नेशनल टेस्टिंग एजेंसी एक फेल मॉडल क्यों है ?

 पहले NEET में धांधली, अब UGC-NET रद्द …
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी एक फेल मॉडल क्यों है; अंदर के लूपहोल्स की पूरी कहानी

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA ने 18 जून को हुई UGC-NET की परीक्षा रद्द कर दी है। परीक्षा में गड़बड़ी के इनपुट्स मिले थे। मामला CBI को सौंपा गया है। देश के 317 शहरों में 1205 सेंटर्स पर दो शिफ्ट में 9 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स ने एग्जाम दिया था। सभी को फिर से परीक्षा देनी होगी।

ये फैसला ऐसे वक्त में लिया गया है, जब NTA पर पहले ही NEET परीक्षा में धांधली को लेकर सवाल उठ रहे हैं। उसमें 24 लाख स्टूडेंट्स का भविष्य दांव पर लगा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी माना कि NEET परीक्षा में गड़बड़ी हुई है और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी में सुधार की जरूरत है।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की पूरी कहानी जानेंगे। 7 साल पहले बनाई गई ये केंद्रीय एजेंसी कैसे एक फेल मॉडल है, जिसकी कीमत लाखों स्टूडेंट्स भुगत रहे हैं…

1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति और 1992 के प्रोग्राम ऑफ एक्शन में एक सुझाव दिया गया कि हायर एजुकेशन में एडमिशन के लिए नेशनल लेवल पर एक समान एंट्रेंस टेस्ट कराया जाए। बात आई-गई हो गई।

2010 में एक बार फिर चर्चा उठी जब IITs के कुछ निदेशकों ने सरकार से नेशनल टेस्टिंग एजेंसी बनाने की सिफारिश की। 2017 में वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में NTA के गठन की घोषणा की। इसका काम है देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में एडमिशन और स्कॉलरशिप के लिए क्वालिटी टेस्टिंग सर्विस देना यानी एग्जाम कराना।

 

NTA ने एग्जाम प्रोसेस में 5 बड़े बदलाव किए…

1. ऑनलाइन मोड में एग्जाम: NTA ने NEET को छोड़कर लगभग सभी एग्जाम ऑनलाइन कंप्यूटर बेस्ड मोड में करवाने शुरू किए। NTA की वेबसाइट के मुताबिक, ऑनलाइन एग्जाम से क्वेश्चन पेपर लीक होने और OMR शीट भरने में गड़बड़ी जैसी चीजों की संभावना खत्म हो जाएगी।

2. साल में दो या ज्यादा बार एक ही एग्जाम: किसी एग्जाम के अलग-अलग सेशंस में बैठने वाले स्टूडेंट्स को जिस सेशन में ज्यादा मार्क्स मिलेंगे, उसे ही फाइनल स्कोर माना जाएगा। NTA का तर्क है कि इससे स्टूडेंट्स को ज्यादा मौके मिलेंगे और उनका साल बचेगा।

3. कुल सवाल और टोटल मार्क्स में बदलाव: NTA के आने के बाद JEE जैसे बड़े एग्जाम के मार्किंग पैटर्न में बदलाव किए गए। 2018 तक, JEE मेन्स का एग्जाम CBSE द्वारा होता था, तब पेपर कुल 90 सवालों और 360 अंकों का था। 2020 में NTA के हाथों में आने के बाद JEE का मेंस का पेपर 300 अंकों का हुआ और इसमें कुल सवाल घटाकर 75 कर दिए गए। हालांकि बाद में यह बदलाव हटा लिए गए।

4. मेरिट और रैंक तय करने के लिए परसेंटाइल मेथड: JEE मेंस और NEET में नॉर्मलाइज्ड स्कोर, परसेंटाइल होता है न कि स्टूडेंट को मिले मार्क्स। यानी किसी भी एग्जाम में किसी भी सेशन में एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स को NTA द्वारा उनके परसेंटाइल के आधार पर रैंक मिलती है। इसी रैंक के आधार पर उनका चयन होता है। स्टूडेंट्स का परसेंटाइल उनके सेशन के बाकी स्टूडेंट्स के मार्क्स और सेशन में कुल स्टूडेंट्स की संख्या के आधार पर तय होता है। यह एक जटिल प्रक्रिया है।

