नेटवर्क कवरेज से बाहर आरटीओ बिल्डिंग ?
नेटवर्क कवरेज से बाहर आरटीओ बिल्डिंग
10 मिनट के काम में लग जाता है 1 घंटा; डीएल, आरसी बनवाने के लिए रोज 400 लोग परेशान
अगर आप परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने या वाहन ट्रांसफर जैसे किसी काम के लिए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) जा रहे हैं तो मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलने की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। हालात ऐसे हैं कि अगर आप बीएसएनएल की सिम इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको 10 मिनट में ओटीपी मिल जाएगा और आप ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
लेकिन, आपके पास किसी और कंपनी की सिम है तो आपको इसी काम में एक घंटे तक का समय भी लग सकता है। क्योंकि आरटीओ की बिल्डिंग में बीएसएनएल के अलावा किसी और मोबाइल कंपनी का नेटवर्क ही नहीं आता है। यही वजह है कि रोज करीब 400 लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
हर काम में ओटीपी जरूरी, लेकिन वही नहीं मिल पाता... आरटीओ में सारे काम ऑनलाइन होते हैं। परमानेंट लाइसेंस के लिए आवेदन करने से लेकर डॉक्यूमेंट अपलोड करने जैसे सभी कामों के लिए ओटीपी अनिवार्य है। लेकिन, आरटीओ की बिल्डिंग में नेटवर्क नहीं आने से ओटीपी ही नहीं मिल पाता है। हालांकि यहां कर्मचारियों के पास बीएसएनएल की सिम का उपयोग करते हैं।
अंदर पहुंचते ही टाइम आउट …
नेटवर्क कवरेज नहीं मिलने के कारण ओटीपी नहीं आ पाता है। ऐसे में आवेदक को बार-बार बिल्डिंग से बाहर आना होता है। बाहर नेटवर्क में आने पर ओटीपी तो आ जाता है, लेकिन जब तक अंदर पहुंचते हैं टाइम आउट हो जाने से ओटीपी एक्सपायर हो जाता है। ऐसे में 10 मिनट का काम एक घंटे में होता है।
दोस्त को बाइक बेची है, गाड़ी उसके नाम करनी है। इसके लिए आरटीओ गया था, पहले आवेदन के लिए ओटीपी नहीं आ रहा था। बाहर आया तब कहीं ओटीपी आया। डॉक्यूमेंट अपलोड करते समय भी ओटीपी आने में परेशानी हुई। करीब एक घंटे तक इसके कारण परेशान हुए।
ललिता नगर
भतीजी का परमानेंट लाइसेंस बनना है। इसके लिए आवेदन तो ऑनलाइन कर दिया था। उसमें कुछ परेशानी थी, इसे एप्रूव कराने के लिए आरटीओ पहुंचा तो वहां ओटीपी ही नहीं आ रहा था। बार-बार अंदर बाहर जाना पड़ता है, बहुत मुश्किल से आवेदन एप्रूव हुआ। हरू नगर
मोबाइल कंपनियों से बात कर लगाएंगे नेटवर्क बूस्टर यह बात सही है कि बिल्डिंग के अंदर मोबाइल का नेटवर्क कम आता है। जिससे ओटीपी आने में परेशानी होती है। मोबाइल कंपनियों से बात कर नेटवर्क बूस्टर लगाएंगे ताकि नेटवर्क सुधरे।
आरटीओ, भोपाल