कर्ज में फंसा मध्य प्रदेश ?

फ्री-बीज के कारण कर्ज में फंसा प्रदेश
पहली बार 88,540 करोड़ रुपए कर्ज लेगी मप्र सरकार, पिछले साल से डेढ़ गुना ज्यादा

फ्री बीज के कारण मध्य प्रदेश पर खर्चे भारी पड़ रहे हैं। यही वजह है कि वित्त वर्ष 2024-25 में प्रदेश सरकार को इतिहास में अब तक का सबसे भारी भरकम 88,540 करोड़ रुपए का कर्ज लेना होगा। इसमें से 73,540 करोड़ रुपए बाजार और 15 हजार करोड़ रुपए केंद्र सरकार से लेने की योजना है। इसके बाद ही लाड़ली बहना जैसी फ्लैगशिप योजनाएं चल पाएंगी। खास बात है कि वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार को 55,708 करोड़ रुपए कर्ज लेना पड़ा था।

यानी सरकार इस बार 38% ज्यादा कर्ज लेगी। हालांकि, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का स्पष्ट कहना है कि कर्ज विकास कार्यों के लिए लिया जाता है जिसका भुगतान भी समय से किया जाता है। लेकिन चिंता यह भी है कि इस साल बजट अनुमान 3.50 लाख करोड़ रुपए है। फ्लैगशिप योजनाओं को चलाने के लिए सरकार ने यदि 88 हजार करोड़ का कर्ज लिया तो कुल कर्ज पहली बार 4 लाख करोड़ रुपए के पार हो जाएगा।

अभी सरकार की कुल आय (टोटल रेवेन्यू रिसीव) 2.52 लाख करोड़ रुपए और रेवेन्यू एक्सपेंडिचर पर खर्च 2.51 लाख करोड़ रुपए है। यानी सिर्फ 443 करोड़ रुपए सरप्लस का बजट है। ऐसे में बजट अनुमान 3.40 लाख करोड़ रुपए की खाई 88,540 करोड़ रुपए का कर्ज लेकर कम करना होगी।

एक्सपर्ट : सरकार अपने आय के स्रोत बढ़ाए
जेएनयू के सीनियर फेलो व प्रोफेसर अमिताभ कुंडू और स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एचओडी प्रोफेसर कन्हैया आहूजा के अनुसार, रेवेन्यू रिसीव की तुलना में एक्सपेंडिचर बढ़ रहा है। ऐसे में आगे सिर्फ जो जरूरी प्रोजेक्ट्स को ही प्राथमिकताओं देनी चाहिए। कर्ज पर निर्भरता ठीक नहीं है। सरकार के जो उपक्रम हैं, उनसे आय बढ़ानी होगी।

राज्य सरकार के कर्ज की स्थिति
सरकार पर 2021-2022 में कुल कर्ज 2,64,364 करोड़ रुपए था। साल 2023-24 में यह 3,68,727 करोड़ रुपए पहुंच गया।

ये हैं कारण : लाड़ली बहना जैसी योजनाओं के लिए हर साल​ 25 हजार करोड़ रु. चाहिए
फ्री बीज योजनाएं : लाड़ली बहना योजना में हर साल 18 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे। इसके अलावा 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली देने में 5,500 करोड़ रुपए, कृषि पंपों पर सब्सिडी पर 17 हजार करोड़ रुपए और 450 रुपए में सिलेंडर देने की योजना के लिए 1000 करोड़ रुपए चाहिए। फ्री बिज मुफ्त योजनाओं का खर्चा हर साल 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है। इसमें लाड़ली बहना का 12वीं किस्त के भुगतान में 16 हजार करोड़ रुपए पार कर गया है।

कर्मचारियों के वेतन-भत्ते : साल 2021-22 में कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर खर्चा 59,662 करोड़ रुपए था, जो बजट का 24.78% था। साल 2023-24 में यह 82,838 करोड़ रुपए पहुंच गया जो बजट का 27.43% है।
जीपीएफ में भी नुकसान : वर्ष 2023-24 में कर्मचारियों के जीपीएफ में 4,949 करोड़ रुपए जमा हुए, जबकि भुगतान 5,563 करोड़ रुपए का हुआ। यानी 614 करोड़ रु. ज्यादा का भुगतान हुआ।

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