5. सिलेबस और मार्किंग सिस्टम में बदलाव: NTA के आने के बाद NEET और JEE जैसे एग्जाम में सिलेबस कम हुआ और मार्किंग सिस्टम में भी बदलाव हुआ है। इसके चलते न सिर्फ टॉप स्कोर लाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती गई, बल्कि JEE मेंस और NEET का कट-ऑफ बढ़ता गया।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के 7 सालः कभी गलत मार्किंग से स्टूडेंट ने सुसाइड किया, कभी कैटेगरी टॉपर को फेल दिखाया

NEET UG 2019: एक ही सवाल के एक से ज्यादा जवाब सही
NTA ने NEET का पहला एग्जाम 2019 में करवाया था। इस एग्जाम में कई सवालों के एक से ज्यादा सही जवाब थे। सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद NTA ने नई आंसर-की जारी की। इस एग्जाम में एक अभ्यर्थी की जगह दूसरे व्यक्ति ने एग्जाम दिया था।

JEE MAINS 2020: JEE मेंस असम टॉपर की जगह दूसरे कैंडिडेट ने एग्जाम दिया
2020 में JEE MAINS में नील नक्षत्र दास नाम के असम के एक कैंडिडेट की जगह प्रदीप कुमार नाम के एक दूसरे व्यक्ति ने एग्जाम दिया। नील के 99.8% मार्क्स आए। इस मामले में नील, उसके पिता डॉ ज्योतिर्मय दास सहित कुल 7 लोग गिरफ्तार हुए।

NEET UG 2020: NTA ने दिए सिर्फ 6 मार्क्स, सुसाइड के बाद OMR मिलान में 590 मार्क्स
2020 की NEET UG की परीक्षा में, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की विधि सूर्यवंशी को सिर्फ 6 अंक मिले। विधि ने फांसी लगाकर जान दे दी। बाद में जब विधि के भाई ने पोर्टल पर OMR शीट से मार्क्स का मिलान किया तो उसमें विधि के 590 मार्क्स निकले।

NEET UG 2020: ST कैटेगरी टॉपर को NTA ने फेल किया
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के मृदुल रावत को NTA की तरफ से जारी रिजल्ट में 329 मार्क्स मिले थे। उसने रिजल्ट को चुनौती दी। NTA ने OMR रीचेक के बाद जो स्कोर कार्ड जारी किया उसमें अंकों में मार्क्स 650 लिखे थे, जबकि शब्दों में तीन सौ उन्तीस ही लिखा था। मृदुल के मुताबिक, 650 मार्क्स के आधार पर उन्होंने ST कैटेगरी में टॉप किया था, जबकि जनरल कैटेगरी में उनकी रैंक 3577 थी।

JEE MAINS 2022: एग्जाम में तकनीकी दिक्कत के आरोप
2022 में JEE मेंस के एग्जाम के दौरान NTA पर गड़बड़ी के आरोप लगे। एग्जाम के दौरान कई स्टूडेंट्स को तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आंसर की और रेस्पॉन्स शीट में भी दिक्कतें थीं।

JEE MAINS 2024: शिफ्ट में छात्रों के असमान बंटवारे का आरोप
इसी साल जनवरी और फरवरी के महीने में 5 अलग-अलग तारीखों पर सेशन-1 की JEE की परीक्षा हुई। छात्रों का आरोप था कि कुछ शिफ्ट में ज्यादा स्टूडेंट्स होने के चलते उनका परसेंटाइल कम हो गया। हालांकि बाद में NTA द्वारा जारी डेटा के मुताबिक सभी शिफ्ट्स में एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स की संख्या लगभग एक ही थी।

सबसे ज्यादा हंगामा NEET 2024 में धांधली को लेकर हो रहा है। 6 बड़ी वजहें, जो NTA पर संदेह बढ़ाती हैं…

