देश के भविष्य का खाका ?

 देश के भविष्य का खाका: विजन इंडिया @2047 में क्या है खास, आंकड़ों से समझिए
विकसित भारत का मतलब सिर्फ आर्थिक तरक्की ही नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा भारत है जहां हर नागरिक को बुनियादी सुविधाएं, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के अच्छे अवसर मिलें.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 100 साल पूरे होने तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है. ये लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत को अगले 20-25 साल तक 7 से 10 फीसदी की रफ्तार से ग्रोथ करना होगा. साथ ही उस वक्त तक देश की अर्थव्यवस्था 30 लाख करोड़ डॉलर की होनी चाहिए और हर शख्स की सालाना कमाई 18 हजार डॉलर होनी चाहिए.

सरकार की थिंक टैंक संस्था नीति आयोग ने बताया कि आज की 3.36 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था को नौ गुना बढ़ाना होगा और फिलहाल प्रति व्यक्ति 2392 डॉलर की सालाना कमाई को आठ गुना बढ़ाना होगा. ये पूरा रोडमैप नीति आयोग ने देश को विकसित बनाने के लिए ‘विजन फोर विकसित भारत @ 2047: ऐन अप्रोच पेपर’ में पेश किया.

अभी भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और सरकार का मानना है कि 2027 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. तब जीडीपी 5 ट्रिलियन डॉलर पार कर जाएगा.

विकसित भारत कैसा होगा
विकसित भारत के सपने का रास्ता आसान नहीं है. नीति आयोग के मुताबिक, विकसित भारत वो होगा जहां हर आदमी की कमाई उन्हीं देशों जितनी होगी जो आज दुनिया में सबसे ज्यादा अमीर हैं. यानी हमारी सोच, संस्कृति, तकनीक और काम करने का तरीका सब कुछ ऐसा होगा कि हमें एक विकसित देश कहा जा सके. साथ ही हम अपनी पुरानी धरोहर को भी संभाल पाएंगे और दुनिया की सबसे अच्छी तकनीक पर काम कर पाएंगे. 

वर्ल्ड बैंक के हिसाब से विकसित देश वो हैं जहां हर आदमी साल में 14,005 डॉलर यानी करीब 12 लाख रुपये से ज्यादा कमाता है. तो हमें इस लक्ष्य को भी हासिल करना होगा. 

विकसित भारत @2047 का रोडमैप

अभी 2047 तक लक्ष्य
जनसंख्या 140 करोड़ 165 करोड़
मीडियन एज 29 37
लाइफ एक्सपेक्टेंसी 71+ 84
वर्किंग एज पॉपुलेशन 96 करोड़ 112 करोड़

‘अब सिर्फ चलते रहने से काम नहीं चलेगा’
रिपोर्ट में कहा गया है कि अब हम जैसे पहले काम कर रहे थे, वैसा नहीं चलेगा. हमें आगे बढ़ने के लिए नए तरीके खोजने होंगे. हमारे अच्छे विचारों को काम में लाना बहुत जरूरी है. हमें पूरी लगन और दृढ़ता से काम करना होगा ताकि आजादी के 100 साल पूरे होने तक हम एक ऐसा भारत बना सकें जिसका सपना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था.

इस काम में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को साथ मिलकर काम करना होगा. ज्यादातर काम तो राज्य सरकारों को ही करने होंगे. साथ ही, पैसों का भी ज्यादा इस्तेमाल राज्यों को ही करना होगा. हमें ये देखना होगा कि सारे राज्य तेजी से तरक्की करें और वहां के लोगों की कमाई और जिंदगी के स्तर में भी अंतर कम हो. हमें पूरे देश में सामान, लोगों और पैसों की आवाजाही आसान बनानी होगी.

भारत की युवा ताकत
नीति आयोग के मुताबिक, भारत की अभी करीब आधी आबादी 25 साल से कम उम्र की है. ये दुनिया की कुल युवा आबादी का करीब 20 फीसदी हिस्सा है. ये हमारे लिए बहुत बड़ा मौका है. अगर हम इस मौके का सही इस्तेमाल किया तो भारत को एक विकसित देश बना सकते हैं. 

हमारे देश में साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स की पढ़ाई करने वालों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है. हर साल 20 लाख से ज्यादा छात्र ग्रेजुएट होते हैं, जिनमें से करीब 43 फीसदी लड़कियां हैं. इसके अलावा, हमारे देश में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है. अगर इन सबको एक साथ जोड़ दिया जाए और सही तरीके से मदद की जाए तो हमारी युवा ताकत और कारोबारी लोग मिलकर देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा सकते हैं.

