ग्वालियर-चंबल में पिस्टल लाइसेंस पर ‘ताला’ ?

ग्वालियर-चंबल में पिस्टल लाइसेंस पर ‘ताला’, मुख्यमंत्री के पास है गृह मंत्रालय
ग्वालियर-चंबल अंचल में पिस्टल-रिवाल्वर के लाइसेंस पर रोक लगी है। ग्वालियर में 33,000 से ज्यादा शस्त्र लाइसेंस हैं, जिनमें 2,000 पिस्टल लाइसेंस शामिल हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह मंत्रालय संभालने के बाद से कोई नया पिस्टल लाइसेंस स्वीकृत नहीं हुआ है।
  1. अंचल में पिस्टल के नए लाइसेंस जारी होने पर रोक सी लगी।
  2. हथियारों के प्रदर्शन के लिए ख्यात है ग्वालियर-चंबल अंचल।
  3. यहां कंधे पर बंदूक लेकर चलने को सम्मान समझते हैं लोग।

 ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल अंचल के बारे में यह बात प्रचलित रही है कि यहां लोगों के पास खाने-पहनने के लिए न हो, लेकिन कंधे पर बंदूक अवश्य टंगी होती है। बात पिस्टल और रिवाल्वर की हो तो कमर पर खोसकर चलना फैशन और रसूख का प्रतीक माना जाता है।

सबसे ज्यादा लाइसेंस इस इलाके में

यही वजह है कि प्रदेश में बंदूक-पिस्टल के सर्वाधिक लाइसेंस ग्वालियर, मुरैना और भिंड में हैं, लेकिन प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद से पिस्टल-रिवाल्वर के लाइसेंस पर ‘ताला’ लगा हुआ है। ऐसा इसलिए कि डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद गृह मंत्रालय उन्हीं के पास है। अभी तक तो गृह मंत्रालय जाकर या गृह मंत्री से सिफारिश लगाकर लाइसेंस की फाइल स्वीकृत करा ली जाती थी, लेकिन डॉ. यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद से अंचल से एक भी पिस्टल लाइसेंस की फाइल स्वीकृत नहीं हुई है।

लाइसेंसी हथियारों पर अघोषित रोक

सिफारिश के दम पर हथियार लाइसेंस हासिल करने वालों के लिए यह अघोषित रोक एक तरह से ठीक है। ग्वालियर में ही हथियार लाइसेंस की संख्या 33 हजार से ज्यादा है, जिसमें करीब 2000 पिस्टल लाइसेंस हैं।

विधानसभा चुनाव के बाद से ग्वालियर जिले में पिस्टल का एक भी लाइसेंस नहीं बना क्योंकि गृह मंत्रालय भोपाल से कोई कोई आदेश ही स्वीकृत होकर जिले में नहीं आया। भिंड, मुरैना, दतिया, शिवपुरी, छतरपुर, श्योपुर जैसे जिलों में भी ग्वालियर जैसी ही स्थिति है।

पिस्टल: जितनी लंबी प्रक्रिया,उतनी लगती है सिफारिश

प्रदेश में रायफल 12 बोर व 315 बोर का लाइसेंस बनाने का अधिकार जिला कलेक्टर के पास होता है। पिस्टल व रिवाल्वर के लाइसेंस के लिए सबसे पहले कलेक्ट्रेट में शस्त्र शाखा में आवेदन जमा होता है। इसके बाद एडीएम और कलेक्टर की अनुशंसा होती है।

यहां से फाइल संभाग के आयुक्त के यहां पहुंचती है। आयुक्त की अनुशंसा के बाद भोपाल गृह विभाग फाइल जाती है। अंतिम मुहर गृह मंत्री की लगती है। अभी तक सिफारिश वाले मंत्री के लोगों व दाएं-बाएं से सिफारिश कर लेते थे, लेकिन अब सीएम पर ही विभाग है तो यह सब संभव नहीं हो पा रहा।

शस्त्र लाइसेंस की स्थिति
  • ग्वालियर-चंबल के चार जिलों में सबसे अधिक शस्त्र लाइसेंस हैं।
  • भिंड में लगभग 31,000 से ज्यादा शस्त्र लाइसेंस
  • मुरैना में 33,000 से अधिक शस्त्र लाइसेंस मौजूद हैं।
  • ग्वालियर में 33,000 से ज्यादा हथियारों को लाइसेंस
  • दतिया जिले में 27,000 शस्त्र लाइसेंस हैं।

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