फिटनेस के बावजूद युवा क्यों हो रहे साइलेंट हार्ट अटैक का शिकार?

फिटनेस के बावजूद युवा क्यों हो रहे साइलेंट हार्ट अटैक का शिकार?
पहले मशहूर टीवी एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला, फिर प्रसिद्ध कन्नड़ फिल्म अभिनेता पुनीत राजकुमार, कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव और अब टीवी एक्टर विकास सेठी की अचानक मौत ने सभी को हैरान कर दिया.

विकास सेठी और अन्य फिटनेस फ्रीक व्यक्ति अचानक दिल का दौरा पड़ने से दुनिया से विदा हो जाए, यह खबर न सिर्फ चौंकाने वाली है बल्कि बेहद चिंताजनक भी है. यह घटना हमें इस बात की ओर इशारा करती है कि हृदय रोग अब सिर्फ उम्रदराज लोगों का ही मसला नहीं रह गया है, बल्कि युवा भी इसके शिकार हो रहे हैं.

आमतौर पर हम यह मान लेते हैं कि दिल से जुड़ी समस्याएं उम्र के साथ आती हैं. लेकिन आजकल कई तरह के हृदय रोग ऐसे हैं जो बिना किसी लक्षण के धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं और अचानक जानलेवा साबित हो सकते हैं. सिद्धार्थ शुक्ला से लेकर विकास सेठी तक के मामले में भी ऐसा ही कुछ हुआ.

असामान्य हृदय रोग बहुत खतरनाक होते हैं क्योंकि इनके लक्षण शुरू में दिखाई नहीं देते हैं. अक्सर लोग तब तक कुछ समझ पाते हैं जब तक कि कोई बड़ी घटना न हो जाए. विकास सेठी की मौत के बाद हृदय रोगों के बारे में कई सवाल उठते हैं. आखिर युवाओं में क्यों बढ़ रहा है अचानक दिल का दौरा? क्या सिर्फ एक्सरसाइज और सही खान-पान ही हृदय रोगों से बचा सकते हैं? इस स्पेशल स्टोरी में समझते हैं.

पहले जानिए विकास सेठी को क्या हुआ था
विकास सेठी मशहूर टीवी शो जैसे ‘सास भी कभी बहू थी’, ‘कहीं तो होगा’ और ‘ससुराल सिमर का’ में अपने किरदारों के लिए जाने जाते थे. रविवार, 8 सितंबर को नासिक में नींद में ही गुजर गए. उनके परिवार का कहना है कि 48 वर्षीय अभिनेता के निधन से पहले कोई लक्षण नहीं दिखा और न ही उन्होंने दिल से जुड़े किसी भी दर्द या असुविधा की शिकायत की थी. उनके परिवार में हृदय संबंधी समस्या का कोई इतिहास भी नहीं था. वह अपनी फिटनेस का बहुत ध्यान रखते थे. 

हालांकि पीटीआई के साथ एक इंटरव्यू में उनकी पत्नी जान्हवी ने बताया कि अभिनेता के निधन से पहले उन्हें गंभीर पाचन की समस्या हुई थीं. वह दोनों नासिक में एक पारिवारिक कार्यक्रम में शामिल हुए थे, वहां उन्होंने अचानक मतली और पेट खराब होने की शिकायत की.

जान्हवी ने बताया,  “जब हम नासिक में मेरी मां के घर पहुंचे तो उन्हें उल्टी और दस्त हो गए. वे अस्पताल नहीं जाना चाहते थे, इसलिए हमने डॉक्टर को घर बुलाने के लिए कहा. इसके बाद सो गए. जब मैं सुबह लगभग 6 बजे (रविवार को) उन्हें जगाने गई, तो वे नहीं थे. वहां के डॉक्टर ने हमें बताया कि वह पिछली रात नींद में ही दिल का दौरा पड़ने से गुजर गए.”

साइलेंट हार्ट अटैक से सावधान रहें
UCLA हेल्थ ने एक लेख में बताया है कि लगभग 20% दिल के दौरे बिना किसी लक्षण के होते हैं. वहीं क्लीवलैंड क्लिनिक ने एक रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर बताया है कि सभी दिल के दौरे में से 22% से 60% साइलेंट होते हैं. साइलेंट हार्ट अटैक उन लोगों में अधिक आम हो सकते हैं जो मधुमेह से पीड़ित हैं.

सिद्धार्थ शुक्ला से विकास सेठी तक: फिटनेस के बावजूद युवा क्यों हो रहे साइलेंट हार्ट अटैक का शिकार?

साइलेंट हार्ट अटैक एक ऐसा दिल का दौरा होता है जिसमें बहुत कम या कोई लक्षण नहीं होते हैं या लक्षणों को तुरंत दिल के दौरे के संकेत के रूप में पहचाना मुश्किल होता है. साइलेंट हार्ट अटैक से सीने में दर्द या सांस लेने में तकलीफ नहीं हो सकती है, जो आमतौर पर दिल के दौरे से जुड़े होते हैं.

