मंत्रियों ने कॉन्स्टेबल-एएसआई को बनाया बाबू ?

मंत्रियों ने कॉन्स्टेबल-एएसआई को बनाया बाबू
एमपी में सरकार के आदेश के बिना करा रहे ड्यूटी; हाजिरी दूसरी जगह लगाते हैं
मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री अपने स्टाफ में विशेष सहायक और निज सहायक के रूप में पुराने और अनुभवी लोगों को चाहते हैं, लेकिन सरकार चाहती है कि नए लोगों की नियुक्ति की जाए। इस कशमकश में अब तक 21 मंत्रियों को विशेष सहायक और निज सहायक नहीं मिले हैं, जबकि इन्होंने जनवरी में ही नियुक्ति के लिए सरकार के पास नोट शीट भेज दी है।

जिनकी सिफारिश मंत्रियों ने की है, वो बाकायदा मंत्रियों के यहां काम कर रहे हैं, मगर बगैर सरकारी आदेश के। वे ‘ड्यूटी पर होने के साइन’ मंत्रालय या मूल विभाग में कर रहे हैं, लेकिन पूरा समय मंत्रियों के कामकाज को दे रहे हैं। वहीं, कुछ ने पिछले दरवाजे से प्रतिनियुक्ति का फॉर्मूला इस्तेमाल करते हुए मंत्री के स्टाफ में जगह बना ली है।

पुराने की जगह सरकार नए लोगों की नियुक्ति क्यों करना चाहती है? सूत्र बताते हैं कि नई सरकार बनने के बाद चार मंत्रियों ने अपने स्टाफ में पुराने अफसर और कर्मचारियों की नियुक्ति कर ली थी। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने निर्देश दिए कि पुराने लोगों से दूरी बनाओ।

जैसे ही निर्देश मिले, मंत्रियों के स्टाफ में पुराने लोगों की नियुक्ति का मामला रोक दिया। साथ ही मंत्रियों के स्टाफ में नई नियुक्ति के लिए 3 पैरामीटर बना दिए गए। अब इन पैरामीटर पर खरे उतरने वाले ही मंत्री के स्टाफ में शामिल हो सकेंगे। 

 

अब जानिए नए लोगों को मौका क्यों…

पटेल के ओएसडी की नियुक्ति के बाद अलर्ट हुई थी सरकार

नई सरकार बनने के बाद 16 दिसंबर 2023 को राज्य शासन को 23 पूर्व मंत्रियों ने निजी स्टाफ की सेवाएं मूल विभाग को लौटा दी थी। इसके बाद नए मंत्रियों के स्टाफ में नियुक्ति की कवायद शुरू हुई। मंत्रियों के निजी स्टाफ में अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति उनकी पसंद के मुताबिक होती रही है, लेकिन प्रहलाद पटेल के स्टाफ में दागी ओएसडी की नियुक्ति के बाद सरकार चौकन्नी हुई थी।

दरअसल, 9 जनवरी 2024 को राज्य शासन द्वारा आदेश जारी कर मंत्री प्रहलाद पटेल के निजी स्टाफ में इंदौर में पदस्थ रहे उप आयुक्त, श्रम लक्ष्मी प्रसाद पाठक को ओएसडी बनाया गया था। जबकि भ्रष्टाचार के मामले में पाठक को दोषी पाया गया था।

नियुक्ति से दो महीने पहले लोकायुक्त के डीजी ने 10 नवंबर 2023 को पत्र भेजकर शासन को सूचना दे दी थी। इसके बाद राज्य सरकार ने मंत्री स्टाफ में नियुक्त होने वाले कर्मचारी-अधिकारियों की सूची तैयार कर विजीलेंस विभाग को सौंपी। विजीलेंस का दावा है कि अब एक-एक कर्मचारी, अधिकारी की कुंडली तैयार की गई है।

अलर्ट होने से पहले ही निकल गए थे कई आदेश

सरकार अलर्ट हुई, उससे पहले कई मंत्रियों के यहां पुराने लोगों की नियुक्ति के आदेश जारी हो गए थे। इनमें उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के पुराने सहयोगी और निज सचिव आनंद भट्‌ट और निज सहायक सुधीर दुबे भी शामिल थे।

उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के निज सचिव अशोक डहारे, निज सहायक देवेंद्र मालवीय और श्यामबाबू वर्मा सहायक ग्रेड-2 की फिर से पोस्टिंग हो गई। इसी तरह पिछले कार्यकाल में मंत्री विजय शाह के विशेष सहायक केके खरे थे। इस बार भी उनका आदेश हो गया। अब सरकार ने मंत्रियों के स्टाफ में पोस्टिंग के लिए तीन पैरामीटर बना दिए हैं।

अब जानिए, अपनी पसंद का विशेष सहायक क्यों चाहते हैं मंत्री

मंत्री के स्टाफ में विशेष सहायक सबसे अहम होता है। उसकी भूमिका विभाग और मंत्री के बीच समन्वय की होती है। विभाग से संबंधित सभी नीतिगत मामलों और संवैधानिक जिम्मेदारी विशेष सहायक की होती है। मंत्री का पूरा स्टाफ विशेष सहायक के अधीन ही काम करता है।

