मप्र में पटवारी कर रहे लैंड रिकॉर्ड में धोखाधड़ी !
मप्र में पटवारी कर रहे लैंड रिकॉर्ड में धोखाधड़ी, कोरे कागज अपलोड कर बदले भूमिस्वामी
ग्वालियर में लैंड रिकॉर्ड विभाग में पटवारियों ने भूमि स्वामियों के नाम बिना आदेश बदल दिए। तहसीलदार के आदेश की जगह कोरे कागज अपलोड किए जा रहे थे। लैंड रिकॉर्ड के सुधार में अंतिम अमल पटवारी ही करता है, जिसकी कोई निगरानी प्रणाली अब तक नहीं है। इसी के चलते बड़े घोटाले हो रहे थे।
- बिना तहसीलदार के आदेश के भूमि स्वामियों के नाम में बदले
- पटवारी अपनी लॉगइन आइडी के जरिए कर रहे बड़ा हेरफेर
- पटवारियों के रिकॉर्ड सुधार के बाद नहीं हो कोई चेकिंग सिस्टम
ग्वालियर : प्रदेश का लैंड रिकॉर्ड विभाग खुद को अत्याधुनिक करने से लेकर खसरे-नक्शों को कितना भी ऑनलाइन कर चुका हो लेकिन सिस्टम में अभी भी बड़ी खामी है। पटवारियों के हाथों में पूरी तरह से खसरों की चाबियां हैं, जो जब चाहें हेर फेर कर लें। खसरों में भूमि स्वामियों के नाम बदल दें या रकबा कम ज्यादा कर दें, क्रास चेक का कोई सिस्टम ही नहीं है।
ग्वालियर जिले में ऐसा मामला सामने आ चुका है जिसमें पटवारी ने एक नहीं सैकड़ों भूमि स्वामियों के अपनी लॉग-इन आइडी से नाम बदल दिए और दूसरों को भूमि का मालिक बना दिया। पटवारी ने अपनी लॉग-इन आइडी खोल तहसीलदार के आदेश की बजाए खाली पेज अपलोड कर दिया, जिसे सिस्टम रीड नहीं कर सकता और भूमि स्वामी बदल दिए।
इन घटनाक्रमों से यह साफ हो गया कि पटवारी साठगांठ कर कुछ भी कर सकते हैं और उनके उपर की कड़ी तहसीलदार व एसडीएम को कुछ पता ही नहीं चल पाता।
बिना तहसीलदार के आदेश के हेरफेर
बता दें कि मध्य प्रदेश के जिस ग्वालियर में पटवारी की ओर से लॉगइन आइडी के जरिए बिना तहसीलदार के आदेश के सैकड़ों भूमि स्वामियों के नाम में हेरफेर कर दिया गया। तहसीलदार के आदेश क्रमांक की बजाए कुछ भी लिख दिया जाता था और तहसीलदार के आदेश की जगह खाली कागज लगाया जा रहा था। सिस्टम में यह रीड नहीं होता और मनमानी कर पटवारी नाम बदलता रहा।
यह ग्वालियर जिले की तहसील घाटीगांव का मामला है जहां के पटवारी भुवनचंद मौर्य को निलंबित कर दिया गया है। इस मामले से लैंड रिकॉर्ड विभाग के पूरे सिस्टम की कलई भी खुल गई कि पटवारियों द्वारा जमीन खसरों में कुछ भी कर दिया जाए किसी को पता नहीं चलेगा।
पटवारियों के अमल के बाद चेकिंग सिस्टम नहीं
राजस्व अधिकारियों, तहसीलदार के आदेश पर पटवारी अमल करते हैं, पटवारी के पास लॉगइन आइडी होती है जिसे खोलकर वह लैंड रिकॉर्ड के सिस्टम में जाकर खसरे-नक्शे में नाम दुरूस्त, त्रुटि सुधार,अमल आदि करता है। पटवारी के यह अमल करने के बाद यह अमल सही किया गया या नहीं या पटवारी ने आइडी खोली तो क्यों खोली और क्या काम किया यह चेक करने का सिस्टम ही नहीं है।
अत्याधुनिक लैंड रिकॉर्ड का सिस्टम होने के बाद भी कोई सिस्टम नहीं है। तहसीलदार के पटवारी की आइडी का रिकॉर्ड निकालने का अधिकार है लेकिन आमतौर पर किसी समस्या या शिकायत पर ऐसा किया जाता है।
पटवारियों द्वारा अपनी लॉग-इन आइडी से अमल किए जाने के मामलों में सीनियर स्तर पर अलर्ट या चेक-इन आना चाहिए। ग्वालियर के प्रकरण के बाद मैं संबंधित अधिकारियों से बात करूंगा। जिस तरह बैंक खाते से पैसा कटने के बाद उपभोक्ता पर मैसेज आता है इस तरह का सिस्टम होना जरूरी है।
मनोज खत्री, संभागायुक्त,ग्वालियर संभाग।