1. हरियाणा के झज्जर में गलत पेपर सेट दिया गया, एक ही सेंटर से 8 टॉपर: विरोध कर रहे स्टूडेंट्स का कहना है कि 2307 झज्जर का सेंटर कोड था। रोल नंबर में इस कोड के बाद आखिर में 62 से 69 सीरियल नंबर वाले सभी स्टूडेंट्स को 720 मार्क्स मिले। इन 8 में से 6 स्टूडेंट्स झज्जर के बहादुरगढ़ में हरदयाल पब्लिक स्कूल में एग्जाम दे रहे थे। इस पर सवाल उठे तो NTA का कहना था कि ग्रेस मार्क्स के चलते उन्हें ये नंबर मिले।

हरियाणा के छात्रों का दावा ये भी था कि एग्जाम के शुरू होने के 30 से 40 मिनट बाद दो सेंटर्स पर पेपर बदल दिए गए। एक सेंटर पर केनरा बैंक के MNOP कोड वाला पेपर दिया गया बाद में इसे बदलकर SBI बैंक का QRST कोड वाला पेपर दिया गया। दूसरे सेंटर पर पहले दोनों पेपर बांट दिए गए और बाद में एक पेपर हल करने को कहा गया।

2. ग्रेस मार्क्स पर सवाल खड़ा हुआ तो NTA ने यू टर्न लिया: कई स्टूडेंट्स ने हाई कोर्ट में याचिकाएं डालकर आरोप लगाया था कि उन्हें एग्जाम पूरा करने के लिए पूरा समय नहीं मिला। इसके बाद NTA की ग्रीवांस कमेटी ने 1563 स्टूडेंट्स को ग्रेस मार्क्स दे दिए। NTA का कहना था कि ये ग्रेस मार्क्स उसी नॉर्मलाइजेशन के फॉर्मूले के तहत दिए गए जो 2018 के CLAT एग्जाम में सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद तय किया गया था।

ग्रेस मार्क्स के चलते 6 स्टूडेंट्स को 720 में से 720 मार्क्स मिले और वह टॉपर बन गए। जब इसका विरोध हुआ तो NTA और शिक्षा मंत्रालय की एक और कमेटी ने माना कि ग्रेस मार्क्स देने के लिए नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले का सही इस्तेमाल नहीं किया गया। अब NTA ने कहा है कि वह, 23 जून को ग्रेस मार्क्स पाने वाले सभी 1563 स्टूडेंट्स का एग्जाम फिर से करवाएगी।

3. परसेंटाइल सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ी का आरोप: NEET और JEE मेंस के एग्जाम में हर सेशन और शिफ्ट में क्वेश्चन पेपर और उसका डिफिकल्टी लेवल अलग रहता है। जिस सेशन में स्टूडेंट को अच्छा परसेंटाइल मिलता है, उसे स्टूडेंट का फाइनल स्कोर माना जाता है। क्वेश्चन पेपर के डिफिकल्टी लेवल और दूसरे स्टूडेंट्स से मार्क्स की तुलना के हिसाब से स्टूडेंट्स को परसेंटाइल दिए जाते हैं। NTA की ये नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया काफी जटिल है।

छात्रों और NEET की तैयारी करवाने वाले टीचर्स का आरोप है कि इसमें तकनीकी गड़बड़ी है। एक छात्र को किसी सेशन में कम अंक लाने पर भी ज्यादा परसेंटाइल और अच्छी रैंक मिल रही है, जबकि किसी दूसरे छात्र को दूसरे सेशन में ज्यादा अंक लाने पर भी कम परसेंटाइल और लंबी रैंक मिल रही है। इसी साल जनवरी-फरवरी में हुए JEE मेंस के रिजल्ट में भी परसेंटाइल सिस्टम और नॉर्मलाइजेशन के फॉर्मूले पर छात्रों ने सवाल उठाया था।

