ से उखाड़ने में सहायक होती थी. उसके बाद एलोपैथ ने बाजार में कब्जा जमाया. भारतीय दवाओं का अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उत्कृष्ट और विश्वसनीय नाम है. भारतीय दवाएं विभिन्न विश्वसनीयता प्रमाण पत्रों और मानकों के अनुसार सभी मानकों के पालन करने के बाद ही बनती हैं. भारतीय दवाओं का विश्व भर में प्रमुख निर्यात के तौर पर एक साख बनी है. भारत से निर्यात किए जाने वाले दवाएं अपनी उच्च गुणवत्ता,समय पर प्राप्ति और सुविधाजनक मूल्यों के लिए विश्व भर में मान्यता प्राप्त कर रही हैं. भारतीय दवाएं विभिन्न रोगों और बीमारियों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. भारतीय दवाएं एंटीबायोटिक्स के क्षेत्र में महत्वपूर्ण नाम हैं, जो विभिन्न इन्फेक्शन्स के उपचार में सहायक होते हैं. भारत वैक्सीन विकसित करने के में महत्वपूर्ण योगदान देता है, जो विभिन्न रोगों की प्रतिरक्षा में मदद करते हैं. आने वाले समय में भारत एक बड़ा दवा और फार्मा का निर्यातक बनेगा.