यूनिफाइड पेंशन स्कीम से जुड़े 8 सवालों के जवाब !
क्या सैलरी से पैसा कटेगा, कितनी पेंशन बनेगी
NPS से कैसे अलग; यूनिफाइड पेंशन स्कीम से जुड़े 8 सवालों के जवाब
24 अगस्त की शाम करीब 7.30 बजे। केंद्रीय विद्यालय में सरकारी टीचर मनोज शर्मा पत्नी के साथ चाय पी रहे थे, तभी एक ब्रेकिंग न्यूज आई। मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का ऐलान किया है। मनोज फिलहाल न्यू पेंशन स्कीम यानी NPS में कॉन्ट्रिब्यूट करते हैं।
सरकार की नई घोषणा से मनोज के मन में एकसाथ कई सवाल उठे। मसलन- यूनिफाइड पेंशन स्कीम मौजूदा NPS से कितनी अलग, उनके लिए कौन-सी फायदेमंद, नई स्कीम में कोई पेच तो नहीं?
8 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे…
सवाल 1: यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी UPS क्या है और यह कब से लागू होगी?
जवाब: थोड़ा पीछे से शुरू करते हैं। दिसंबर 2003 तक सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम यानी OPS लागू थी। जनवरी 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार इसे हटाकर न्यू पेंशन स्कीम यानी NPS लाई। NPS पर कई तरह के सवाल उठ रहे थे। इसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे।
मोदी सरकार ने अप्रैल 2023 में टीवी सोमनाथन की अगुआई में एक कमेटी बनाई। इस कमेटी ने हर राज्य के वित्तीय सचिव, नेताओं, सैकड़ों कर्मचारी यूनियन के साथ चर्चा की। उसके बाद कमेटी ने कैबिनेट को न्यू पेंशन स्कीम में बदलाव के लिए कुछ सिफारिशें कीं। 24 अगस्त 2024 को मोदी सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी UPS को मंजूरी दी है। इसे अलगे वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कबिनेट की मीटिंग में इसे अप्रूवल मिल गया है।
सवाल 2: यूनिफाइड पेंशन स्कीम में नया क्या है?
जवाब: सरकार ने यूनिफाइड पेंशन की 5 बड़ी खूबियां गिनाई हैं…
- आखिरी साल की औसत सैलरी की 50% एश्योर्ड पेंशन मिलेगी: कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट से पहले के आखिरी 12 महीने की बेसिक पे के औसत का 50% बतौर पेंशन दिया जाएगा। यानी अगर किसी कमर्चारी को उसकी नौकरी के आखिरी साल में 50 हजार रुपए बेसिक पे मिलती थी तो उसे रिटायरमेंट के बाद हर महीने 25 हजार रुपए पेंशन मिलेगी।
- 25 साल से कम नौकरी पर उसी अनुपात में पेंशन मिलेगी: औसत बेसिक पे की 50% पेंशन उन्हें मिलेगी, जिन्हें नौकरी करते हुए 25 या उससे ज्यादा साल हो गए हैं। 25 साल से कम और 10 साल से ज्यादा सर्विस होने पर उसी अनुपात में कम पेंशन मिलेगी।
- 10 साल या ज्यादा नौकरी वालों को मिनिमम 10 हजार रुपए पेंशन मिलेगी: अगर किसी कर्मचारी ने 10 साल से ज्यादा और 25 साल से कम नौकरी की है, तो उसकी बेसिक पे भले ही कितनी कम हो, उसे पेंशन में कम से कम 10 हजार रुपए जरूर मिलेंगे। मान लीजिए किसी सरकारी कर्मचारी ने 12 साल की सर्विस के बाद किसी वजह से रिटायरमेंट ले लिया है और उसकी बेसिक पे भी 20 हजार रुपए से कम है, तो भी उसे हर महीने 10 हजार रुपए पेंशन मिलेगी। इसमें इन्फ्लेशन यानी महंगाई भी जोड़ी जाएगी। अश्विनी वैष्णव के अनुसार महंगाई जोड़े जाने पर आज के अनुसार यह पेंशन करीब 15 हजार रुपए बैठेगी।
- फैमिली को पेंशन की 60% तय रकम और डियरनेस रिलीफ मिलेगा: अगर किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को पेंशन (अगर कर्मचारी उस समय रिटायर हो गया होता तो उसे जो पेंशन मिलती) का 60% मिलेगा। साथ ही परिवार को मिनिमम डियरनेस रिलीफ का पैसा (पहले इसे डियरनेस अलाउंस यानी DA कहते थे) भी मिलेगा। यह डियरनेस रिलीफ AICPI-W यानी ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स के अनुसार मिलेगा।
- पेंशन के अलावा लम-सम (Lump-Sum) अमाउंट: सरकार हर कर्मचारी को उसकी हर 6 महीने की नौकरी पूरी करने पर, इन महीनों की उसकी सैलरी और DA का 10% पैसा, रिटायरमेंट के बाद लम-सम अमाउंट के बतौर देगी। इसे ऐसे समझिए कि अगर किसी कर्मचारी ने 10 साल 3 महीने नौकरी की है तो उसे 10 साल की सैलरी और DA का 10% बतौर लम-सम अमाउंट दिया जाएगा।
सवाल 3: क्या केंद्र और राज्य के सभी सरकारी कर्मचारी इसके दायरे में आएंगे?
