सुपरटेक सुपरनोवा परियोजना की दिवालिया प्रक्रिया शुरू, 1000 फ्लैट खरीदार फंसे

Noida : सुपरटेक सुपरनोवा परियोजना की दिवालिया प्रक्रिया शुरू, 1000 फ्लैट खरीदार फंसे
बैंक ऑफ महाराष्ट्र की ओर से दायर की गई याचिका पर एनसीएलटी ने दिवालिया प्रक्रिया चलाने की अपील स्वीकार कर ली है।

Noida: Bankruptcy process of Supertech Supernova project started, 1000 flat buyers stranded

सेक्टर-94 में सुपरनोवा परियोजना …

सेक्टर-94 में सुपरटेक रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड की सुपरनोवा परियोजना के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में दिवालिया प्रक्रिया शुरू हो गई है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र की ओर से दायर की गई याचिका पर एनसीएलटी ने दिवालिया प्रक्रिया चलाने की अपील स्वीकार कर ली।

नसीएलटी ने अंजू अग्रवाल को इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) नियुक्त किया है। इस मामले में सुपरेटक रियल्टर्स अब नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) का रुख करेगा। परियोजना के एनसीएलटी में जाने से करीब एक हजार फ्लैट खरीदार फंस गए हैं।

सुपरटेक सेक्टर-74 में 70 हजार वर्गमीटर की वाणिज्यिक के साथ-साथ आवासीय परियोजना विकसित कर रहा है। नोएडा प्राधिकरण के वाणिज्यिक विभाग ने आवासीय अपार्टमेंट, कार्यालय, रिटेल और लग्जरी होटल के लिए जमीन का आवंटन किया था। बिल्डर ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्शियम से 735.58 करोड़ की वित्तीय सहायता मांगी थी। बैंक ऑफ महाराष्ट्र का आरोप है कि बिल्डर ने 8 अप्रैल 2022 तक करीब 168 करोड़ के लोन का भुगतान नहीं किया। इसके बाद बैंक ऑफ महाराष्ट्र एनसीएलटी चली गई।

1000 खरीदारों को मिला कब्जा, 1000 कर रहे इंतजार
परियोजना में करीब 2000 यूनिट बनाने की अनुमति मिली है। निर्माण कार्य करीब-करीब पूरा हो चुका है। करीब एक हजार लोगों को फ्लैटों पर कब्जा मिल चुका है, जबकि करीब एक हजार खरीदार अभी कब्जा हासिल करने का इंतजार कर रहे हैं। परियोजना के कुछ फ्लैटों की बिक्री नहीं हुई है। नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी अशोक शर्मा ने बताया कि परियोजना में करीब 10 प्रतिशत फ्लैटों की रजिस्ट्री हुई है।

उत्तर भारत की सबसे ऊंची इमारत का दावा
परियोजना को चार टावरों में बांटा गया है। इसमें नोवा ईस्ट, नोवा वेस्ट, एस्ट्रालिस और स्पाइरा शामिल हैं। नोवा ईस्ट और नोवा वेस्ट 48-48 फ्लोर के हैं। वहीं एस्ट्रालिस टावर में भी 40 से ज्यादा फ्लोर हैं। वहीं स्पाइरा टावर 80 फ्लोर का होगा। फिलहाल 68 मंजिल तक निर्माण किया जा चुका है। जबकि 12 मंजिल और तैयार किए जाने हैं। बिल्डर का दावा है कि पूरी तरह से तैयार होने के बाद यह उत्तर भारत की सबसे ऊंची इमारत होगी। यही नहीं मिश्रित भू-उपयोग की श्रेणी में इसके देश की सबसे ऊंची इमारत होने की बात कही जाती है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की गई। नोवा ईस्ट, वेस्ट और एस्ट्रालिस में फ्लैटों का आवंटन हो चुका है। जबकि स्पाइरा में 60 प्रतिशत फ्लैटों की डिलीवरी हुई है।

प्राधिकरण के बकाये की गणना पर भी विवाद
परियोजना पर नोएडा प्राधिकरण का 2000 से 2500 करोड़ तक का बकाया है। हालांकि बिल्डर कंपनी इसका खंडन करती है। उनका कहना है कि प्राधिकरण ने ठीक तरीके से गणना नहीं की है। बकाया राशि इससे काफी कम है। बिल्डर की ओर से प्राधिकरण को एक बार फिर से बकाये की गणना करने की बात कही गई है।

70 लाख से 20 करोड़ है फ्लैट की कीमत
परियोजना में 520 वर्गफीट के स्टूडियो अपार्टमेंट से लेकर 20 हजार वर्गफीट तक के फ्लैट और पेंटहाउस हैं। जिसकी कीमत 70 लाख रुपये से शुरू होकर 20 करोड़ तक है। परियोजना में उद्योगपति, सेलिब्रेटी समेत कई नामचीन लोगों ने निवेश किया है।

खरीदारों के पास क्या है विकल्प
सुप्रीम कोर्ट के वकील कुमार मिहिर ने बताया कि खरीदारों को 14 से 90 दिन के भीतर आईआरपी के सामने अपना-अपना क्लेम दाखिल करना होगा। इसके बाद उनको कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) में सदस्ता ग्रहण करनी होगी। खरीदारों का एक प्रतिनिधि सीओसी में रहेगा, जो उन्हें गाइड करेगा। आईआरपी की ओर से पेश की जाने वाली समाधान योजना पर वोटिंग आदि भी करनी होगी।

दिवालिया प्रक्रिया में आगे क्या होगा
सुपरनोवा के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने के बाद आईआरपी की नियुक्ति हो चुकी है। आईआरपी सीओसी के गठन के बाद समाधान योजना लेकर आएगा। इसके लिए उसके पास 270 दिन का समय होगा। तय अवधि में काम नहीं होने पर आईआरपी को 60 दिन का और समय मिलेगा। इसके बाद भी अगर परियोजना को उबारा नहीं जा सकेगा तो इसे दिवालिया घोषित कर दिया जाएगा। इसके बाद नीलामी शुरू होगी। नीलामी से मिले पैसे का बंटवारा बकायेदारों के बीच होगा।

हम लोग इस फैसले के खिलाफ एनसीएलएटी में अपील करने जा रहे हैं। इस परियोजना को पूरा करने और बकाये को चुकाने के लिए फंड की व्यवस्था की जा रही है। हम सभी निवेशकों को यह आश्वस्त करते हैं कि उनको किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है। सभी कार्य पहले की तरह चलते रहेंगे।
– आरके अरोड़ा, चेयरमैन, सुपरटेक

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