समावेशी विकास की दिशा में, ताकि हो सके स्थानीय समुदाय का कल्याण
पहल: समावेशी विकास की दिशा में, ताकि हो सके स्थानीय समुदाय का कल्याण
हाल ही में नई दिल्ली में डीएमएफ गैलरी के शुभारंभ के अवसर पर मुझे ओडिशा के जिला खनिज फाउंडेशन द्वारा स्थापित स्वयं सहायता समूहों की कई प्रतिभाशाली महिलाओं से मिलने का सौभाग्य मिला। ये महिलाएं केवल शिल्पकार नहीं थीं, बल्कि उद्यमी बनने की राह पर थीं। अपने शिल्प को प्रदर्शित करने और पहचान हासिल करने की महत्वाकांक्षा से प्रेरित होकर, वे अपने परिवारों का वित्तीय स्तंभ बनने के लिए प्रतिबद्ध थीं।
मध्य प्रदेश के कटनी में डीएमएफ हमारे ‘यंग माइंड्स’ को ड्रोन तकनीक में महारत हासिल करने, वायु-गति-विज्ञान और उड़ान संचालन की बारीकियों को सिखाने में मदद कर रहे हैं। कई लोगों को नौकरी मिल गई है और अनेक लोग नए अवसरों के लिए तैयार हो रहे हैं। इस पहल ने खनन प्रभावित क्षेत्रों में हजारों परिवारों को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाया।
डीएमएफ यह सुनिश्चित करता है कि यह लक्ष्य रणनीतिक रूप से खनन प्रभावित क्षेत्रों के स्थानीय समुदायों के कल्याण से जुड़ा हो। उदाहरण के लिए, ओडिशा के क्योंझर में धरणीधर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, लगभग 480 करोड़ रुपये की डीएमएफ-वित्तपोषित सुविधा से बना, जो अपने 25 लाख निवासियों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करता है। झारखंड के रामगढ़ जिले में एक विशेष नवजात शिशु देखभाल यूनिट है, जो महत्वपूर्ण नवजात देखभाल प्रदान करती है और शिशु मृत्युदर को कम कर रही है। मध्य प्रदेश के सिंगरौली में, ‘ब्रेकिंग बैरियर्स’ परियोजना दिव्यांगों के लिए सुलभता बढ़ा रही है। तेलंगाना के मंचेरियल में जिला विज्ञान केंद्र दूरदराज के छात्रों के लिए विज्ञान को आकर्षक बना रहा है और युवा प्रतिभाओं को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में योगदान दे रहा है।
केंद्र सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्थानीय संदर्भ और जिले में मौजूद व्यवस्था को हटाए बिना सर्वोत्तम प्रशासनिक प्रथाओं को सभी डीएमएफ में मानकीकृत किया जाए। इससे डीएमएफ की भूमिका और अधिक प्रभावशाली बनेगी।
डीएमएफ सहकारी संघवाद का एक आदर्श उदाहरण है और इसमें केंद्र और राज्य की योजनाओं को आपस में जोड़ने का अनूठा लाभ है। यह शासन के तीन स्तरों पर लक्ष्यों और संसाधनों में तालमेल सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रीय प्राथमिकताएं स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करें, सकारात्मक प्रभाव डालें और पहुंच को सुगम बनाएं। डीएमएफ वास्तव में समावेशी विकास के लिए शक्तिशाली उपकरण बन रहा है। डीएमएफ के जरिये भारत संसाधन प्रबंधन के बारे में दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश कर रहा है कि कैसे अन्य देशों को भी आर्थिक विकास को सामाजिक कल्याण और अधिकारों के साथ संतुलित करना चाहिए।
(लेखक केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री हैं।)