ग्वालियर … विकास के नाम पर 2500 से ज्यादा पेड़ काटे !

प्रशासनिक नाकामी से एक दशक में शहर की हरियाली हुई
विकास के नाम पर 2500 से ज्यादा पेड़ काटे, इनमें से कुछ ट्रांसप्लांट हुए, कुछ के बदले पौधे रोपे, न पेड़ बचे न पौधे बढ़े

विकास योजनाओं के लिए पिछले एक दशक में लगभग 2500 बड़े वृक्षों को काटा गया, ले​किन इनके बदले लगाए गए पौधे देखरेख के अभाव में बढ़ नहीं पाए। हालांकि पेड़ों को काटने की अनुमति नगर निगम ने इस शर्त के साथ दी थी कि एक पेड़ के बदले 10 पौधे लगाए जाएंगे। लेकिन इस शर्त को न तो पेड़ काटने वाली ऐजेंसियों ने माना और न ही नगर निगम के अधिकारियों ने परमिशन देने के बाद पलट कर उस ओर देखा। नतीजा शहर से हरियाली गायब होती जा रही है। दोनों ओर बड़े वृक्षों की ढंकी रेसकोर्स और गांधी रोड पर अब वृक्षों की संख्या न के बराबर है। स्मार्ट सिटी ने 17 लाख रुपए खर्च कर जिन 36 पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया था, वे भी सब सूखे खड़े हैं।

इस बारे में पूछने पर अब जिम्मेदारों को मामला ही याद नहीं आ रहा है। अब एमपी हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि थाटीपुर से पेड़ों का ट्रांसप्लांट ओहदपुर एरिया में किया है, लेकिन पेड़ पूरी तरह सर्वाइव नहीं कर पाए। पिछले पांच सालों में सरकारी और निजी संस्थाओं द्वारा 3.50 लाख पौधे लगाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन ये पौधे वृक्ष बनते कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। इन सबसे आगे बढ़कर इस बार बारिश में 10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।

शहर के अंदर सड़क चौड़ीकरण, रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास, नया एयर टर्मिनल, जीआर मेडिकल कालेज कैंपस में विकास कार्य, थाटीपुर में पुनर्घनत्वीकरण योजना आदि के नाम पर सरकारी एजेंसियां नगर निगम से बड़े-बड़े पेड़ों की कटाई की अनुमति लेती है। उसमें शर्त होती है कि एक पेड़ काटने के एवज में 10 पौधे लगाकर उनकी देखरेख करना है। स्वीकृति लेने के बाद जिम्मेदार अफसर ध्यान ही नहीं देते हैं। ऐसे में शहर के अंदर बड़े-बड़े पेड़ों की संख्या दिनों-दिन कम होती जा रही है। पेड़ कटने के बाद कांक्रीट का जंगल बनता जा रहा है।

सिरोल पहाड़ी: अब अटल स्मारक के लिए 748 पेड़ों की शिफ्टिंग

ये भूमि कलेक्ट्रेट कार्यालय से साल 2002 में वन विभाग को मिली थी। यहां पर वर्तमान मे 5000 पेड़ (छोटे-बड़े) खड़े हुए हैं। यहां पर नगर निगम ने 1000 पेड़ और शेष पेड़ वन विभाग ने लगाए हैं। वन विभाग के स्टाफ की देखरेख में सिरोल सिटी फॉरेस्ट का रूप धारण कर चुका है। यहां पर राज्य शासन की मंशा के अनुरुप पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी के नाम से अटल स्मारक बनाने के लिए मप्र टूरिज्म काम कर रहा है। मौके पर टीन शेड लगाने के लिए गड्ढे खोद दिए गए हैं। उक्त स्थल पर 748 छोटे-बड़े पेड़ खड़े हैं। उनको काटने या फिर शिफ्टिंग की प्लानिंग है। हालांकि वन मंडलाधिकारी कार्यालय से ऐसी कोई स्वीकृति नहीं मिली है। क्योंकि इसका विधिवत प्रस्ताव बनता है।

