यूपी में स्कूली बस हादसों पर हाईकोर्ट सख्त ?

यूपी :डेढ़ साल में प्रदेश में 211 हादसे, 24 स्कूली बच्चों की हुई मौत, सख्त हुए हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
Road accidents in UP: बच्चों को स्कूल ले जाने वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस पर लखनऊ हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। 

UP: 211 accidents in the state in one and a half years, 24 school children died, High Court became strict and
यूपी में स्कूली बस हादसों पर हाईकोर्ट सख्त।

जिस वैन या बस में आप बच्चे को स्कूल के लिए भेजते हैं, क्या वह सुरक्षित है? यह सवाल इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि पूरे प्रदेश में डेढ़ साल में 211 ऐसे वाहन हादसों के शिकार हुए। इन हादसों में 24 बच्चों की जान चली गई। वहीं, 12 बच्चे दिव्यांग हो गए।

परिवहन विभाग के रोड सेफ्टी सेल ने जून 2022 से दिसंबर 2023 के बीच हुए हादसों का ब्योरा जुटाया है। सूत्रों के मुताबिक इस दरम्यान हुए 211 हादसों में से 65 फीसदी वे प्राइवेट वाहन थे, जो बच्चों को स्कूल ले जाने और घर पहुंचाने में लगे थे। वहीं 35 प्रतिशत हादसे स्कूली वाहनों के हुए। हादसों की वजह तेज रफ्तार, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन और वाहन का अनफिट रहना पाया गया। वाहनों की फिटनेस खत्म होने के बाद भी उनसे बच्चों को स्कूल पहुंचाया जाता रहा, ऐसे मामलों में वाहन मालिकों व चालकों की लापरवाही सामने आई।

अनफिट स्कूली वाहनों को लेकर आज मुख्य सचिव करेंगे बैठक
सड़क हादसों को लेकर प्रदेश सरकार संजीदगी दिखा रही है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह रविवार को प्रदेशभर के परिवहन अफसरों के साथ ऑनलाइन बैठक करेंगे। आरटीओ प्रवर्तन इसमें शामिल होंगे। इसमें अनफिट स्कूली वाहनों को सड़कों से हटाने की रणनीति बनाई जाएगी। इसके लिए प्रवर्तन दलों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जो अगले हफ्ते से अभियान चलाएंगे।

लगातार चलाए जा रहे हैं अभियान

सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। अनफिट स्कूली वाहनों के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। वाहनों की फिटनेस के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं।-पुष्पसेन सत्यार्थी, अपर परिवहन आयुक्त, रोड सेफ्टी

बच्चों के सुरक्षित स्कूली वाहनों पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

UP: 211 accidents in the state in one and a half years, 24 school children died, High Court became strict and
कोर्ट ने की टिप्पणी। – फोटो : istock
 इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के स्कूली बच्चों को लाने और वापस ले जाने वाले वाहनों के सुरक्षित होने के मामले में केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने इन वाहनों की फिटनेस को लेकर नियम कानून के पालन की साल भर में की गई कारवाई का जिलेवार ब्योरा भी छह हफ्ते में पेश करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने यह आदेश ‘वी द पीपल’ संस्था के महासचिव प्रिंस लेनिन की जनहित याचिका पर दिया। 

इसमें याची ने पढ़ने वाले बच्चों को घर से स्कूल ले जाने और वापस लाने वाले वाहनों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया है। याची का कहना था कि ऐसे वाहनों की नियमानुसार फिटनेस की नियमित जांच और कारवाई होनी चहिए। क्योंकि यह मामला बच्चों के जीवन की सुरक्षा से जुड़ा है। ऐसे वाहनों की जांच में शिथिलता से आए दिन स्कूली वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। याची की दलील थी कि ज्यादातर स्कूली वाहन पुराने और असुरक्षित हैं। इनकी नियमित जांच और कारवाई न होने से स्कूली बच्चों की जान का खतरा बना रहता है। याची ने इसके लिए केंद्रीय मोटर वाहन कानून और संबंधित नियमों के तहत वाहनों की फिटनेस की नियमित जांच और कारवाई के निर्देश देने का आग्रह किया। उधर, सुनवाई के समय सरकारी वकील पेश हुए।

कोर्ट ने मामले में पक्षकार केंद्र और राज्य सरकार से स्कूली वाहनों की सुरक्षा को लेकर अपनाए जा रहे उपायों की जानकारी देते हुए नया जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने इन वाहनों की सुरक्षा संबंधी कानून या नियमों व आदेशों के पालन की रिपोर्ट भी तलब की है। इसको लेकर कोर्ट ने पिछले साल भर में की कारवाई का जिलेवार ब्योरा भी पेश करने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी।

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