विदेशों में बयान दे पर्सनल एजेंडा सेट करते हैं राहुल ?
विदेशी रणनीति, कूटनीति या विजन पर न बात कर, विदेशों में बयान दे पर्सनल एजेंडा सेट करते हैं राहुल
लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अमेरिकी दौरे पर आरक्षण से लेकर सिखों की पकड़ी और कड़े पर जो बयान दिए, उससे विवाद होना लाजिमी है. उन्होंने विदेशी धरती से केन्द्र की सत्ताधारी एनडीए सरकार को घेरने के लिए यहां तक कह दिया कि भारत में सिखों को कड़ा और पगड़ी तक पहनने दिया जाएगा या नहीं, ये भी प्रश्न है. सवाल उठ रहा है कि राहुल गांधी को क्या ऐसे बयान विदेश में जाकर भारत के खिलाफ देना चाहिए था? हालांकि, पहली बार ऐसा नहीं है जब राहुल ने इस तरह का बयान विदेश जाकर दिया हो.
राहुल गांधी के बयान का सिख संगठनों पुरजोर विरोध किया. दूसरी तरफ, खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने राहुल गांधी के बयान को बिल्कुल सही ठहराया है. जबकि, राहुल गांधी ने अमेरिकी दौरे पर रहते हुए आरएसएस को लेकर भी टिप्पणी की है. उन्होंने भारत में हाल में कराए गए लोकसभा के चुनाव को लेकर भी कई सवाल खड़े करते हुए इसे नियंत्रित चुनाव की संज्ञा दिया.
भारत विरोधी क्यों बयान?
राहुल गांधी जब भी अमेरिकी या फिर यूरोप के दौरे पर जाते हैं, वहां पर आरएसएस और भाजपा पर ही बयानबाजी करते हैं. राहुल गांधी कभी भारत के विकास और उसके समृद्ध की बात नहीं करते है. कांग्रेस की डोमेस्टिक और फॉरेन पॉलिसी के आधार पर काम ना करके वो खुद को आरएसएस और भाजपा के इर्द-गिर्द रखकर बोलते रहते हैं. अमेरिकी दौरे के वक्त वाशिंगटन के हैंडराॅन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने काफी बचकाना बयान दिया.
अमेरिका में राहुल गांधी ने कहा कि भारत में इन दिनों लड़ाई का समय चल रहा है. एक जाति की दूसरी जाति के साथ लड़ाई चल रही है, एक राज्य दूसरे राज्य के साथ लड़ रहा है. यहां तक कहा कि साउथ इंडियन वाले लोग नॉर्थ वालों से लड़ रहे हैं. इस बयान को भारत सरकार को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ये एक हास्यास्पद बयान है. राहुल गांधी विदेशिक रणनीति, डिप्लोमेसी और उनके विकास के विजन की बात पर विरोध ना करके अपने पर्सनल एक एजेंडे के तहत विदेश में जाकर बात कर करते हैं. हालांकि, विदेश में जाकर इस प्रकार का बयान देने से बचना चाहिए.
देश की छवि को नुकसान
राहुल गांधी वर्तमान में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं. नेता प्रतिपक्ष का एक ओहदा होता है और राहुल ने ऐसे बयान देकर उसकी गरिमा गिराया गिराने का काम किया है. अमेरिका में जो भारत के विरोधी रहते हैं, जो भारत के लिए खतरा हैं, अमेरिकी दौरे पर गए राहुल गांधी उन्हीं मिल रहे हैं और उनके साथ ही घूम रहे हैं. उनके कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं. भाजपा नेता हरदीप पुरी और भाजपा के प्रवक्ता मालवीय ने इस बात पर विरोध जताया है. इसलिए ये कहा जाता सकता है कि राहुल गांधी एक ऐसे नेता हैं, जिनका अपना कोई कद नहीं है.
भारत से 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद अमेरिका के शिकागो में जाकर भाषण दिया था, उस समय वहां के यूथ को काफी जागरूक किया था. भारत-यूरोप के संबंधों को बाहर की ओर उकेरने का काम उस समय विवेकानंद ने किया था. दूसरी ओर, खुद को युवा कहने वाले राहुल गांधी भी सितंबर महीने में अमेरिका में गए हैं, लेकिन वहां पर भारत की नकारात्मक छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर राहुल गांधी घरेलू मुद्दों को लेकर ऐसे ही बाहर बोलते रहे तो भले हीं भाजपा और आरएसएस हास्यास्पद लगे लेकिन इससे भारत की छवि को नुकसान होगा.