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तहसीलदार के आदेश की बजाए ब्लैंक पेपर अपलोड कर पटवारी ने बदल डाले सैकड़ों भूमि-स्वामी, हुई यह कार्रवाई
पुलिस के अनुसार यह मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के घाटीगांव का है। इस गांव में पटवारी ने सैकड़ों भूमि स्वामियों के नाम ही खसरे में बदल दिए। अनियमितता पर पटवारी को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही विभागीय जांच भी आरंभ कर दी गई है।
- ग्वालियर ले के घाटीगांव में पटवारी भुवनचंद मौर्य का कारनामा।
- अफसरों ने अनियमितता को पकड़ा, विभागीय जांच भी शुरू हुई।
- दो से तीन सौ भूमि स्वामियों के नाम बदले , राजस्व को हानि पहुंचाई।
ग्वालियर। जमीनों में हेरफेर के मामले में कुख्यात ग्वालियर जिले में अब पटवारी ने ही राजस्व अभिलेखों में छेड़छाड़ कर शासन को चूना लगा दिया। जिले के घाटीगांव में पटवारी भुवनचंद मौर्य ने दो सौ तीन सौ भूमि स्वामियों के नाम ही खसरे में बदल डाले। बदलाव ऐसा किया कि पटवारी को खसरे में नाम चढ़ाने व हटाने के लिए तहसीलदार का आदेश मिलता है जिसके स्थान पर पटवारी ने सिस्टम में ब्लैंक पेपर यानी खाली पेज अपलोड कर दिया और नाम बदल डाले।
बता दें कि पटवारी भुवनचंद मौर्य के खिलाफ किसानों की ओर से लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व घाटीगांव राजीव समाधिया ने बताया कि पटवारी हल्का नम्बर-10 बन्हेरी व अतिरिक्त हलका नम्बर-6 सहसारी के पटवारी भुवनचंद मौर्य द्वारा ग्राम चूही, पूछरी, बन्हेरा, बराहना, सेंकरा, सेंकरी व पहसारी के राजस्व खसरों में अपनी लॉगइन आईडी से बिना सक्षम अधिकारी के आदेश के ब्लैंक पेपर अपलोड कर भू-स्वामी के नाम में बदलाव किया। इससे शासन को प्राप्त होने वाले राजस्व की हानि हुई है।
तहसीलदार घाटीगांव दिनेश चौरसिया द्वारा भी पटवारी मौर्य के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था। जिसमें उल्लेख था कि पटवारी मौर्य द्वारा राजस्व अभिलेखों के साथ कूटरचित तरीकों से छेड़छाड़ कर पीठासीन अधिकारी एवं न्यायालय को गुमराह किया गया है। इस प्रकार की गंभीर अनियमितताओं की शिकायत मिलने पर पटवारी को निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में भुवनचंद मौर्य का मुख्यालय तहसीलदार वृत रेंहट रहेगा। उन्हें अनुविभागीय अधिकारी की अनुमति के बगैर मुख्यालय छोड़ने की अनुमति नहीं होगी।
दो साल से बन्हेरी में है पटवारी
पटवारी भुवनचंद मौर्य दो साल से बन्हेरी वाले क्षेत्र में पदस्थ हैं, इसपर अतिरिक्त हल्के का भी चार्ज है। अधिकारियों के अनुसार भुवनचंद माैर्य ने काफी लोगों के साथ मिलकर यह सब किया है इसमें हाकिम सिंह रावत सहित कई लोग शामिल हैं। एक नाम शिवपुरी का सतीश कुमार पुत्र बलवंत सिंह सामने आया है जिसकी जांच की जा रही है। भुवनचंद खाली पेज तहसीलदार के आदेश के कालम में अपलोड कर देता था जिससे सिस्टम में कागज अपलोड हो जाता था और यह पता नहीं चल पाता था आदेश सही डाला गया या नहीं।
इनका कहना है
पटवारी भुवनचंद ने खसरों में भूमि स्वामियों के नाम बदल दूसरों के नाम चढ़ा दिए। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। तहसीलदार के जांच प्रतिवेदन के आधार पर पटवारी को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू करा दी गई है। राजस्व की बड़ी हानि पटवारी ने पहुंचाई है।
राजीव समाधिया, एसडीएम, घाटीगांव, जिला ग्वालियर