बिजनेस में नुकसान के कारण खुदकुशी कर रहे कारोबारी ?

आत्महत्या: जीवन नहीं मरा करता… बिजनेस में नुकसान के कारण खुदकुशी कर रहे कारोबारी, बढ़ते मामलों पर अंकुश अहम
कहा जाता है कि भारत में दुनिया भर में सबसे अधिक युवा आत्महत्या दर है। इस बीच, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2020 में हर 42 मिनट में एक छात्र ने अपनी जान दे दी। यह आंकड़ा सच में डराता है।

देश ने इस बार भी पांच सितंबर को गर्मजोशी से शिक्षक दिवस मनाया। सोशल मीडिया पर तो अध्यापकों का छात्रों के निर्माण में योगदान के लिए विशेष आभार व्यक्त किया गया था। पर अब सुधी शिक्षकों, मनोचिकित्सकों और नागरिकों को यह भी सोचना होगा कि नौजवानों का एक बड़ा वर्ग निराशा व नाकामयाबी की स्थितियों में अपनी जीवनलीला खत्म क्यों कर रहा है। शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता हो, जब प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले  किसी युवा के खुदकुशी करने संबंधी समाचार अखबार में न छपते हों। इस गंभीर मसले पर सारे देश को सोचना होगा।

व्यापार में घाटे की वजह से भी आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़ रही है। कुछ दिन पहले एक साइकिल बनाने वाली कंपनी के अरबपति मालिक ने भी खुदकुशी कर ली थी। पिछले साल लोकसभा में बताया गया था कि देश में 2019 से 2021 के बीच 35,000 से ज्यादा छात्रों ने आत्महत्या की। इसमें कोई शक नहीं कि किसी भी हालत में किसी खास परीक्षा में सफल होने के लिए माता-पिता, अध्यापकों, समाज का दबाव और अपेक्षाएं छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव डाल रही हैं। राजस्थान के कोटा शहर में हर साल लाखों विद्यार्थी आईआईटी, एनआईटी या मेडिकल की प्रवेश परीक्षा को क्रैक करने का सपना लेकर पहुंचते हैं। आप कोटा या फिर देश के अन्य शहर में चले जाएं, जहां मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ-साथ सिविल सेवाओं के लिए कोचिंग संस्थान चल रहे हों। वहां विद्यार्थी दबाव और असफलता के डर से मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत कष्ट की स्थिति में हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय अग्रवाल कहते हैं कि हमें खुदकुशी के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करने के बजाय, इन्हें रोकना होगा। हमने युवाओं, कारोबारियों और अन्य लोगों द्वारा आत्महत्या करने के कारणों और इस समस्या के हल तलाशने के लिए असज विश्व आत्महत्या निवारण दिवस पर दिल्ली में सेमिनार का भी आयोजन किया है, जहां पर मनोचिकित्सक, पत्रकार और सोशल वर्कर अपने पेपर पढ़ेंगे। उन निष्कर्षों के बाद हम आगे की रणनीति बनाएंगे।

कुछ कोचिंग सेंटर वाले भी इस तरह के प्रयास कर रहे हैं, ताकि छात्र बहुत दबाव में न रहें। राजधानी के एक कोचिंग सेंटर के प्रमुख ने बताया कि हम छात्रों की लगातार काउंसलिंग भी करते रहते हैं। उनके अभिभावकों के भी संपर्क में रहते हैं। कहा जाता है कि भारत में दुनिया भर में सबसे अधिक युवा आत्महत्या दर है। इस बीच, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, 2020 में हर 42 मिनट में एक छात्र ने अपनी जान दे दी। यह आंकड़ा सच में डराता है।

माता-पिता और अध्यापकों को नौजवानों को अच्छा माहौल देना होगा, ताकि वे बिना किसी दबाव में पढ़ें या जो भी करना चाहते हैं, वह करें। हरियाणा के सोनीपत में सेंट स्टीफंस कैंब्रिज स्कूल चलाने वाली दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी (डीबीएस) के अध्यक्ष और सोशल वर्कर ब्रदर सोलोमन जॉर्ज कहते हैं कि हम पूरी तरह से सुनिश्चित करते हैं कि हमारे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे बिना किसी दबाव में पढ़ें। बच्चे को पालना एक बीस वर्षीय प्लान है। कौन नहीं चाहता कि उसका बच्चा समाज में ऊंचा मुकाम हासिल करे, शोहरत-नाम कमाए? पर इन सबके लिए जरूरी है कि बच्चे को उसकी काबिलियत और पसंद के अनुसार मनचाहा कॅरिअर चुनने की आजादी भी दी जाए। यह एक कड़वा सच है कि हमारे समाज में सफलता का पैमाना अच्छी नौकरी, बड़ा घर और तमाम दूसरी सुख-सुविधाएं ही मानी जाती हैं। अफसोस कि हम भविष्य के चक्कर में अपने बच्चों को आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर मजबूर करने लगे हैं। महान कवि गोपालदास नीरज की पंक्तियां याद आ रही हैं, छिप-छिप अश्रु बहाने वालो, मोती व्यर्थ बहाने वालो, कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है। सफलता व विफलता का चक्र तो चला करता है। उसे स्वीकारने में ही भलाई है।

जैसा कि ऊपर जिक्र किया कि बीते दिनों एक अरबपति बिजनेसमैन ने खुदकुशी कर ली। कहा जा रहा है कि बिजनेस में नुकसान होने के कारण ही साइकिल बनाने वाली कंपनी के मालिक ने आत्महत्या की। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चला है कि 2020 में, जब कोविड की लहर ने व्यापार को तबाह कर दिया था, तब 11,716 व्यापारियों ने आत्महत्या की थी, जो 2019 की तुलना में 29 फीसदी अधिक थी, जब 9,052 व्यापारियों ने खुदकुशी की थी। भारत के व्यवसायी समुदाय का बड़ा हिस्सा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों से जुड़ा है, जो बड़े झटकों को सहन नहीं कर पाता है। इसके चलते कई कारोबारियों ने कर्ज में डूबने या बिजनेस में नुकसान के कारण आत्महत्या कर ली। कुल मिलाकर युवाओं और कारोबारियों के साथ-साथ अन्य लोगों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को भी प्रभावी ढंग से रोकना ही होगा।

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