NEET के अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि 2023 में 715 मार्क्स लाने पर चौथी रैंक आई थी लेकिन इस बार 715 मार्क्स लाने पर रैंक 225 पहुंच गई। एक साल में इतना अंतर कैसे आ गया। NEET के एग्जाम में 600 से 650 के आस पास के मार्क्स अच्छे माने जाते रहे हैं। इस बार 600 मार्क्स लाने वाले की रैंक 80,000 से भी ज्यादा है।

4. स्कोर कार्ड, रैंकिंग पर सवाल: NEET 2024 के रिजल्ट में कुल 67 स्टूडेंट्स को पूरे 720 मार्क्स मिले हैं। 718 और 719 मार्क्स पाने वाले स्टूडेंट्स के स्कोर कार्ड पर भी सवाल हैं। तकनीकी रूप से ये आंकड़े आना असंभव है। NTA का कहना था कि ऐसा ग्रेस मार्क्स देने के चलते हुआ है। कुल कट-ऑफ भी बीते साल की तुलना में 137 से बढ़कर 164 हो गया है। ये अंतर काफी ज्यादा है।

5. बिहार में आरोपी ने पेपर लीक की बात मानी: पटना पुलिस की FIR के मुताबिक, एक संगठित गिरोह ने कुछ स्टूडेंट्स और NTA के कर्मियों की मिलीभगत से पेपरलीक किया है। गिरफ्तार हुए एक आरोपी आयुष ने कहा कि उसे 4 मई को पूरा पेपर और आंसर की देकर सवालों के जवाब रटने को कहा गया। उसके साथ 20-25 स्टूडेंट और थे, उन्हें भी जवाब रटाए गए। NEET एग्जाम में सभी सवाल वही थे।

सुप्रीम कोर्ट में पेपर लीक को लेकर याचिका डालने वाले हितेश सिंह कश्यप ने कहा, ‘गुजरात के गोधरा में जय जल राम परीक्षा सेंटर को चुनने के लिए कर्नाटक, ओडिशा, झारखंड जैसे राज्यों में 26 छात्रों ने 10-10 लाख रुपए घूस दी थी। इस सेंटर पर ड्यूटी दे रहे गिरफ्तार टीचर के पास से सभी 26 छात्रों की डीटेल मिली है, इसलिए इस मामले की CBI जांच जरूरी है।’

6. समय से पहले चुनाव के नतीजों के दिन रिजल्ट की घोषणा: NTA के परीक्षा कार्यक्रम के मुताबिक NEET 2024 के नतीजे 14 जून को घोषित किए जाने थे। हालांकि NTA ने 10 दिन पहले ही 4 जून को नतीजों की घोषणा कर दी। आरोप लगे कि 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन जानबूझकर NEET का रिजल्ट घोषित किया गया।

इस पर NTA का कहना था, ‘जल्दी काउंसलिंग करवाने और एडमिशन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए रिजल्ट 4 जून को घोषित किए गए। इसका लोकसभा चुनाव के नतीजों से कोई लेना-देना नहीं है।’

NTA कैसे एक फेल मॉडल है, 8 पॉइंट्स में एक्सपर्ट एनालिसिस

1. NTA ने फॉर्म भरने वाले बच्चों से किए कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ा
NEET IIT इंस्टीट्यूट, हल्द्वानी के संचालक शुभम रॉय कहते हैं कि पैसे देकर NEET का फॉर्म NTA और स्टूडेंट्स के बीच एक डॉक्यूमेंटेड कॉन्ट्रैक्ट है, जिसमें दोनों पक्षों को कुछ तय नियम मानने होते हैं। NTA के फॉर्म में कहीं भी नहीं लिखा है कि हम नॉर्मलाइजेशन के मेथड को कहीं भी किसी भी तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं, बाद में नॉर्मलाइजेशन का इस्तेमाल करना इस कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट में NEET के नतीजों के खिलाफ याचिका दायर करने वाले फिजिक्सवाला संस्थान के निदेशक अलख पांडेय कहते हैं कि डॉक्यूमेंट में बाद में एक क्लॉज H जोड़ दिया गया जिसके अनुसार पहले फॉर्म भरने वालों को रैंक में वरीयता दी गई है। ये लॉटरी के उस नियम की तरह है, जिसे खेल शुरू होने के बाद अचानक जोड़ दिया गया।