जवाब: नहीं, UPS अभी सिर्फ केंद्रीय कर्मचारियों के लिए है। इन कर्मचारियों की संख्या करीब 23 लाख है। भविष्य में राज्य भी चाहें तो इस योजना के प्रावधानों को अपने यहां लागू कर सकते हैं। अगर सभी राज्य इसे अपना लें तो राज्य और केंद्र मिलाकर कुल 90 लाख कर्मचारी इसके दायरे में आ जाएंगे। केंद्रीय कर्मचारियों के लिए भी इसे अपनाने की बाध्यता नहीं है। अगर वे चाहेंगे तो ही उन्हें UPS के तहत लाया जाएगा। वह NPS के तहत ही अपनी पेंशन लेते रह सकते हैं।
सवाल 4: मौजूदा NPS में ऐसी क्या खामियां हैं, जिसका लंबे वक्त से विरोध हो रहा था?
जवाब: दिसंबर 2003 तक लागू OPS में सरकार अपने खजाने से कर्मचारियों को एक तय पेंशन का भुगतान करती थी। इसलिए इसे कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित पेंशन स्कीम माना जाता था। कर्मचारी इसे बुढ़ापे की लाठी कहते थे।
वाजपेयी सरकार ने खर्च का बोझ कम करने के लिए 1 जनवरी 2004 से NPS योजना लागू कर दी, लेकिन इसका भी बड़े पैमाने पर विरोध हुआ। NPS का विरोध करने वाले कर्मचारियों का तर्क था कि NPS के तहत पेंशन शेयर मार्केट पर निर्भर होती है। शेयर मार्केट में पेंशन का एक हिस्सा निवेश करने पर फायदा नहीं हुआ तो पेंशन कम हो जाएगी। साथ ही NPS के तहत कर्मचारियों को सैलरी से पैसा कटवाना पड़ रहा है, जबकि OPS में बिना पैसा कटे एक मुश्त रकम पेंशन में मिल जाती थी।
सवाल 5: ओल्ड पेंशन और न्यू पेंशन में क्या फर्क था, जिसकी वजह से अब यूनिफाइड पेंशन लाना पड़ा?
जवाब: OPS को परिभाषित लाभ पेंशन प्रणाली (DBPS) भी कहा जाता है। वहीं NPS को परिभाषित योगदान पेंशन प्रणाली (DCPS) कहा जाता है। इसी बात में दोनों का मूल अंतर छिपा है। OPS में लाभ है, जबकि NPS में योगदान।
NPS एक इन्वेस्टमेंट का प्लान है
- NPS को सरकारी कर्मचारियों की पेंशन के साथ-साथ एक इन्वेस्टमेंट प्लान की तरह शुरू किया गया। ये कहा गया कि निवेश के चलते कर्मचारियों को पेंशन की रकम में कुछ पैसा बढ़कर भी मिल सकता है।
- NPS के तहत कर्मचारी कई बैंकों, वित्तीय संस्थानों और प्राइवेट कंपनियों के जरिए कई स्कीमों में निवेश कर सकते हैं। ICICI, SBI, HDFC जैसी बैंक और LIC कुल 9 पेंशन फंड मैनेजर्स ये स्कीम प्रोवाइड करते हैं।
- हाई रिस्क के बावजूद भी इन स्कीम में निवेश पर 15% तक ही रिटर्न मिलता है। जबकि घाटा होने पर नुकसान भी हो सकता है।
- NPS के तहत कर्मचारी की सैलरी और DA का 10% पैसा कटता रहता है और सरकार भी कर्मचारी की सैलरी का 14% हिस्सा अपने पास से उसके फंड में जमा करती जाती है। इस फंड का एक हिस्सा कर्मचारी किसी भी समय निकाल सकता है।
- अगर फंड का 60% तक पैसा निकाला जाए तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। बाकी 40% पैसा एन्युइटी (सालाना पैसा निवेश करने का प्लान) में निवेश कर दिया जाता था। चूंकि इस रकम का निवेश शेयर मार्केट में हो रहा है, इसलिए यह बढ़ भी सकती है और घट भी सकती है।
- इस 40% रकम में संभव घटाव-बढ़ाव के बाद फंड में बची कुल रकम रिटायरमेंट के बाद एक नियमित आय के तौर पर कर्मचारी को मिलती रहती है। मतलब इस रकम से कर्मचारी की हर महीने एक पेंशन बंध जाती है।
OPS एक तय पेंशन का प्लान था
- NPS के उलट OPS में कर्मचारी को पेंशन के लिए अपने पास से कोई रकम नहीं देनी होती थी।
- कर्मचारियों को सरकार के खजाने से अपनी आखिरी सैलरी का फिक्स 50% बतौर पेंशन मिलता था। साथ ही सरकार हर 6 महीने पर कर्मचारी को महंगाई भत्ता भी देती थी। जिसे NPS के तहत बंद कर दिया गया था।
- OPS के तहत जनरल प्रॉविडेंट फंड (GPF) भी मिलता था और ग्रैच्युटी की सीमा 20 लाख रुपए तक की थी। इससे केंद्र सरकार और राज्यों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था।
- हालांकि आंकड़े ये भी कहते हैं कि OPS के तहत कुल कर्मचारियों में से 12% को ही पेंशन का लाभ मिलता था। बाकी 88% कर्मचारी पेंशन कवरेज से बाहर रहते थे।
सवाल 6: यूनिफाइड पेंशन स्कीम में OPS और NPS की कौन-सी बातें शामिल की गई हैं?
