योग जैसे सॉफ्ट पावर के जरिए भारत बना रहा कूटनीतिक काम !

योग जैसे सॉफ्ट पावर के जरिए भारत की वैश्विक रंगमंच पर दस्तक, प्रतिक्रिया नहीं अब क्रिया की बारी

21 जून यानी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस.  मोदी 3.0  का कामकाज शुरू हो चुका है,और जब 21 जून की हम बात करते हैं तो याद दिलाना होगा कि मोदी ने जब पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तो 2014 में संयुक्त राष्ट्र में यह प्रस्ताव पारित हुआ था कि 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. 2015 से यह लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर मनाया जा रहा है और भारत आयुर्वेद के बाद अब योग जैसे सॉफ्ट पावर के जरिए अपनी छाप वैश्विक रंग मंच पर छोड़ रहा है. करीबन 10 वर्षों से यह यात्रा चल रही है और पूरी दुनिया योग की दीवानी हो रही है. 

योग है सॉफ्ट पावर

पिछले दस वर्षों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से भारत ने बहुत कुछ हासिल किया है. 10 साल में नैरेटिव भारत के पक्ष में बदला है और योग और आयुर्वेद के माध्यम से भारत ने कहीं ना कहीं प्रमुख तौर पर अपना विश्व गुरु बनने का पिछले कई वर्षों का सपना  पूरा करने की दिशा में काम किया है. इस बार हम दसवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहे हैं. 2014 में जब नरेंद्र मोदी यूनाइटेड नेशन में वक्तव्य दे रहे थे, तब यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली में भारत के नेतृत्व में ही एक प्रस्ताव लाया गया. ये सर्वसम्मति से पारित किया गया कि 21 जून से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस विश्व के सारे देश मनाएंगे. तब से ले कर आज तक 21 जून को सारे देशों में कहीं ना कहीं ये दिवस मनाया जाता है और बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. पिछले साल  जब नरेंद्र मोदी  न्यूयॉर्क में थे, जहां पर यूएन का हेडक्वॉर्टर भी है. वहां पर उन्होंने योग दिवस को लीड किया और उसमें 180 देशों के नागरिकों ने शिरकत की और योग किया. कहीं ना कहीं  भारत का जो  ज्ञान का भंडार है, जो प्राचीन नॉलेज सिस्टम है, आयुर्वेद है, वो योग दिवस के माध्यम से पूरे विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ रहा है.

बदल रहा है नैरेटिव

एक समय था जब भारत को सिर्फ संपेरों का देश, अशिक्षितों का देश माना जाता था. ऐसा पाश्चात्य नैरेटिव फैलाया जाता था और बोला जाता था कि भारत में ऐसा कुछ खास नहीं है. ऐसे में जब  सभी धर्मों के लोग यहां तक कि भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के हर कोने में, यहाँ तक की सऊदी अरब में भी जब लोग सड़कों पर उतर कर 21 जून को योगा करते हैं,तो वो एक बहुत बड़ा मैसेज देता है. कई बार ऐसा देखने में आया है कि  लोगों ने योग को हिंदुत्व  से जोड़कर देखा इसलिए काफी मुस्लिम लोग इससे दूर रहते थे. पिछले 10 सालों में ये भी सीलिंग टूटी है और काफी मुल्क अपने धर्म को इतर रखते हुए योग करने के लिए एकजुट होते है.धीरे-धीरे योगा अब एक हर  घर, हर एक मुल्क में घुस चुका है. कोविद में भी लोगों ने ये महसूस किया कि योग करने के बहुत सारे फायदे हैं. इससे आपके फेफड़ों की क्षमता  बढ़ती है और कोरोना जैसी बीमारियों पर आप कहीं ना कहीं  लगाम पा सकते हैं. अगर आप हर दिन योग करें तो आपकी जो काया है वो निरोगी रहने के बहुत चांस होते हैं. योग के माध्यम से भारत ने अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी गहरी छाप छोड़ी है. अब लोग सिर्फ योग में ही नहीं बल्कि आयुर्वेद के माध्यम से भी भारत की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. पहले अगर भारत सॉफ्ट पावर डिप्लोमैसी की बात करता था तो लोग केवल बॉलीवुड को ही अमली जामा पहना पहना देते थे, लेकिन बॉलीवुड एक मात्र काम नहीं है. बॉलीवुड की फिल्मों के माध्यम से एक हिस्सा  टच हो पाता था, लेकिन आयुर्वेद और योग के माध्यम से भारत विश्व के हर कोने में हर एक चीज़ को आकर्षित कर रहा है. भारत की तरफ उनका नजरिया बदल रहा है .भारत की अंतर्राष्ट्रीय साख को बढ़ाने में योगा ने बहुत बड़ा रोल प्ले किया है.

सॉफ्ट पावर का राजनय 

अगर  सॉफ्ट पावर और डिप्लोमैसी की बात की जाए  तो अब पूरी दुनिया  सॉफ्ट पावर से निकल कर स्मार्ट पावर और शार्प पावर की तरफ मूव कर रही हैं. उन्होंने सॉफ्ट पावर से आशय ये निकाला जाता है कि आप बिना किसी चीज़ का मोल भाव किए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात मनवाने में सफल हो जाते हैं और उसको सॉफ्ट पावर की संज्ञा दी जाती है. अगर हम भारत की बात करते हैं तो इसे  मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी बोला जाता है. विश्व को देने के लिए भारत के पास बहुत कुछ ज्ञान का भंडार है.  साउथ ईस्ट एशिया, दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों की बात करें तो भारत का साम्राज्य दक्षिण पूर्व एशिया के देशों तक जाता था . ये सारा साम्राज्य जो दक्षिण भारत के हिंदू राजा थे, उन्होंने बिना तलवार चलाए, बिना खून बहाए  स्थापित किया था.  भारत की सभ्यता, संस्कृति और आचरण के माध्यम से ये सारे मुल्क भारत की तरफ आकर्षित हुए थे . उन्होंने भारतीयता या हिंदुत्व को अपना लिया था. योग ने पिछले कुछ सालों में इसको और बल दिया है .आज के समय जब हम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शिरकत करते हैं तब नजर आता है कि सिर्फ योग ही नहीं ,भारत की तर्क शक्ति के माध्यम से और भारत की बेबाकी के माध्यम से  पाश्चात्य मुल्क आकर्षित हो रहे है.  काफी मुल्कों को यह लगता है कि भारत कुछ नयी बात कह रहा है और इससे विश्व का कल्याण  होगा. इसलिए भारत की तरफ धीरे-धीरे, लेकिन लगातार काफी सारे देश आकर्षित हुए है . जब भी हम वसुधैव कुटुंबकम् की बात करते है, हम लोग चाहते है कि भारत विश्व गुरु बन जाए. उसमें योग, आयुर्वेद, इंडियन नॉलेज सिस्टम यहां तक कि भारत की जो सांस्कृतिक धरोहर हैं, हमारे वेद और उपनिषद  हैं, उनके ज्ञान के भंडार के माध्यम से हम कहीं ना कहीं विश्वबंधुत्व को स्थापित कर सकते हैं. जिस दिन ये हो गया, उस दिन भारत विश्व गुरु बन ही जाएगा.

 

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