कांग्रेस वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश
अमेरिकी दौरे पर गए राहुल गांधी की मुलाकात उल्हान उमर से भी हुई, जो कश्मीर मामले में पाकिस्तान के साथ साथ खड़ी रहती हैं. भारत विरोधी बयानों के लिए वो अक्सर सुर्खियों में रहती हैं. अमेरिकी कांग्रेस की वो सदस्य भी है. उनके साथ रहकर भारत के बारे में गलत बोलना, इन हरकतों से ये तो पता चलता है कि राहुल गांधी अभी तक मैच्योर नहीं हुए हैं. वो एक पॉलिटिकल लीडर के तौर पर एक्सपोजर के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन वो भारत के कमजोरियों को सामने लाकर नकारात्मक राजनीति कर रहे हैं. इस तरह की राजनीति करके वो खुद के साथ कांग्रेस के लिए एक मुसीबत और खतरनाक स्थिति खड़ा कर रहे हैं.
इसके साथ ही, ये कदम भारत के लिए भी काफी खतरनाक साबित हो सकता है. हालांकि इसके जरिये राहुल गांधी कांग्रेस की वोट बैंक बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इस बार लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटें मिली है. इन सीटों को आगे की ओर बढ़ाने और जनरल इलेक्शन तक भाजपा और मोदी के छवि को खराब करने के लिए राहुल गांधी ये सब काम कर रहे हैं. योजनाओं पर कितने पैसे खर्च किए गए? योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक क्यों नहीं पहुंच पा रहा है, इन सब मुद्दों पर बात करनी चाहिए, लेकिन राहुल गांधी भारत से अमेरिका जाकर भारत के लिए नकारात्मक बातें कर रहे हैं.
भारत के मामले में अमेरिका को कांग्रेस मध्यस्तता के लिए क्यों सामने ला रही है? जबकि भारत में कोई ऐसा मामला नहीं है. उल्हान उमर यूएस कांग्रेस की सदस्य है. भारत के विरोध में जो भी बातें यूएस में लाया जाता है, उसमें उल्हान उमर का नाम जरूर रहता है. उल्हान उमर ने बीते कुछ समय पहले पीओके का दौरा किया था, जिसका विरोध भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से किया गया था. हाल में ही हरदीप पुरी ने कहा कि राहुल गांधी भारत के दुश्मन के आगे भारत का रोना रो रहे हैं. इससे कांग्रेस के साथ भारत के छवि को नुकासन होगा. अमेरिका में जाकर राहुल गांधी का ये सब बोलना एक तरह से उनकी मूर्खता को ही दिखाता है.
देश को तोड़ने का काम कर रही कांग्रेस
राहुल गांधी को अगर कोई दिक्कत है तो उनको सरकार के साथ बैठकर बात करनी चाहिए या फिर लोकसभा में बात उठानी चाहिए. अमेरिका और दुश्मन देशों में जाकर भारत के विरोध में बयान देना काफी गलत बात है. इससे भारत की छवि को नुकसान होगा, इसके साथ कांग्रेस को भी नुकसान होगा. अमेरिकी दौरे पर गए राहुल गांधी ने कहा है कि उन्होंने मोदी की कंधा को झुका दिया है, इसके साथ वो जातीय जनगणना की बात कर रहे हैं. इस तरह से देश को तोड़ने की राजनीति कांग्रेस कर रही है.
अगर जातीय जनगणना की बात करें तो समाज में पहले से ही हिंदू वर्ग ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र चार भागों में बंटा हुआ है. हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम समाज में भी जातिभेद की बू आती रही है. समाज पहले से ही कई भागों में बंटा हुआ है, लेकिन उस समाज को जोड़ने के बजाए राहुल गांधी उसको और तोड़ने के लिए जातीय जनगणना की बात कर रहे हैं. इसके जरिये कांग्रेस सिविल वाॅर को जन्म देना चाहती है. ये एक तरह से खतरनाक बातचीत अमेरिका में राहुल गांधी ने किया है, जिस प्रकार से की कभी अंग्रेजों द्वारा फूट डालो और राज करो का काम किया जाता था, अब उसी रास्ते पर कांग्रेस चल रही है. देश को जोड़ने के बजाए तोड़ने वाली काम कांग्रेस कर रही है.
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