किस योजना में कटे पेड़

  • पुरानी छावनी-भिंड मार्ग चौड़ीकरण (एमपीआरडीसी)- 400 पेड़
  • शिवपुरी लिंक रोड विस्तार (लोनिवि)- 300 पेड़
  • रेलवे स्टेशन पुनर्विकास (लोनिवि)- 231 पेड़ नया एयर टर्मिनल (एयरपोर्ट अथॉरिटी)- 100 पेड़
  • थाटीपुर पुनर्घनत्वीकरण योजना (एमपी हाउसिंग बोर्ड)- 90 पेड़
  • बड़ागांव हाइवे (एमपीआरडीसी)- 40 पेड़
  • रेसकोर्स रोड चौड़ीकरण (रेलवे)- 100 पेड़
  • जीआर मेडिकल कॉलेज विस्तार (पीआईयू लोनिवि)- 100 पेड़
  • स्मार्ट रोड (ग्वालियर स्मार्ट सिटी)- 36 पेड़

नोट: ये तो रिकार्ड में मौजूद है। इतने ही पेड़ों की छोटी-छोटी योजना में स्वीकृति दी गई है। साथ ही 1-2 पेड़ काटने की स्वीकृति निगम हर माह देता है।

 एक्सपर्ट – सेवानिवृत मुख्य वन संरक्षक (आईएफएस)

^पेड़ों को काटने की स्वीकृति में सभी शर्तें तय होती हैं। विकास के लिए जो भी सरकारी एजेंसी पुराने पेड़ों को काट रही हैं, उसे नया पौधरोपण करने से पहले एरिया के(तापमान, रेनफॉल, मवेशी और बायोटिक प्रेशर का अध्ययन करना चाहिए। तभी नए पौधे भविष्य के पेड़ बनकर इंसान को ऑक्सीजन दे सकेंगे। जहां तक ट्री ट्रांसप्लांट का प्रश्न है? उक्त पद्धति भारत की तुलना में विदेश में काफी सफल है।

स्मार्ट सिटी… 17 लाख खर्च कर 36 पेड़ शिफ्ट कराए, सभी सूखे

स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने स्मार्ट रोड बनाने के लिए 36 पेड़ों को काटने की स्वीकृति ली थी। उस वक्त दावा किया गया था कि पेड़ों को शिफ्ट किया जाएगा। ये काम स्मार्ट सिटी में शुरू से जमें इंजीनियरों ने ​17 लाख रुपए का ठेका देकर पेड़ों की शिफ्टिंग और देखरेख की जिम्मेदारी दी थी। स्मार्ट सिटी के अफसरों ने इसमें दिखावा कर लाल टिपारा गौशाला में 20 पेड़, सचिन तेंदुलकर मार्ग पर 14 पेड़ और वीर सावरकर मार्ग पर दो पेड़ों की शिफ्टिंग की। वह 100 प्रतिशत फ्लॉप हो गई। अब सिर्फ पेड़ों के सूखे तने खड़े नजर आ रहे हैं। ​​​​​​​

मेरी जानकारी में नहीं, फाइल देखकर बता सकूंगा
^स्मार्ट रोड के लिए कितने पेड़ कटे हैं। उनको कहां पर ट्रांसप्लांट किया गया है। ये मेरी जानकारी में नहीं है। मैं फाइल देखने के बाद बता सकूंगा कि कहां-कहां पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया है।
– सुबोध खरे, अधीक्षण यंत्री स्मार्ट सिटी

विकास कार्यों के लिए पेड़ काटने की स्वीकृति शर्तों पर देते हैं
^नगरीय क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए पेड़ काटने की स्वीकृति शर्तों पर देते हैं। उन्हें एक पेड़ के स्थान पर दस पौधे लगाना चाहिए। मैं इस मामले को चेक कराकर आगे क्या कार्रवाई हो सकती है। उस पर काम किया जाएगा।
– विजय राज, अपर आयुक्त ननि

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