2. नॉर्मलाइजेशन मेथड सही नहीं, CLAT- 2018 का मेथड लागू करना गलत
CLAT-2018 के एग्जाम में याचिकाकर्ताओं ने एग्जाम के दौरान सॉफ्टवेयर क्रैश, सवाल गायब होने, स्क्रीन फ्रीज होने जैसी टेक्निकल दिक्कतों के चलते समय खराब होने की बात कही थी। इन समस्याओं के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने नॉर्मलाइजेशन के तहत स्टूडेंट्स को मार्क्स देने का आदेश दिया था।

इस बार के NEET एग्जाम में अलग दिक्कतें थीं। यह ऑफलाइन एग्जाम था। शुभम रॉय के मुताबिक, NEET और CLAT के एग्जाम में सिलेबस और डिफिकल्टी लेवल का भी फर्क है। CLAT का फॉर्मूला NEET पर लागू नहीं किया जा सकता। साफ है कि NTA के पास NEET के लिए सही नॉर्मलाइजेशन मेथड नहीं है।

3. 1563 नहीं, 2.5 लाख स्टूडेंट्स का समय खराब हुआ
अलख पांडेय कहते हैं, ‘2018 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में साफ कहा था कि हर स्टूडेंट कोर्ट नहीं पहुंचता, इसलिए एक नई ईमेल आईडी बनाकर स्टूडेंट्स की एग्जाम के दौरान समय खराब होने की शिकायतें ली जाएं। इसके बाद करीब 25,000 स्टूडेंट्स की शिकायतें आई थीं। उस हिसाब से इस बार भी उन स्टूडेंट्स की संख्या 1563 नहीं 2.5 लाख से 3 लाख तक है, जिनका समय खराब हुआ है।

4. ग्रेस मार्क्स देने का फॉर्मूला फेल, हल किए गए सवालों पर भी ग्रेस
अलख कहते हैं, ‘अब जब ग्रेस मार्क्स हटा दिए गए हैं तो कोई जान ही नहीं पाएगा कि कितने बच्चों को ग्रेस दिया गया, क्योंकि मामला दब गया है।’

अलख आगे कहते हैं, ‘NTA ने कहा था कि उन्होंने स्टूडेंट्स की आंसरिंग एफिशिएंसी यानी उत्तर देने की क्षमता को कैलकुलेट करके ग्रेस मार्क्स दिए थे। आंसरिंग एफिशिएंसी के दो हिस्से हैं- स्टूडेंट्स की स्पीड और एक्यूरेसी। सामान्य रूप से स्टूडेंट्स पहले 40 से 45 मिनट में बायोलॉजी के 90 सवाल हल करते हैं, क्योंकि उसमें कैलकुलेशन में टाइम नहीं लगता।

आखिर में स्टूडेंट के पास मुश्किल और टाइम टेकिंग सवाल बचते हैं। यानी लास्ट में उसकी आंसरिंग एफिशिएंसी सबसे कम होती है। NTA ने स्टूडेंट्स को उनकी शुरू की सबसे अच्छी आंसरिंग एफिशिएंसी और अच्छी परफॉरमेंस के हिसाब से जज किया और आखिरी की खराब परफॉरमेंस के लिए ग्रेस मार्क्स दे दिए।

इसके अलावा NTA के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में ये भी माना कि हमने स्टूडेंट्स को उन सवालों पर भी ग्रेस मार्क्स दे दिए, जिनके जवाब उन्होंने नहीं दिए थे।’

5. स्कोर कार्ड बनाने, रैंक देने का तरीका संदेहपूर्ण
अलख कहते हैं, ‘बीते 5 सालों में अलग-अलग राज्यों में 40 से ज्यादा पेपर लीक हुए हैं, लेकिन आखिरकार मामला दब जाता है। इस बार विवाद इसलिए हुआ क्योंकि NTA से 719 मार्क्स देने की गलती हुई, जो कि संभव नहीं है। इसके अलावा रैंक 1 पर 3000% बच्चे ज्यादा हो गए।