विकसित भारत @2047 का रोडमैप

अभी 2047 तक लक्ष्य
जीडीपी $3.6 ट्रिलियन >$30 ट्रिलियन
प्रति व्यक्ति जीडीपी $2392 >$18,220
जीडीपी में इंडस्ट्री का योगदान 28% 34%

भारत की उम्र बढ़ेगी, काम करने वाले ज्यादा होंगे
विकसित भारत के लिए कुछ ठोस लक्ष्य तय किए गए हैं. इनमें से एक है लोगों की औसत उम्र को बढ़ाकर लगभग 84 साल करना. रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके लिए बच्चे पैदा करने की औसत दर भी धीरे-धीरे कम होकर करीब 1.8 हो जाएगी. इससे साल 2047 तक देश की जनसंख्या करीब 165 करोड़ हो जाएगी. चूंकि भारत में ज्यादातर लोग जवान हैं.  साल 2047 तक हमारे देश में काम करने वाले करीब 112 करोड़ लोग होंगे. ये किसी भी दूसरे देश से ज्यादा होगी.

साल 2047 में हमारे देश में ज्यादातर लोगों की उम्र करीब 37 साल होगी. नीति आयोग चाहता है कि तब देश का हर व्यक्ति पढ़-लिख सके, 70 फीसदी से ज्यादा महिलाएं काम करें (अभी तो सिर्फ 37 प्रतिशत काम करती हैं), हर किसी को कोई न कोई काम आता हो और दुनिया में महिलाओं और पुरुषों की बराबरी के मामले में हम टॉप 10 में रहें.

हमें ये भी ध्यान रखना होगा कि हम बीच के देश न बन जाएं, यानी न बहुत गरीब रहें और न बहुत अमीर. इसके लिए हमें सामान बनाने, सामान पहुंचाने और नई चीजें खोजने में बहुत अच्छा बनना होगा. बिजली सस्ती, पर्याप्त और साफ-सुथरी होनी चाहिए. गांव और शहर के लोगों की कमाई में अंतर कम करना होगा और देश के हर कोने का विकास करना होगा. ये सब बड़ी चुनौतियां हैं जिनका समाधान ढूंढना होगा.

विकसित भारत @2047 का रोडमैप

अभी 2047 तक लक्ष्य
साक्षरता दर 77% 100%
महिला श्रम बल भागीदारी दर 37% >70%
कुशल श्रम शक्ति 32% 100%
वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक 122 टॉप-10

विकसित भारत बनने की राह में चुनौतियां
एक डर ये है कि भारत जब अमीर देश बनने की कोशिश करेगा, तो वो मिडिल क्लास देशों की जाल में फंस सकता है. मतलब ये कि जब हर शख्स की कमाई 5 से 6 हजार डॉलर हो जाएगी, तो उसके बाद देश तेजी से आगे नहीं बढ़ पाता है. वर्ल्ड बैंक कहता है कि एक मध्यम आय वाला देश अमीर देश नहीं बन पाता है क्योंकि उसके खर्चे बढ़ जाते हैं और वो दूसरे देशों से कम सामान बेच पाता है.

वहीं अभी भारत में करीब 140 करोड़ लोग हैं. ये संख्या साल 2047 में बढ़कर 165 करोड़ हो जाएगी, लेकिन फिर धीरे-धीरे घटकर 2100 में 145 करोड़ हो जाएगी. इसका मतलब है कि भारत में बुजुर्ग लोगों की संख्या बढ़ेगी. इससे और भी दिक्कतें बढ़ेंगी. जैसे कि लोगों का इलाज करने पर ज्यादा खर्च होगा, पेंशन का बोझ बढ़ेगा और काम करने वाले लोगों की कमी हो सकती है.

भारत की कमाई डॉलर में देखने पर भी अलग नजर आती है, क्योंकि रुपये और डॉलर की कीमत में बहुत अंतर आता रहता है. ये कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि महंगाई, देश से सामान का आयात-निर्यात, दूसरे देशों से पैसा आना-जाना और सरकार की पैसों से जुड़ी नीतियां. वहीं चीन, पाकिस्तान और दूसरे पड़ोसी देशों से रिश्ते अच्छे नहीं हैं. अमेरिका, रूस और दूसरे बड़े देशों के साथ रिश्ते भी बदलते रहते हैं. इन सबका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है.

भारत में आधी से ज्यादा लोग खेती या उससे जुड़े काम करते हैं, लेकिन खेती से देश की कुल कमाई का सिर्फ 17% हिस्सा आता है. हमें खेती को और बेहतर बनाना होगा. वहीं, कारखाने भी पिछले कई सालों से उतना नहीं बढ़ पाए हैं जितना बढ़ना चाहिए. कारखानों से देश की कुल कमाई का 15% हिस्सा आता है. हमें कारखानों को भी दुरुस्त करना होगा और साथ ही लोगों को रोजगार भी देना होगा क्योंकि देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में सिर्फ 40.4% लोग काम करते हैं जबकि दुनिया में ये औसत 61.4% है.

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