विशेष सहायक की सलाह पर ही मंत्री फाइलों पर टीप लिखते हैं। विभाग के अफसरों का मंत्री से सीधा संपर्क नहीं होता है। विभाग से सभी फाइलें विशेष सहायक के माध्यम से ही मंत्री तक पहुंचती हैं। विशेष सहायक का काम मंत्रियों से संबंधित बिजनेस रूल बुक में निर्धारित किए गए हैं। जबकि निज सहायक और निज सचिव की भूमिका निर्धारित नहीं है।

इन उदाहरणों से समझिए, कैसे हो रही पोस्टिंग…

प्राध्यापक तीसरी बार बने मंत्री के विशेष सहायक

डॉ. विजय कुमार सिंह को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) मंत्री संपतिया उइके का विशेष सहायक बनाया गया। सामान्य प्रशासन विभाग ने 12 जुलाई को यह आदेश जारी किया था। डॉ. सिंह मूलतः उच्च शिक्षा विभाग में प्राध्यापक (भूगोल) हैं। वे जयभान सिंह पवैया और बृजेंद्र प्रताप सिंह के स्टाफ में रह चुके हैं।

मंत्रालय के स्टेनोग्राफर 26 साल से 5 मंत्रियों के निज सहायक

शिव हरोड़े मंत्रालयीन सेवा में स्टेनोग्राफर संवर्ग से हैं। पिछले 26 साल से मंत्रियों के निजी स्टाफ में काम कर रहे हैं। पिछली सरकार में ये मंत्री गौरीशंकर बिसेन और कमल पटेल के निजी स्टाफ में रहे। दिग्विजय‎ सरकार में मंत्री सतेंद्र पाठक, कमलनाथ सरकार में मंत्री लाखन सिंह यादव और सुखदेव पांसे के निज सहायक रहे।

इस बार एदल सिंह कंसाना के स्टाफ में पोस्टिंग के लिए नोट शीट लिखी गई है। लेकिन राज्य शासन ने कोई आदेश जारी नहीं किया है। फिर भी वे कंसाना का कामकाज देख रहे हैं।

प्रतिनियुक्ति फॉर्मूले से बन गए मंत्री के विशेष सहायक

भोपाल नगर निगम में राजस्व निरीक्षक वीरेंद्र तिवारी प्रतिनियुक्ति पर स्कूल शिक्षा विभाग में आए थे। वर्तमान में स्कूल शिक्षा मंत्री के निज सचिव का काम देख रहे हैं। तिवारी पूर्व मंत्री अजय विश्नोई, बृजेंद्र प्रताप सिंह, जयंत मलैया और घनश्याम पाटीदार के यहां काम कर चुके हैं। कमलनाथ सरकार के दौरान वे मंत्री लखन घनघोरिया के स्टाफ में थे।

विधानसभा में रिपोर्टर, 20 साल से मंत्रियों के स्टाफ में

विधानसभा में रिपोर्टर बसंत बाथरे दिग्विजय‎ सरकार में मंत्री दीपक सक्सेना के स्टाफ में थे।‎ फिर भाजपा सरकार में मंत्री नागेंद्र सिंह के यहां दो‎ टर्म में विशेष सहायक रहे। इसके बाद संजय‎ पाठक और कमलनाथ सरकार में उमंग सिंघार के‎ स्टाफ में आ गए। भाजपा सरकार में राम किशोर‎ कांवरे के विशेष सहायक हो गए।‎ फिलहाल दिलीप जायसवाल के यहां काम कर रहे हैं। लेकिन राज्य शासन ने उनका आदेश जारी नहीं किया है।

पुलिस वाले भी बने मंत्री के बाबू

स्कूल शिक्षा व परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह के स्टाफ में आरक्षक अंशुल शर्मा को सहायक ग्रेड 3 के पद पर पदस्थ कर दिया गया है। शर्मा की मूल पदस्थापना 36वीं बटालियन, बालाघाट में आरक्षक के पद पर थी। इसी तरह कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री दिलीप जायसवाल के स्टाफ में एएसआई गौरव बड़गोती को निज सहायक के पद पर पदस्थ किया गया है। दोनों आदेश 30 जुलाई को जारी किए गए हैं।

पटवा सरकार ने लिया था पिछली सरकार के मंत्रियों के स्टाफ को न रखने का फैसला

डॉ. मोहन सरकार ने मंत्रियों के स्टाफ को लेकर लिखित में कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन 1990 में पटवा सरकार ने बाकायदा पहली कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया था कि पिछली सरकार (कांग्रेस) में रहे स्टाफ को नए मंत्रियों के यहां पदस्थ नहीं किया जाएगा।

मंत्रालय के दस्तावेजों के मुताबिक, तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने पहली कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव रखा था। हालांकि, तत्कालीन मुख्य सचिव निर्मला बुच ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि प्रस्ताव एजेंडे में शामिल नहीं है।

इस पर पटवा ने कहा कि इसे एजेंडे में शामिल कीजिए। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किया कि किसी भी मंत्री के स्टाफ में पुरानी सरकार के मंत्री स्टाफ को नियुक्त नहीं किया जाएगा।

1994 में बने थे विशेष सहायक नियुक्ति के नियम

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, दिग्विजय शासनकाल के दौरान 1994 में मंत्रियों के विशेष सहायक की नियुक्ति के नियम बने थे। तत्कालीन समान्य प्रशासन विभाग की प्रमुख सचिव रंजना चौधरी ने विशेष सहायक के लिए राजपत्रित अधिकारी होना अनिवार्य किया था। इससे पहले मंत्री जिस अधिकारी को चाहते थे, उसे अपना विशेष सहायक बना लेते थे।

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