प्रतिबद्धता: खाद्य महंगाई कम करना चुनौती, किसानों के असंतोष का निराकरण और आमदनी बढ़ाने की रणनीति पर काम की आस
मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में कृषि परिदृश्य सुधारने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। अनुकूल मानसून का अनुमान अच्छे संकेत हैं।
मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में कृषि परिदृश्य को संवारने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। 18 जून को किसानों के खातों में पीएम किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त भेजी, तो 19 जून को खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाया है। हालांकि नई सरकार के सामने कृषि, ग्रामीण विकास, खाद्य वस्तुओं की महंगाई, घटी हुई कृषि विकास दर, गेहूं भंडारण में कमी, खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने और खाद्य उत्पादों की बर्बादी रोकने और किसानों के असंतोष की चुनौतियां दिखाई दे रही हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 में देश की विकास दर 8.2 फीसदी रही, वहीं कृषि विकास दर महज 1.4 फीसदी ही रही है। वर्ष 2023-24 में 3,280 लाख टन उत्पादित खाद्यान्न इसके पूर्ववर्ती वर्ष के रिकॉर्ड 3,290 लाख टन से कम है। एक साल में गेहूं की कीमतें 8-10 फीसदी बढ़ी हैं। अप्रैल 2024 में देश के गोदामों में गेहूं का भंडार घटकर 75 लाख टन रह गया है, जो पिछले 16 साल में भंडारण का सबसे निचला स्तर है। सरकार 1 जून, 2024 तक करीब 266 लाख टन गेहूं खरीद चुकी है, लेकिन लक्ष्य 372 लाख टन है। ऐसे में गेहूं आयात की स्थिति निर्मित हो रही है।
खाद्य वस्तुओं की ऊंची दर आम आदमी की बड़ी चिंता बन गई है। यद्यपि मई 2024 में खुदरा महंगाई दर 4.75 प्रतिशत के साथ पिछले 12 माह के निचले स्तर पर पहुंच गई है, लेकिन खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 8.69 प्रतिशत की ऊंचाई पर स्थित है। निस्संदेह कृषि एवं ग्रामीण विकास की विभिन्न चिंताओं के मद्देनजर ही प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभालने के बाद अपना सबसे पहला कदम किसान कल्याण और कृषि क्षेत्र की प्रतिबद्धता की डगर पर आगे बढ़ाया है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का अनुमान है कि इस वर्ष मानसून अच्छा रहेगा। यह नई सरकार के लिए अच्छा संकेत है। प्रमुख मौसम एजेंसी स्काईमेट और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के द्वारा कहा गया है कि इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून के अच्छे रहने से कृषि गतिविधियों में तेजी आएगी। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अनुसंधान विभाग के मुताबिक, अच्छे मानसून से दाल, तिलहन, अनाज का उत्पादन बढ़ेगा और इनकी कीमतें कम होंगी।
महंगाई के प्रबंधन के लिहाज से खाद्य उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ खाद्य उपजों की बर्बादी रोकने से महंगाई पर अंकुश लगेगा। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के खाद्य फसलों की बर्बादी संबंधी आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल करीब 15 फीसदी खाद्य उत्पादन नष्ट हो जाता है। इतनी ही बर्बादी फल और सब्जियों की होती है। कृषि भंडारण के बुनियादी ढांचे में सुधार से कृषि उपज बर्बादी को कम करने में मदद मिल सकती है। देश की अधिक शीत भंडार गृह और प्रशीतन सुविधाओं की दिशा में आगे बढ़ना होगा। भारत में करीब 30 फीसदी सड़कें कच्ची हैं, जिससे कृषि पैदावार को मंडियों तक ले जाने में काफी समय लगता है। इससे कुछ पैदावार खराब हो जाती है, जिसका असर कीमतों पर पड़ता है। इसलिए फसल बर्बादी रोकने पर जोर देना चाहिए। देश में खाद्यान्न भंडारण की क्षमता फिलहाल 1,450 लाख टन की है, उसे अगले पांच वर्षों में सहकारी क्षेत्र में 700 लाख टन अनाज भंडारण की नई क्षमता विकसित करके कुल खाद्यान्न भंडारण क्षमता 2,150 लाख टन किए जाने के लक्ष्य को प्राप्त करके ग्रामीण भारत में अभूतपूर्व खाद्यान्न भंडारण व्यवस्था के नए अध्याय लिखे जा सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि क्षेत्र का अनुभव रखने वाले शिवराज सिंह चौहान को कृषि एवं किसान कल्याण के साथ ग्रामीण विकास मंत्रालय का जिम्मा सौंपा है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि देश में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर खाद्य पदार्थों की बर्बादी को कम करने, कृषि में मशीनीकरण को बढ़ाए जाने, जलवायु अनुकूल कृषि-खाद्य प्रणाली अपनाने, अधिक ग्रामीण कच्ची सड़कों को मंडियों से जोड़ने, कृषि भंडारण के बुनियादी ढांचे में क्षमता सुधार जैसी नीतिगत प्राथमिकताओं के साथ-साथ आपूर्ति शृंखला में सुधार से खाद्य फसलों की कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोकने की नई रणनीति के साथ आगे बढ़ा जाएगा। किसानों के असंतोष का निराकरण करने और उनकी आमदनी बढ़ाने की रणनीति पर भी नई सरकार से काम करने की उम्मीद है।