जिन लोगों को साइलेंट हार्ट अटैक होता है, उन्हें पता भी नहीं चल पाता है. उन्हें लग सकता है कि उन्हें हार्टबर्न, फ्लू या छाती की मांसपेशियों में खिंचाव है. लेकिन साइलेंट हार्ट अटैक में भी सभी दिल के दौरों की तरह रक्त प्रवाह रुक जाता है. एक साइलेंट हार्ट अटैक होने से भविष्य में दिल के दौरे की संभावना बढ़ जाती है. अगर ऐसा कोई असामान्य या हल्का लक्षण महसूस करते हैं जो चिंता का कारण नहीं लगता है तो सावधानी बरतनी चाहिए और नजदीकी डॉक्टर से परामर्श लेना ही बुद्धिमानी है.

अपच भी हो सकता है दिल के दौरे का कारण?
सभी दिल की समस्याओं में स्पष्ट चेतावनी संकेत नहीं दिखते हैं. फिल्मों में दिखाए जाने वाले नाटकीय दृश्यों के विपरीत असल जीवन में लक्षण अधिक सूक्ष्म हो सकते हैं. कुछ हृदय संबंधी लक्षण छाती में भी महसूस नहीं होते हैं. इस कारण यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि हमारे शरीर के अंदर क्या हो रहा है.

चक्कर आना और सीने में दर्द जैसे लक्षण आमतौर पर दिल के दौरे से जुड़े होते हैं, जबकि अपच की वजह आमतौर पर एसिडिटी या हार्टबर्न होती है. अपच, मतली और उल्टी अलग-अलग स्थितियों के कारण हो सकते हैं लेकिन इन लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए. क्योंकि वे गंभीर दिल के दौरे का संकेत भी हो सकते हैं. 

हालांकि 2016 में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के सर्कुलेशन जर्नल में एक सुझाव दिया गया था कि  दिल के दौरे से पीड़ित लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. इसलिए, हृदय रोग के इलाज के लिए पाचन तंत्र और लीवर की भी जांच करनी चाहिए. यह भी बताया कि इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) और ब्लड टेस्ट दिल से संबंधित बीमारियों की पुष्टि कर सकते हैं. ब्लड टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि दिल पर कोई दबाव है या नहीं.

हार्टबर्न क्या होता है?
हार्टबर्न आपकी छाती के नीचे महसूस होने वाली जलन है जो कभी-कभी खाने के बाद महसूस होती है. हार्टबर्न तब होता है जब पेट का एसिड वापस अन्नप्रणाली में जाता है जो मुंह और पेट को जोड़ने वाली नली है. मेयो क्लिनिक की रिपोर्ट के अनुसार, हार्टबर्न खाने के बाद शाम के समय या लेटने या झुकने पर कभी-कभार होना आम बात है. आमतौर पर ये चिंता का कारण नहीं होता है.

आमतौर पर जब आप निगलते हैं तो अन्नप्रणाली के आधार पर एक मांसपेशी एक छल्ला ढीला हो जाता है ताकि भोजन और तरल पदार्थ पेट में जा सकें और फिर कस जाता है. अगर यह मांसपेशी ठीक से काम नहीं करती है तो पेट का एसिड अन्नप्रणाली में बढ़ सकता है जिससे एसिड रिफ्लक्स होता है और हार्टबर्न होता है. यह स्थिति अक्सर लेटने या झुकने पर ज्यादा महसूस होती है.

सिद्धार्थ शुक्ला से विकास सेठी तक: फिटनेस के बावजूद युवा क्यों हो रहे साइलेंट हार्ट अटैक का शिकार?

युवाओं में क्यों बढ़ रहे अचानक दिल का दौरा आने के मामले? 
भारत में युवाओं और 30-40 साल की उम्र के लोगों में दिल का दौरा बढ़ रहा है. अक्टूबर 2023 में पब्लिश एक मेडिकल स्टडी के अनुसार, 40-69 साल के उम्र के लोगों में 45% की मौतों का कारण दिल का दौरा था. ज्यादातर मामलों में बेचैनी, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हार्ट अटैक का मुख्य कारण रहा. हालांकि इसके अलावा भी कुछ कारण हो सकते हैं. 

कुछ सामान्य कारक जो दिल का दौरा पैदा कर सकते हैं, उनमें कोलेस्ट्रॉल और ट्रांस-फैट से भरपूर आहार खाना, पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं करना, बहुत अधिक शराब पीना या धूम्रपान करना शामिल है. अगर परिवार में किसी को हार्ट या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रही है तो जोखिम और भी बढ़ सकता है. यह इसलिए होता है क्योंकि कुछ जीन ऐसे होते हैं जो हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं.

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