जवाब: NPS के 3 नियम जो UPS में भी शामिल रहेंगे-
- NPS के तहत अब तक पेंशन देने के लिए कमर्चारी अपनी सैलरी का 10% पैसा कटवाते थे। UPS के तहत कर्मचारी अभी भी 10% हिस्सेदारी देते रहेंगे।
- हर तीन साल पर समीक्षा करके सरकार अपनी हिस्सेदारी में बदलाव भी कर सकती है, लेकिन कर्मचारियों की 10% की हिस्सेदारी में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
- मेडिकल रिम्बर्समेंट और एरियर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह दोनों फायदे NPS के तहत भी उसी तरह दिए जा रहे थे, जिस तरह OPS में दिए जाते थे।
OPS के 2 नियम जो UPS में भी शामिल रहेंगे
- हर महीने तय पेंशन की मांग के चलते सरकार ने सैलरी की 50% रकम को बतौर पेंशन हर महीने देने की बात कही है। ये प्रावधान OPS की ही तरह है।
- ग्रैच्युटी और जनरल प्रॉविडेंट फंड को लेकर UPS में अलग से कोई घोषणा नहीं की गई है। हालांकि यह कहा गया है कि हर 6 महीने की सर्विस पूरी होने पर कुल सैलरी और DA का 10% जोड़कर आखिर में एक लम-सम अमाउंट दिया जाएगा। ग्रैच्युटी को भी लम-सम अमाउंट ही कहा जाता है।
कर्मचारियों के फायदे की 3 बातें जो बिल्कुल नई हैं
- सरकार पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन का 14% पैसा अपने पास से देती थी। अब सरकार ने अपनी हिस्सेदारी 14% से बढ़ाकर 18.5% कर दी है।
- NPS के तहत कर्मचारी की मृत्यु के बाद घर वालों को मिलने वाली पेंशन की रकम तय नहीं थी। अब UPS के तहत इसे पेंशन का 60% कर दिया गया है।
- साथ ही कम सर्विस वाले कर्मचारियों के लिए मिनिमम पेंशन के तहत 10 हजार रुपए भी तय कर दिए हैं।
सवाल-7: यूनिफाइड पेंशन स्कीम से सरकार पर कितना बोझ पड़ेगा?
जवाब: डॉ सोमनाथन ने बताया है कि कर्मचारियों को एरियर का पैसा देने के लिए 800 करोड़ रुपए मंजूर हुए हैं। वहीं पेंशन देने के लिए सालाना पैसा मंजूर किया जाएगा। फिलहाल साल 2024-25 के लिए सरकार ने 6,250 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। यह खर्च आगे हर साल बदल भी सकता है।
सवाल-8: ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग कर रहे लोगों का UPS पर क्या कहना है?
जवाबः नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बंधु का कहना है कि अगर सरकार UPS का विकल्प दे सकती है तो फिर OPS का विकल्प देने में सरकार को क्या दिक्कत है?
यदि UPS में बेसिक पे का 50% दे सकते हैं तो OPS में भी 50% ही तो देना होता है, नाम बदल देने से काम नहीं बदलता। अभी तक NPS की तारीफ की जा रही थी अब UPS की, जबकि सच यह है कि OPS ही सामाजिक सुरक्षा का कवच है, बुढ़ापे की लाठी है और लाखों कर्मचारी OPS की ही मांग कर रहे हैं।