भोपाल : हमारी नदियों का सीना छलनी पार्ट-
हमारी नदियों का सीना छलनी पार्ट-
… से बोला खदान इंचार्ज- जहां तक हमारा इलाका, वहां तक की पूरी गारंटी, पुलिस- प्रशासन कोई नहीं रोकेगा
नदी से रेत निकालने के बाद बाजार में बेचने के लिए भी माफिया ने पूरा सिस्टम बना रखा है। रेत किसे बेचनी है और कहां तक इलाका है, सब तय है। ट्रॉली भरवाओ और पैसे देकर ले जाओ, कोई कागज नहीं मिलता, लेकिन बाकयदा बैरियर लगाकर जांच होती है। माफिया के लोग अपने इलाके में सुरक्षा की पूरी गारंटी भी लेते हैं, पढ़ें रिपोर्ट…
भाजपा नेता के भतीजे के नाम पर खनन, नाम से पास होता है ट्रैक्टर
नदियों से रेत निकालने और मार्केट तक पहुंचाने वाला माफिया का सिस्टम समझने के लिए दैनिक भास्कर टीम अलग-अलग दिनों में रायसेन, देवास, नर्मदापुरम और सीहोर जिलों में पहुंची। रायसेन के केतोघाम में तो खदान कर्मचारी ने पुलिस और प्रशासन से सुरक्षा तक की पूरी गारंटी ली। रिपोर्टर ने यहां खुद को रेत सप्लायर बताया। नर्मदा के घाट के एक छोर पर ट्रॉलियां भरी जा रही थीं।
घाट से पहले मंदिर के बाहर एक युवक बैठा मिला। पूछने पर बताया पवन भैया (भाजपा नेता का भतीजा) का ठेका है। रेट पूछने पर उसने मोहन सिंह भदौरिया को बुलाया। मोहन ने बताया कि 3,000 रुपए में ट्रैक्टर भरता है। रॉयल्टी मिलेगी क्या, इस पर मोहन ने खदान इंचार्ज राेहित से फोन पर बात कराई। रोहित ने गारंटी ली कि कोई नहीं रोकेगा, ना पूछेगा।
नदी के अंदर से करोड़ों की रेत निकाली
सीहोर जिले के बुधनी और भैरुंदा की नीलकंठ, आमा बड़गांव, अंबाजदीद, दीमावर, बाबरी, जाजना, जहाजपुरा, सोमलवाड़ा, नेहलई की खदानों में जेसीबी और पोकलेन से नदी की धारा से करोड़ों की रेत निकाल डाली गई। भैरूंदा, बुधनी के छीपानेर, रानीपुरा, चमरचाखेड़ी, सातदेव, शीलकंठ, मर्दनपुर और आंवलीघाट में भी नियमविरुद्ध खनन जारी था। भास्कर के पास इनमें से कई खदानों के 28 जून तक के फोटो और वीडियो हैं।
हरदा-देवास जिले में एक भी खदान की मंजूरी नहीं, फिर भी रेत निकाली गई
नर्मदा नदी के दोनों किनारों से रेत का अवैध खनन जारी है। देवास जिले के बीजलगांव के तटों से ट्रैक्टर-ट्रॉली और बीच धार में नावों से रेत निकाली जा रही है। वही नदी के दूसरी ओर रहदा जिले के रामगढ़ से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से रेत का अवैध खनन और परिवहन किया जा रहा है। यहां दिनदहाड़े रेत खनन जारी है। यहां से निकाली गई रेत का नदी के ऊपरी हिस्से में जगह-जगह स्टॉक किया गया है। बता दें, देवास और हरदा जिले में एक भी खदान को स्वीकृति नहीं मिली है।
5 हेक्टेयर तक की खदान पर नहीं लगा सकते जेसीबी- पोकलेन
खनिज विभाग के नियमों के मुताबिक 5 हेक्टेयर तक की रेत खदानों में मशीनों से रेत निकालने पर पूरी तरह प्रतिबंध है। यहां श्रमिकों से रेत निकवलाकर वाहनों में रेत लोड करवाई जा सकती है। नर्मदा नदी की किसी भी खदान पर मशीनों से रेत निकालने पर पाबंदी है। लेकिन, मशीनें दिन-रात चल रही हैं। कार्रवाई हई तो ठेकेदार पर जुर्माना होता है, लेकिन विभाग जुर्माना भी नहीं वसूल पा रहा।
समय : दोपहर 3:00 बजे, जगह : केतोघाम, रायसेन
3 हजार का टोकन लगेगा, इसके बाद कोई तकलीफ नहीं होगी, लिखकर देंगे
रिपोर्टर : रायसेन में रेत सप्लाई का काम करना है, हमें कितने में मिलेगी?
कर्मचारी : तीन हजार रुपए रॉयल्टी के, 800 से 1000 रुपए मजदूरी के लगेंगे। ट्रैक्टर भी आपको लाना पड़ेगा।
रिपोर्टर : कोई रोकेगा तो नहीं?
कर्मचारी : बमोरी, सिलवानी तक कोई नहीं रोकेगा। लिखकर देंगे। हम कंपनी के लोग हैं। फर्जी काम नहीं करते।
रिपोर्टर : आप इंचार्ज से बात करा दें।
इंचार्ज (रोहित) : कौन बोल रहा है?
रिपोर्टर : मैं विकास…रेत क्या रेट है?
इंचार्ज : 3000 रुपए दो और ट्रैक्टर भरवाकर ले जाओ।
रिपोर्टर : हमें रायसेन ट्रैक्टर ले जाना है, कोई दिक्कत तो नहीं आएगी?
इंचार्ज : तीन हजार का टोकन लगेगा। इसके बाद कोई तकलीफ नहीं होगी। हमारा इलाका सुल्तानपुर तक है। यहां तक पुलिस-प्रशासन कोई न रोकेगा और न पूछेगा। लेकिन इसके आगे नहीं ले जा सकते। वहां दूसरे का काम है।
स्थान : जोगला टापू, नर्मदापुरम और सीहोर के बीच
छह महीने में तीन किमी तक 200 फीट अंदर तक खोखला कर दिया रेत का टापू
नर्मदापुरम और सीहोर जिले के बीच मिनी गोवा के नाम से पहचाना जाने वाला रेत का टापू (जोगला टापू)भी माफिया के निशाने पर है। 1300 एकड़ से अधिक में फैले इस टापू से रेत निकालना प्रतिबंधित है, लेकिन यहां से रोजाना सैकड़ों नावों से रेत निकालकर सीहोर भेजी जाती रही है। इस टापू से एक दिंबसर 2023 से जून तक 6 महीने में तीन किमी क्षेत्रफल से 20 फीट अंदर तक की करोड़ों रुपए की लाखों घनफीट रेत निकाल ली गई। भास्कर के पास यहां के दिसंबर 2023 और जून 2024 के फोटो हैं, जिनमें अंतर साफ दिख रहा है।
आज से खदानों में काम बंद : एनजीटी के नियमानुसार 30 जून की रात से प्रदेशभर में खनन बंद हो जाता है। अब यह 1 अक्टूबर से शुरू होगा। इस दौरान खनिज विभाग खदानों की जियो टैगिंग, ड्रोन सर्वे और एआई आधारित नाके लगाने का काम करेगा। आदेश पहले ही जारी हो चुके हैं।
भास्कर टीम : विकास शुक्ला, मनीष कुशवाह, शान बहादुर