अलख कहते हैं, ‘साल 2021 में 640 मार्क्स पर करीब 6000 रैंक, 2022 में 7000 रैंक और साल 2023 में 10,000 रैंक बनी। टोटल स्टूडेंट्स 20% बढ़ें तो 640 मार्क्स पर रैंक अधिकतम 15000 से 20,000 होनी चाहिए, लेकिन इस बार रैंक 40,000 है। NTA ने रिजल्ट जारी करने में गड़बड़ की है, वरना वह सुप्रीम कोर्ट में ग्रेस मार्क्स का सही आधार बताकर केस लड़ते।’

शुभम रॉय कहते हैं, ‘हमारे एक स्टूडेंट अक्षत पंगारिया ने पूरे 720 नंबर लाकर टॉप किया है। उसके बावजूद हम कह रहे हैं कि टॉप रैंक पर इतनी बल्किंग संभव नहीं है।’

शुभम एक लिस्ट देते हुए बताते हैं, ‘तमिलनाडु के दो बच्चे सैयद आरिफीन यूसुफ, आदित्य कुमार एक ही सेंटर के थे, उत्तर प्रदेश में आयुष नौगारिया और आर्यन यादव, गुजरात के वेद पटेल और ऋषभ शाह ने एक ही सेंटर पर एग्जाम दिया और इनके 720 मार्क्स आए। यह व्यावहारिक नहीं है।’

लिस्ट के अनुसार हरियाणा के 6 स्टूडेंट्स के पूरे मार्क्स आए। कुछ स्टूडेंट्स के नाम के आगे सरनेम नहीं है। शुभम के मुताबिक, ‘ये पूरी तरह एक बड़े घोटाले जैसा लगता है।’

NTA के सह-निदेशक और फिजिक्स डिपार्टमेंट के हेड उपेंद्र मिश्र कहते हैं, ‘इस बार फिजिक्स का पेपर 2023 के मुकाबले मुश्किल था। फिर भी इस बार बड़ी तादाद में स्टूडेंट्स के फिजिक्स में पूरे मार्क्स आए। सिलेबस भले कम हुआ हो, लेकिन पेपर इतना आसान नहीं था। NEET ने किस आधार पर कॉपी चेक की, यह संदेह का विषय है।’

6. मुश्किल पेपर नहीं, हाई स्कोर से स्टूडेंट्स को डिप्रेशन
अलख कहते हैं, ‘हाई स्कोर के डिफेंस में कहा जाता है कि बच्चों का डिप्रेशन कम करने के लिए पेपर NCERT बेस्ड रखा गया। ज्यादा नंबर दे देने से बच्चों का डिप्रेशन कम नहीं होता। 700 नंबर पाने वाला स्टूडेंट्स मनपसंद कॉलेज में नहीं जा पा रहा तो वह डिप्रेशन में ही है। ज्यादा मार्क्स नहीं सीटों की संख्या बढ़ाने से उसका डिप्रेशन कम होगा।’

7. कई राज्यों में बड़े पैमाने पर पेपर लीक की आशंका
अलख कहते हैं, ‘गुजरात और पटना में जो चीजें सामने आईं वह और भी कई जगह हो सकती हैं। जो भी हुआ, NTA ने उसे छिपाने की पूरी कोशिश की। यह सब कुछ सेंटर्स पर सीमित नहीं है, इसकी जांच जरूरी है।’

8. पेपर की चेन ऑफ कस्टडी पर सवाल, पेपर वितरण में नाकामी
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अलख कहते हैं, ‘NTA मान रहा है कि कुल 4 राज्यों के 6 सेंटर्स पर पेपर में देर हुई या गलत पेपर बंटा। इसकी कोई जांच नहीं हुई। मुझे लगता है कि यह 4 राज्यों के 6 सेंटर नहीं उससे ज्यादा हैं। 1563 बच्चों को ग्रेस दिया गया, यह संख्या भी काफी ज्यादा है।’

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