दिलवालों की दिल्ली बदहाल …. वर्ल्ड क्लास सिटी की संज्ञा बेमानी ?
दिलवालों की दिल्ली बदहाल: प्रदूषण के बाद अब जाम ड्रेनेज के कारण जीना दूभर; वर्ल्ड क्लास सिटी की संज्ञा बेमानी
राजधानी दिल्ली अब रहने लायक नहीं रह गई है। दिल्लीवासी प्रदूषण के चलते साफ हवा में सांस लेने के लिए बरसों से तरस ही रहे हैं। अब सड़कों की बदहाली और दशकों पुरानी सीवेज प्रणाली की जर्जर अवस्था के होते जलभराव की समस्या से उनका जीना दूभर हो गया है। वे उस क्षण को कोस रहे हैं, जब उन्होंने यहां बसने का निर्णय लिया था। जनसुविधाओं के मामले में प्रशासनिक स्तर पर भी दिल्ली की जनता केंद्र की भाजपा सरकार और दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच जारी अस्तित्व की लड़ाई में पिस रही है।
अब जरा दिल्ली की जल निकासी पर भी नजर डालें। दशकों पुराना ड्रेनेज सिस्टम इतना बदहाल हो चुका है कि अब वह राजधानी की सवा दो करोड़ से ज्यादा आबादी के जल-मल का भार सहने की क्षमता खो चुका है। फिर भी दिल्ली उसी 48 साल पुराने ड्रेनेज सिस्टम पर आश्रित है, जब दिल्ली की आबादी 60 लाख के आसपास ही हुआ करती थी। इस वजह से जरा-सी बारिश में जलभराव हो जाता है। यदि बारिश तगड़ी हो गई, तो डूब की स्थिति पैदा हो जाती है। यह हालत अब पुरानी दिल्ली की ही नहीं होती, बल्कि लुटियन जोन नई दिल्ली भी इसका शिकार हुए बिना नहीं रहती और वहां के हालात भी किसी टापू जैसे हो जाते हैं।
इन सबके लिए जिम्मेदार पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था का न होना और नालों की समय-समय पर सफाई न होना है। नतीजतन सड़कों पर तेज बारिश के चलते जलभराव होने से कहीं सड़क धंसने से गड्ढे हो जाते हैं। कहीं सीवर के मैनहोल में स्कूटर समा जाते हैं, तो कभी राहगीर। कभी-कभी तो लुटियन जोन में घंटों आवाजाही तक बंद हो जाती है और लोग घरों में कैद होकर रह जाते हैं।
वह बात दीगर है कि पीडब्ल्यूडी यह दावा करते नहीं थकती कि जलभराव के चलते जल निकासी हेतु सैकड़ों पंप लगाए जाते हैं, लेकिन बारिश के विषम हालात, पुराने नालों की सफाई न होने और उनमें गंदगी भरे रहने से पंपों द्वारा जल निकासी में अधिक समय लगने से जल्दी जलभराव से निजात मिल पाना बेहद मुश्किल हो जाता है और जाम में घंटों वाहन फंसे रहते हैं। कहीं-कहीं तो हादसों की आशंका के मद्देनजर रास्ते और अंडरपास तक बंद करने पड़ते हैं। ज्यादातर ऐसी स्थिति से लोगों को आजाद नगर मार्केट ब्रिज, मूलचंद अंडरपास, जखीरा अंडरपास, मिंटो ब्रिज, आईटीओ, गणेश नगर, मदर डेयरी, प्रगति मैदान आदि जगहों पर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जिससे कभी-कभी कार्यस्थल पर भी समय से पहुंचना उनके लिए बेहद मुश्किल हो जाता है। बदहाली की यह स्थिति तो कमोबेश दिल्ली वालों की नियति बन चुकी है। ऐसे में दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी की संज्ञा देना बेमानी है।