ग्वालियर : आगजनी के 5 हादसों में 20 मौत ……. मिलने वाली क्लीनचिट ?

आगजनी के 5 हादसों में 20 मौत, फिर भी फायर अमले को मिलने वाली क्लीनचिट
बहोड़ापुर कैलाश विहार में आगजनी की घटनास्थल पर बिलंब से पहुंचने वाला नगर निगम का फायर अमला को फिर क्लीनचिट मिलने वाली है। क्योंकि बिना मौका मुआयना किए जांच अधिकारी ने एक बंद कमरे में एक घंटे के अंदर जांच पूरी कर निगमायुक्त तक का सौंप दी। इसमें तो जिम्मेदारों की जिम्मेदारी और ना ही लापरवाही तय की गई
  1. हर आगजनी की घटना में देरी से पहुंच रही है फायरब्रिगेड
  2. हादसों को रोकने की जगह निगम अपने अमले को बचाने का प्रयास कर रहा है
ग्वालियर। बहोड़ापुर कैलाश विहार में आगजनी की घटनास्थल पर बिलंब से पहुंचने वाला नगर निगम का फायर अमला को फिर क्लीनचिट मिलने वाली है। क्योंकि बिना मौका मुआयना किए जांच अधिकारी ने एक बंद कमरे में एक घंटे के अंदर जांच पूरी कर निगमायुक्त तक का सौंप दी। इसमें तो जिम्मेदारों की जिम्मेदारी और ना ही लापरवाही तय की गई। जबकि हृदय विदारक घटना में पिता व दो बेटियों की मौत हुई और फायर अमला समय पर सहायता नहीं दे पाया।
इस तरह का हादसा शहर में पहली बार नहीं हुआ,जिसमें अमले की लापरवाही उजागर हुई हो। इससे पहले भी समय समय पर लापरवाही उजागर हुई और नगर निगम ने क्लीनचिट भी दी।क्योंकि नगर निगम के अफसर ऐसे हादसों को कैसे रोका जाए इस पर फोकस न कर लापरवाही बरतने वाले अपने अमले को बचाने में जुट जाता है। यही कारण कि ना तो नगर निगम इन हादसों से सबक ले सका और न फायर अमले का अपग्रेड कर सका।
चार हादसे
केस नंबर-1
मुरार में दो दंपत्ती की दम घुटने से मौत
  • वर्ष 2018-19 में मुरार के सदर बाजार में एमके यादव के घर में आग लगी थी। घर में एमके यादव,उनकी पत्नी,पुत्र और पुत्रवधू मौजूद थे। सूचना मिलने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंची भी, लेकिन घर के अंदर कमरे में बंद एमके यादव और उनके पुत्र व पुत्रवधू को बाहर नहीं निकाल सकी। जबतक आग पर काबू पाया तबतक उनकी धुंए से दम घुटकर मौत हो गई।
  • लापरवाही- जो अमला आग बुझाने पहुंचा वह घर के अंदर फसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित नहीं था।
केस नंबर-2
बहोड़ापुर विनय नगर में तीन की मौत

वर्ष 2019 में बहोड़ापुर के विनय नगर के पास एक पाटौर में मजदूर परिवार रहता था। पाटौर में रखा गैस सिलेंडर फटने से पाटौर में आग लगी और उसमें दंपत्ती और उनका बेटे की जलकर मौत हो गई थी। हालांकि इस मामले में आगजनी पर तो नगर निगम ने काबू पाया लेकिन मजदूर परिवार को नहीं बचाया जा सका।

केस नंबर-3
इंदरगंज में एक ही घर के सात लोगों की मौत
  • वर्ष 2021 में इंदरगंज चौराह के पास एक घर में आग लगी थी। आग इतनी भीषण थी कि उसमें एक ही परिवार के सात लोगों की मौत हुई थी। इन सभी सात लोगों की मौत भी दम घुटने से हुई थी। इसमें एक लड़की बच गई थी जो बाथरूम में सावर चलाकर उसके नीचे बैठ गई थी। सूचना मिलने पर फायर ब्रिगेड का अमला पहुंचा,आग पर काबू पाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी थी।
  • लापरवाही- आग पर काबू पाने के लिए फायर ब्रिगेड के जिस वाहन पर ऊंचाई तक पहुंचने के लिए सीढियां थी उस गाड़ी को नहीं भेजा गया था। यह कहते हुए कि जिस स्थान पर आग लगी वहां पर नहीं पहुंच सकती ।यदि समय रहते वाहन पहुंचता तो जानें बचाई जा सकती थीं।
केस नंबर-4
हाइड्रोलिक मशीन गिरने से तीन की मौत
  • 14 अगस्त 2021 में महाराज बाड़े पर हाइड्रोलिक मशीन गिरने से तीन नगर निगम कर्मचारियों की मौत हुई थी। यह हादसे में नगर निगम अमले और अफसरों की लापरवाही का नतीजा था। हाइड्रोलिक मशीन को ऐसे स्थान पर लगाकर कर्मचारियों को उस पर चढ़ा दिया जिससे मशीन पलट गई और उसमें दबकर तीन कर्मचारियों की मौत हो गई।
  • लापरवाही- फायर आफिसर ने अनट्रेंड अमले को भेजा,गलत स्थान पर मशीन को लगाया गया।जिससे वह पलटी और हादसा हुआ।
लापरवाही का आरोप इन पर लगे थे

बाड़े पर लिफ्ट गिरने से लेकर इंदरगंज आगजनी में सात लोगों की मौत मामले में निगम के अमले की लापरवाही साफ उजागर हुई थी। लेकिन कार्रवाई के नाम पर क्लीन चिट मिली। इसमें फायर आफिसर उमंग प्रधान,सहायक फायर आफिसर विवेक दीक्षित,फायर मैन अजय तांदू,दिलीप शर्मा, रणविजय सिंह,मंजर आलम,रोहित चौरसिया आदि पर लापरवाही का आरोप लगा था। पर जांच में बेदाग निकले।

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